Hathras News: मां छिनी, बेटी छिनी, बहू छिनी... हे भगवान! उजड़ गए कितने संसार

Hathras Satsang Stampede: उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में आयोजित एक सत्संग में मंगलवार को प्रवचनकर्ता भोले बाबा के दर्शन के लिए अनुयायियों में होड़ लग जाने और वहां की जमीन कीचड़ और फिसलन भरी होने से भगदड़ मची. इस भगदड़ में 100 से ज्‍यादा लोगों की मौत हो गई.

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विनोद ने अपनी 72 वर्षीय मौसी को खो दिया, जबकि उनकी मां सौभाग्य से बच गईं
नई दिल्‍ली:

वो किसी की मां थी, वो किसी की बहू थी, वो किसी की बेटी थी... हाथरस के हादसे में अबतक 116 लोगों की जान जा चुकी है. इन 116 में 108 महिलाएं थीं. महिलाएं घर की धुरी होती हैं. इन्‍हीं के इर्दगिर्द पूरा परिवार सिमटा होता है. ऐसे में किसी घर की धुरी के हिल जाने के मायने समझे जा सकते हैं. उत्‍तर प्रदेश के हाथरस में हुए हादसे में 108 परिवारों की महिलाएं अब इस दुनिया नहीं रहीं. इन परिवारों के लिए, तो मानो अब पूरा संसार ही उजड़ गया है. अब इन परिवारों में एक खालिपन आ गया है, जो शायद ही कभी भर पाए.      

108 महिलाएं, सात बच्चे और एक पुरुष

हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र में आयोजित सत्संग में मंगलवार को जानलेवा भगदड़ के बाद यहां सरकारी अस्पताल के अंदर बड़ा ही हृदयविदारक और मार्मिक मंजर देखने को मिला. अस्पताल के अंदर बर्फ की सिल्लियों पर शवों को रखा गया, जबकि पीड़ितों के विलाप करते परिजन शवों को घर ले जाने के लिए रात में बूंदाबांदी के बीच बाहर इंतजार कर रहे थे. अधिकारियों ने मृतकों की संख्या 116 बताई है, जिनमें 108 महिलाएं, सात बच्चे और एक पुरुष है. हाथरस जिले के सिकंदराराऊ क्षेत्र के पुलराई गांव में आयोजित प्रवचनकर्ता भोले बाबा के सत्संग में मंगलवार को भगदड़ मच गई जिससे इतना बड़ा हादसा हुआ. भगदड़ अपराह्न करीब 3.30 बजे हुई, जब बाबा कार्यक्रम स्थल से निकल रहे थे.

कोई मां को तलाश रहा, कोई बुआ को...

हादसे के बाद परिजन घटना स्‍थल पर पहुंचे और अपनों को तलाशने लगे. इसके बाद कई निराश हुए, तो कुछ भाग्‍यशाली भी थे. भगदड़ वाली जगह से सबसे नजदीकी स्वास्थ्य सुविधा केंद्र सिकंदराराऊ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) के बाहर कई लोग देर रात तक अपने लापता परिवार के सदस्यों की तलाश करते नजर आए. कासगंज जिले में रहने वाले राजेश ने बताया कि वह अपनी मां को ढूंढ रहा जबकि शिवम अपनी बुआ को ढूंढते मिला. दोनों के हाथ में मोबाइल फोन थे, जिस पर उनके रिश्तेदारों की तस्वीरें थीं. राजेश ने बताया, "मैंने एक समाचार चैनल पर अपनी मां की तस्वीर देखी और उन्हें पहचान लिया. वह हमारे गांव के दो दर्जन अन्य लोगों के साथ यहां सत्संग में शामिल होने आई थीं."

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"भीड़ में मेरी मां पीछे रह गईं और कुचल गईं"

अपनी मां सुदामा देवी (65) को खोने वाली मीना देवी ने कहा, "मैं जिस इलाके (सादिकपुर) में रहती हूं, वहां बूंदाबांदी हो रही थी, अन्यथा मैं भी अपनी मां के साथ संगत में जाने की योजना बना रही थी." गमगीन मीना बागला संयुक्त जिला अस्पताल के टीबी विभाग के बाहर बैठी थी, जहां भूतल पर कई शव रखे हुए थे. उसने पीटीआई से कहा, "मेरे भाई और भाभी, उनके बच्चे मेरी मां के साथ संगत में गए थे. भीड़ में मेरी मां पीछे रह गईं और कुचल गईं." सासनी तहसील के बरसे गांव में रहने वाले विनोद कुमार सूर्यवंशी ने अपनी 72 वर्षीय मौसी को खो दिया, जबकि उनकी मां सौभाग्य से बच गईं. ग्रेटर नोएडा से यहां आने वाली अपनी मौसी के बेटे का इंतजार करते हुए उन्होंने कहा, "मैं यहां तीन घंटे से हूं. शव अभी भी यहां है और मुझे बताया गया है कि इसे अब पोस्टमार्टम के लिए भेजा जाएगा, लेकिन मुझे नहीं पता कि इसमें और कितना समय लगेगा."

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सदमे में कई परिजन

हाथरस हादसे के बाद कई परिजन सदमे में हैं, उन्‍हें यकीन ही नहीं हो रहा है कि उनके अपने उन्‍हें छोड़कर चले गए हैं. सूर्यवंशी ने कहा कि उनकी मौसी और मां करीब 15 साल से बाबा के प्रवचन का पालन कर रही हैं और भगदड़ को ‘दुर्भाग्यपूर्ण' बताया. जिला अस्पताल में कई शव रखे गए हैं. कुछ को घटनास्थल के पास सिकंदराराऊ इलाके के ट्रॉमा सेंटर में रखा गया है, जबकि कुछ को पास के एटा जिले के सरकारी अस्पताल में भेजा गया है. राजेश ने कहा, "मेरी मां का शव यहां है, लेकिन पोस्टमार्टम कराने के लिए शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस नहीं मिल पा रही है." इस बीच, आरएसएस और बजरंग दल के कार्यकर्ता और स्वयंसेवक भी दोपहर से अस्पताल में मौजूद हैं और पीड़ितों के रिश्तेदारों को पानी के पैकेट बांट रहे हैं और चिकित्सा प्रक्रियाओं के बारे में मार्गदर्शन दे रहे हैं. पीड़ितों के कई परिजन अब भी सदमे में हैं."

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यूपी ही नहीं, हरियाणा, मध्‍य प्रदेश राजस्‍थान से भी पहुंचे थे लोग 

भगदड़ में मारे गए 116 लोगों में से ज्यादातर की शिनाख्त हो गयी है. उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से आधिकारिक तौर पर यह जानकारी दी गयी है. अधिकारियों ने बताया कि सत्संग में शामिल होने के लिए श्रद्धालु उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों के अलावा पड़ोसी राज्यों से भी आये थे. अलीगढ़ परिक्षेत्र के पुलिस महानिरीक्षक (आईजी) शलभ माथुर ने ‘पीटीआई-भाषा' को बताया कि हाथरस में भगदड़ की घटना में 116 लोगों की मौत हुई है. अधिकारियों ने बताया कि एटा और हाथरस सटे हुए जिले हैं और सत्संग में एटा के लोग भी शामिल होने पहुंचे थे. उन्होंने बताया कि इसके अलावा सत्संग में आगरा, संभल, ललितपुर, अलीगढ़, बदायूं, कासगंज, मथुरा, औरैया, पीलीभीत, शाहजहांपुरर, बुलंदशहर, हरियाणा के फरीदाबाद और पलवल, मध्यप्रदेश के ग्वालियर, राजस्थान के डीग आदि जिलों से भी अनुयायी सत्संग में पहुंचे थे.

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इन लोगों की गई जान...


उत्तर प्रदेश के राहत आयुक्‍त की ओर से जारी सूची के अनुसार मृतकों की पहचान खुशबू (जलेसर), वीरा (बदायूं) रामवती (पीलीभीत) ऊषा (बुलंदशहर), धरमवती (बदायूं), माया (बुलंदशहर) सुखवती (ललितपुर), शीला (आगरा), रामवेटी (पीलीभीत), बासो (मथुरा), सुनीता, सुदामा (कासगंज), प्रेमवती (दादरी) ईश्‍वर प्‍यारी (एटा) राजकुमारी (अलीगढ़), रामादेवी (शाहजहांपुर), राधा देवी (आगरा), संगीता देवी (आगरा), शीला देवी (औरैया), पिंकी शर्मा (संभल) के तौर पर की गई है. उन्होंने बताया कि हादसे में ममता (आगरा), इंद्रावती (हाथरस), गुडिया (आगरा), ममता (अलीगढ़), मीना (एटा), सीमा (कासगंज) युवांश (कासगंज), रोशनी (बदायूं), राजवती (हाथरस), गुडडी (आगरा), रामादेवी (फिरोजाबाद), गौरी (बुलंदशहर), भगवान देवी (मथुरा), मुन्‍नी देवी (कासगंज), सुधा, निहाल देवी (आगरा), रामनरेश (औरैया), श्रीमती सर्वेश (अलीगढ़), मंजू (अकराबाद) की भी मौत हुई है. सूची के मुताबिक, मृतकों में पंकज (अकराबाद) दीपमाला (शाहजहांपुर), जशोदा (लखीमपुर खीरी), कुसुम (बदायूं), बैजंती (आगरा), मुन्‍नी (हाथरस), रामवेटी (आगरा), शांति देवी (अलीगढ़), राजेंद्री (राजस्‍थान), गीता देवी (आगरा), गीता देवी की भांजी (आगरा), आशा देवी (हाथरस), रामश्री (ग्‍वालियर-मध्‍यप्रदेश), सविता (आगरा), शीला देवी (हाथरस), सावित्री (हाथरस), यशोदा (मथुरा), चंद्रप्रभा (एटा), काव्‍या (शाहजहांपुर), आयुष (शा‍हजहांपुर), रोविन (एटा), ज्‍योति (बुलंदशहर), मीरा (कासगंज), सोमवती (कासगंज), गंगा देवी (हाथरस), रेवती (कासगंज), प्रियंका (कासगंज), बीना (एटा), सोनदेवी (हाथरस), कमलेश (मथुरा), शिवराज (अलीगढ़), मुन्‍नी देवी (आगरा), चंद्रवती (पलवल-हरियाणा), कमला देवी (कासगंज) और श्रीमती त्रिवेणी (मथुरा) शामिल हैं. इसके अलावा शेष शवों की पहचान की कोशिश की जा रही है.
(भाषा इनपुट के साथ...)

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