बाबा के सत्संग ग्राउंड में आने से लेकर भगदड़ मचने तक, जानें हाथरस में उस दिन कब-कब क्या-क्या हुआ

हाथरस के जिस मैदान में मंगलवार को सत्संग का आयोजन किया गया था, वहां सत्संग शुरू होने से पहले बारिश हुई थी. इस वजह से उस मैदान में फिसलन ज्यादा थी. इस वजह से उस दिन भगदड़ के दौरान ज्यादा लोगों की मौत हुई है.

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हाथरस में सत्संग के दौरान मची थी भगदड़, 121 लोगों की गई है जान
नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के हाथरस में बीते मंगलवार को भोले बाबा के सत्संग के दौरान मची भगदड़ में 121 लोगों की मौत हो चुकी है. यह घटना इतनी बड़ी थी कि इस हादसे के सामने आते ही राष्ट्रपति मुर्मू, पीएम मोदी समेत सूबे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शोक व्यक्त किया था. साथ ही सीएम योगी ने इस पूरे मामले की जांच के भी आदेश दिए हैं. आज हम आपको एनिमेशन के माध्यम से बताने जा रहे हैं कि आखिर बीते मंगलवार की दोपहर पर हाथरस के उस सत्संग ग्राउंड में क्या कुछ हुआ था. 

इस सत्संग का आयोजन जीटी रोड के पास फुलरई गांव में किया गया था. इसी गांव में सत्संग के लिए भोले बाबा यहां पहुंचे थे. भोले बाबा मंगलवार दोपहर 12.30 बजे सत्संग ग्राउंड में पहुंचा था. दोपहर 12.55 बजे बाबा ने अपना प्रवचन शुरू किया. इस दौरान लाखों की भीड़ सत्संग स्थल पर मौजूद थी. भोले बाबा का प्रवचन दोपहर 1.45 बजे पूरा हो गया.

इसके बाद बाबा सत्संग ग्राउंड से निकलकर जाने लगा. जैसे ही भोले बाबा अपना प्रवचन देकर वहां से निकलते है वैसे ही उसकी गाड़ी के पीछे भक्त दौड़ पड़ते हैं. भक्त बाबा के चरण के धूल लेने के लिए दौड़े थे. इसके बाद दोपहर 1.55 बजे सत्संग स्थल पर भगदड़ सी मच गई. 

जिस जगह पर ये सत्संग हो रहा था उसी के बगल में एक खेत है जहां पानी भरा हुआ था. ऐसे में जब लाखों लोगों के बीच भगदड़ मची तो बड़ी संख्या में लोग इन गड्ढों में गिर गए. जो लोग इन गड्ढों में गिरे वो दोबारा उठ नहीं पाए. जिन लोगों की मौत इन गड्ढों में गिरने से हुई है, उनके पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में भी इस बात का जिक्र है कि ऐसे लोगों की मौत दम घुटने से हुई है. इन लोगों के सीने में खून के धक्के भी मिले हैं. 

बारिश की वजह से खेत में थी फिसलन, इसलिए हुआ हादसा 

मंगलवार को जो भक्त सत्संग के दौरान हाथरस में मौजूद थे उनके अनुसार सत्संग से पहले वहां बारिश हुई थी. इस वजह से सत्संग ग्राउंड में जगह-जगह पर पानी था. बारिश के कारण खेत की मिट्टी चिकनी और फिसलन वाली थी, इस वजह से जब लोग बाबा के काफिले की की तरफ दौड़े तो फिसलकर गिरने लगे. इस वजह से भी उस दिन बड़ा हादसा हुआ था.  साथ ही सड़क और खेत के बीच फिसलन भरी ढलान थी. फसल कटने के बाद खेत खाली पड़ी थी. कार्यक्रम स्थल कोई सपाट मैदान की तरह नहीं था.