"जिन पार्टियों को मिला ज्यादा फंड, उनको होगा फायदा..." 7 चरणों में चुनाव कराने पर विपक्ष ने उठाया सवाल

44 दिन की मतदान अवधि 1951-52 में पहले लोकसभा चुनाव के बाद दूसरी सबसे लंबी अवधि होगी, जो चार महीनों तक चली थी. एक्स पर शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पोस्ट करते हुए कहा "2024 के आम चुनाव भारत के लिए न्याय के दरवाजे खोलेगा".

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मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा, "2024 के लोक सभा चुनाव भारत के लिए न्याय के दरवाजे खोलेगा".
नई दिल्ली:

चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनावों (Lok Sabha Elections 2024) के मतदान के लिए 19 अप्रैल से 1 जून तक 7 चरणों की घोषणा का विपक्ष की अधिकर पार्टीयों ने स्वागत किया है लेकिन कुछ ने यह सवाल भी उठाया है कि चुनाव प्रक्रिया को इतना लंबा खींचे जाने से बीजेपी को ही फायदा होगा. साथ ही कांग्रेस ने इस ओर भी इशारा किया है कि आगामी चुनाव लोकतंत्र को बचाने का आखिरी मौका है. तृणमूल कांग्रेस ने भी कहा है कि चुनाव आयोग ने एक या दो चरण में पश्चिम बंगाल में चुनाव कराने के सरकार के सुझाव पर ध्यान नहीं दिया है. इसमें कहा गया है कि राज्य में सात चरण के मतदान से एक बार फिर "जिन पार्टियों को मिला ज्यादा फंड" उनको होगा फायदा.

44 दिन की मतदान अवधि 1951-52 में पहले लोकसभा चुनाव के बाद दूसरी सबसे लंबी अवधि होगी, जो चार महीनों तक चली थी. एक्स पर शनिवार को कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पोस्ट करते हुए कहा "2024 के आम चुनाव भारत के लिए न्याय के दरवाजे खोलेगा". उन्होंने लिखा, "2024 के लोक सभा चुनाव भारत के लिए न्याय के दरवाजे खोलेगा. यह शायद लोकतंत्र और संविधान को बचाने का आखिरी मौका है. हम भारत के लोग इस नफरत, लूट, बेरोजगारी, महंगाई और अत्याचार से साथ में लड़ेंगे."

संवाददाताओं से बात करते हुए मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा 7 चरण के मतदान का मतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सब जगह दौरा करना चाहते हैं और नहीं तो इसे तीन या फिर चार चरणों में भी खत्म किया जा सकता था. न्यूज एजेंसी पीटीआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हमें इस बात को लेकर बेचैनी नहीं है कि आगे क्या होगा, लेकिन मोदी जी का 7 चरण में चुनाव कराने का मतलब है कि वो सब जगह दौरा करना चाहते हैं. इस देश में मैंने भी 12 चुनाव देखे हैं और उनमें आमतौर पर चार चरण हुआ करते थे. कई बार केवल एक चरण में भी चुनाव हुए हैं."

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कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, "लगभग 70-80 दिन रुकना, सोचिए ऐसे देश कैसे आगे बढ़ेगा? क्योंकि आचार संहिता के कारण... सामग्री की आपूर्ति नहीं की जाएगी. बजट खर्च नहीं होगा. तो मेरे हिसाब से ये अच्छा नहीं है. इसे तीन या फिर चार चरण में पूरा किया जा सकता था." एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने कहा इन चुनावों का आयोजन चुनावी बॉन्ड, जेल, निलंबन, विपक्षी पार्टियों के नेताओं के घर रेड और फंड्स को फ्रीज करने जैसे "घोटालों के बादल" के तहत हो रहा है.

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लंबा इंतजार

द्रमुक के प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन, जो लोकसभा सांसदों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या वाली विपक्षी पार्टी हैं ने कहा कि नतीजों के लिए 4 जून तक इंतजार करना कुछ ऐसा है, जिसके लिए पार्टी को तैयार करने की आवश्यकता होगी. उन्होंने कहा, हमनें अनुमान लगाया था कि तमिलनाडु पहले चरण में आएगा, हालांकि, 4 जून तक इंतजार करना एक ऐसा सवाल है जिसके लिए पार्टी को तैयार रहना होगा.

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उन्होंने कहा, "हमें लगा था कि तमिलनाडु के लिए मतदान पहले चरण में होगा, हालांकि, 4 जून तक इंतजार करना पार्टी के लिए बड़ा सवाल है और इसके लिए पार्टी के सदस्यों को तैयार रहना होगा." तृणमूल कांग्रेस जिसने पहले कहा था कि चुनाव आयोग ने एक या दो चरण में पश्चिम बंगाल में चुनाव कराने के सरकार के सुझाव पर ध्यान नहीं दिया है. इसमें कहा गया है कि राज्य में सात चरण के मतदान से एक बार फिर "जिन पार्टियों को मिला ज्यादा फंड" उनको होगा फायदा.

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बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने पीटीआई के हवाले से कहा, हम चाहते थे कि राज्य में एक या फिर दो फेज में लोकसभा चुनाव हों. हमारा मानना है कि अधिक चरण में चुनावों के होने से ज्यादा फंड पाने वाली पार्टीज को फायदा मिलेगा. उन्होंने कहा, "2021 में हुए विधानसभा चुनाव 8 चरणों में हुए थे और कहा गया था कि ऐसा महामारी के कारण किया गया है. तो अब चुनावों को सात चरण में क्यों किया जा रहा है? इसका कोई सही कारण नहीं है."

तृणमूल के राज्यसभा सांसद सुखेंदु शेखर रे ने कहा, "राज्य सरकार के विचारों पर ध्यान नहीं दिया गया. यह संघीय ढांचे की उपेक्षा है. हम इतने लंबे चुनाव कराने के कारणों को समझने में विफल रहे. यह काफी आश्चर्यजनक है."

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