न किडनैपिंग में कोई रोल है और न ही दिलीप खेडकर से रिश्‍ता...NDTV से बातचीत में मनोरमा खेडकर का बयान  

मनोरमा की मानें तो उन्‍हें नहीं मालूम है कि दिलीप खेडकर कहां पर हैं और मेरी उनसे कोई बात नहीं हुई है. मनोरमा ने कहा कि दिलीप उस दिन उनके घर आए थे लेकिन क्‍यों आए थे.

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  • मनोरमा खेडकर ने ट्रक क्लीनर के अपहरण मामले में अपने और दिलीप खेडकर के संबंधों से इनकार किया है,
  • पुलिस ने अदालत में बताया कि मामूली एक्सिडेंट से शुरू हुआ विवाद संगठित और योजनाबद्ध आपराधिक कृत्य में बदल गया.
  • पुलिस ने आरोप लगाया कि आरोपी दिलीप और मनोरमा ने जांच में सहयोग नहीं किया, सबूत मिटाए और पुलिस को गुमराह किया.
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मुंबई:

पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर की मां मनोरमा खेडकर ने किसी भी गलत काम से इनकार किया है.  साथ ही अपने परिवार के खिलाफ बढ़ते आरोपों से खुद को अलग करने की कोशिश की है. मनोरमा खेडकर इस समय दो घोटालों के केंद्र में हैं. मनोरमा खेडकर ने दिलीप खेडकर के साथ रिश्‍तों से ही इनकार कर दिया है. आपको बता दें कि खेडकर दंपति इस समय ट्रक क्‍लीनर की किडनैपिंग को लेकर चर्चा में बनी हुई है. 

'मैंने कुछ गलत नहीं किया' 

एनडीटीवी से खास बातचीत में मनोरमा खेडकर ने कहा, 'मैंने कोई गलत काम नहीं किया है. मेरा और दिलीप खेडकर का कोई रिश्ता नहीं है और हमारा तलाक हो चुका है. ट्रक क्लीनर के अपरहण मेरा कोई रोल नहीं है.' उन्‍होंने आगे कहा, 'मैंने कुछ नहीं किया है और मैं कहीं भी भागी नहीं थी. मैं अपने काम से बाहर गई थी और जो इल्‍जाम मुझ पर लगे हैं वो गलत हैं.' मनोरमा ने कहा कि बंदूक वाला जो वीडियो पिछले कुछ समय से वायरल है वह सही है. मनोरमा के अनुसार उन्‍होंने गन दिखाई थी लेकिन कुछ लोग उनके खेत तक आ गए थे. ऐसे में उन्‍होंने सिर्फ अपनी खेती की रक्षा की है. 

दिलीप कहां हैं, मुझे नहीं मालूम 

मनोरमा की मानें तो उन्‍हें नहीं मालूम है कि दिलीप खेडकर कहां पर हैं और मेरी उनसे कोई बात नहीं हुई है. मनोरमा ने कहा कि दिलीप उस दिन उनके घर आए थे लेकिन क्‍यों आए थे, इस बात की जानकारी उन्‍हें नहीं थी. मनोरमा ने कहा, 'आप उनसे ही पूछिये. न ही मैंने कोई भी सबूत मिटाया है इस मामले में  उन्‍हें फंसाया जा रहा है.' दूसरी ओर नवी मुंबई कोर्ट में टैंकर क्लीनर किडनैपिंग मामले में मुख्य आरोपी और पूर्व आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के पिता दिलीप खेडकर की एबीए याचिका पर सुनवाई के दौरान पुलिस ने अदालत में कई गंभीर मुद्दे उठाए. पुलिस का कहना है कि यह कोई सामान्य झगड़े या अपहरण का मामला नहीं, बल्कि एक संगठित और योजनाबद्ध आपराधिक कृत्य है.

1. मामूली एक्सिडेंट से शुरू होकर अपहरण तक पहुंची घटना

पुलिस के मुताबिक, 13 सितंबर को रबाले थाना क्षेत्र में दिलीप खेडकर की लैंड क्रूजर का एक मिक्सर ट्रक से हल्का एक्सिडेंट हुआ था. एक्सिडेंट के बाद गुस्से में दिलीप खेडकर ने मिक्सर चालक से मारपीट की और खर्च की भरपाई को लेकर झगड़ा किया. इसके बाद उन्होंने मिक्सर के क्लीनर प्रह्लाद कुमार को अपनी गाड़ी में बैठाकर कहा कि उसे थाने लेकर जा रहे हैं, लेकिन वे उसे थाने न ले जाकर जबरदस्ती पुणे स्थित अपने घर के बेसमेंट में बंद कर दिया. 

2. पुलिस लोकेशन ट्रेस कर पहुंची, लेकिन अंदर नहीं जाने दिया गया

पुलिस के मुताबिक, जब क्लीनर का मोबाइल चालू हुआ तो लोकेशन रबाले पुलिस को मिल गई. रबाले के एपीआई खरात और टीम चतुश्रृंगी पुलिस की मदद से पुणे पहुंची. वहां से प्रह्लाद कुमार को छुड़ाया गया. लेकिन मनोरमा खेडकर (दिलीप खेड़कर की पत्नी) ने पुलिस को अंदर घुसने से रोक दिया. उन्होंने बंगले का दरवाजा बंद कर पुलिस पर कुत्ते छोड़ दिए, जिससे पुलिस को डराने की कोशिश की गई. 

3. पुलिस से धोखे से बच निकले दिलीप और मनोरमा खेडकर

पुलिस का कहना है कि जब टीम बंगले में दाखिल होने की कोशिश कर रही थी, तब अंदर दिलीप खेड़कर, उनका ड्राइवर सालुंखे और गाड़ी मौजूद थी. लेकिन उन्होंने पुलिस को कहा कि “हम खुद चतुश्रृंगी थाने पहुंचते हैं, और उसके बाद फरार हो गए. मनोरमा खेडकर ने भी पुलिस से फोन पर कहा कि 'हमारा इस मामले से कोई लेना-देना नहीं, आप जो करना है कीजिए.' 

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4. फरारी से गवाहों में डर का माहौल

पुलिस ने अदालत को बताया कि आरोपी फरार हैं, जिसकी वजह से पीड़ित और गवाह डरे हुए हैं. प्रह्लाद कुमार तो डर के कारण कहीं और चला गया है और जांच में खुलकर बयान देने से बच रहा है. 

5. आरोपी के खिलाफ पहले से भी गंभीर मामले दर्ज

पुलिस के अनुसार, दिलीप खेडकर और मनोरमा खेउकर दोनों ही शिक्षित और पूर्व सरकारी अधिकारी जरूर हैं, लेकिन उनक क्रिमिनल बैकग्राउंड है. उन पर पहले भी पिस्तौल की नोक पर जमीन कब्जाने का केस दर्ज है. उनके सहयोगियों के खिलाफ भी कई केस दर्ज हैं, जिसकी रिपोर्ट अदालत में पेश किया गया है. 

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6. जांच में सहयोग न करने का रवैया

पुलिस का कहना है कि आरोपी लगातार जांच से बच रहे हैं. उन्होंने कई महत्वपूर्ण सबूत नष्ट किए हैं — जैसे बंगले का DVR गायब है, गाड़ी छिपाई गई है और इस्तेमाल किए गए मोबाइल फोन भी कहीं लापता हैं. पुलिस ने कहा कि उन्हें कस्टडी में लेकर ही जांच आगे बढ़ाई जा सकती है. 

7. मनोरमा खेड़कर के जमानत के बाद भी सहयोग नहीं

मनोरमा खेड़कर को बीते सोमवार को ज़मानत मिल चुकी है, लेकिन पुलिस का आरोप है कि उन्होंने अब तक जांच में सहयोग नहीं किया। पुलिस जब उनके घर नोटिस देने पहुंची तो उन्होंने जवाब देने से बचा. उनके वकील ने भी कहा कि “मनोरमा जी से अब कोई संपर्क नहीं है.

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8. पुलिस को गुमराह करने की कोशिश

4 अक्टूबर को जब दिलीप खेड़कर का जमानत अर्जी दाखिल हुई तो पुलिस कोर्ट पहुंची. उसी शाम मनोरमा खेड़कर सूर्यास्त के बाद पुलिस थाने पहुँचीं, जबकि नियमों के मुताबिक महिला आरोपी से सूर्यास्त के बाद पूछताछ नहीं की जा सकती. पुलिस का कहना है कि यह सब जानबूझकर पुलिस को गुमराह करने के लिए किया गया.

9. जमानत याचिका में झूठे दावे

पुलिस ने बताया कि मनोरमा खेड़कर ने अपने जमानत अर्ज़ी में झूठ लिखा कि पीड़ित को अच्छा खाना और सुविधा दी गई. लेकिन पीड़ित के बयान में कहा गया कि उसे बासी खाना दिया गया, जिसे उसने भूख में भी नहीं खाया. इसके अलावा उन्होंने यह भी झूठ बोला कि 'उसे सुबह खुद छोड़ा गया.'

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10. '5,000 रुपये का झगड़ा' कहानी झूठी

दिलीप खेड़कर ने अपने जमानत अर्ज़ी में लिखा है कि ड्राइवर ने 5,000 रुपये का झगड़ा किया था. पुलिस ने कोर्ट में सवाल उठाया — “क्या लैंड क्रूज़र का कोई पार्ट 5,000 रुपये में आता है?' पुलिस का कहना है कि यह भी अदालत को गुमराह करने की कोशिश है. 

11. ‘अपहरण' नहीं, संगठित अपराध

पुलिस का कहना है कि यह सिर्फ अपहरण का मामला नहीं बल्कि संघटित अपराध की श्रेणी में आता है. एक रिटायर्ड सरकारी अधिकारी द्वारा ऐसा कृत्य यह दिखाता है कि उन्हें कानून का कोई डर नहीं है. ऐसे में अगर उन्हें जमानत दी गई तो वे न सिर्फ जांच में बाधा डालेंगे बल्कि सबूतों को भी नष्ट कर सकते हैं. 

12. DVR गायब करना और बेसमेंट का सवाल

पुलिस ने कहा कि अगर यह मामूली मामला होता, तो आरोपी DVR क्यों गायब करते?  

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