शिकायत निवारण प्रणाली चाहती हैं ऑनलाइन कैब कंपनियां, HC ने महाराष्‍ट्र सरकार, Uber से जवाब मांगा

जनहित याचिका में कहा गया था कि कैब सेवा के लिए उबर इंडिया के ऐप का उपयोग करने वाले उपयोक्ताओं के लिए उचित शिकायत निवारण प्रणाली नहीं है.

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प्रतीकात्‍मक फोटो
मुंबई:

बॉम्‍बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि वह राज्य में उबर और ओला ( Uber and Ola) जैसी ऑनलाइन टैक्सी कंपनियों को संचालन के लिए जिस वैधानिक नियम के तहत लाइसेंस जारी करती है, उसके बारे में हलफनामा दायर कर विस्तार से बताएं. मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एम. एस. कार्णिक की पीठ ने उबर इंडिया को निर्देश दिया कि वह अपने जवाब में स्पष्ट करे कि उसने लाइसेंस महाराष्ट्र शहर टैक्सी नियम, 2016 के तहत लिया है या नहीं.

अधिवक्ता सविना कास्त्रो द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने उक्त निर्देश दिए. जनहित याचिका में कहा गया था कि कैब सेवा के लिए उबर इंडिया के ऐप का उपयोग करने वाले उपयोक्ताओं के लिए उचित शिकायत निवारण प्रणाली नहीं है.कास्त्रो ने पिछले साल नवंबर में हुई एक घटना का उल्लेख किया जब उन्होंने उबर से टैक्सी बुक की थी, लेकिन टैक्सी वाले ने उन्हें बीच रास्ते में अंधेरे में उतार दिया. उस वक्त अधिवक्ता को पता चला कि उबर ऐप पर शिकायत दर्ज कराने के लिए कोई प्रभावी विकल्प नहीं है. कास्त्रो ने सोमवार को हाईकोर्ट  की पीठ को अपने मोबाइल फोन पर दिखाया कि उबर ऐप कैसे काम करता है. उन्होंने अदालत को ऐप की मौजूदा शिकायत निवारण प्रणाली से भी अवगत कराया जहां ग्राहक सिर्फ पहले से तय शिकायत ही दर्ज करा सकते हैं.

वहीं, उबर इंडिया के अधिवक्ता ने अदालत को बताया कि मौजूदा प्रणाली में लगभग उन सभी समस्याओं का जिक्र है जो ऐप का उपयोग करते समय ग्राहक के सामने आ सकती हैं.हालांकि, अदालत ने राज्य सरकार और उबर इंडिया दोनों से इस संबंध में 5  जनवरी तक जवाब दाखिल करने को कहा है.अदालत ने कहा कि वह जनहित याचिका पर अगली सुनवाई 10 जनवरी को करेगी.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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