हाथरस हादसे की FIR में बाबा का नाम क्यों नहीं? कौन दे रहा संरक्षण

भोले बाबा अपने समागम में दावा करते हैं कि 18 साल की नौकरी के बाद उन्होंने 90 के दशक में VRS ले लिया था. उसके बाद उन्हें भगवान के दर्शन हुए. भगवान की इच्छा पर ही वो सत्संग में लोगों को मानवता का प्रवचन देते हैं. हालांकि, उनके दावे झूठे हैं.

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नई दिल्ली:

यूपी के हाथरस में सत्संग के दौरान मची भगदड़ (Hathras Stampede) में अब तक 121 लोगों की जान जा चुकी है. 100 से ज्यादा लोग जख्मी हुए हैं. हाथरस हादसे के जिम्मेदार लोगों पर सख्त कार्रवाई की मांग उठ रही है. सीएम योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने मामले की जांच के लिए SIT बना दी है. हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज इस मामले की जांच करेंगे. पुलिस ने FIR भी दर्ज कर ली है. इसमें 22 लोगों को आरोपी बताया गया है. इन सबके बीच हैरानी वाली बात ये कि जिस बाबा के सत्संग में मौत का तांडव हुआ और 121 लोगों को जान गंवानी पड़ी, उस नारायण साकार हरि उर्फ भोले बाबा का नाम FIR में है ही नहीं. इसे लेकर कई सवाल खड़े हो रहे हैं. आखिर जिस बाबा के प्रवचन की वजह से इतनी भीड़ जुटी और यह हादसा हुआ, उसे भी आरोपी क्यों नहीं बनाया गया है. कौन बाबा को संरक्षण देता है? हादसे की FIR में बाबा का नाम क्यों नहीं है?

पुलिस के मुताबिक, हाथरस में सत्संग के बाद जिस समय भगदड़ मची, उस वक्त मौके पर बाबा नहीं थे. भोले बाबा बाबा का इस हादसे में सीधे कोई रोल नहीं है. इसलिए वह अभी तक आरोपी नहीं हैं. तर्क ये भी दिया जा रहा है कि सत्संग जैसे कार्यक्रमों में आयोजनकर्ता की असली जिम्मेदारी होती है. आयोजनकर्ताओं को देखना होता है कि कार्यक्रम में कितने लोग आएंगे? वो कहां बैठेंगे और कैसे उन्हें कार्यक्रम के बाद सुरक्षित तरीके से कार्यक्रम स्थल से रवाना किया जाएगा. प्रशासन के संपर्क में आयोजक ही रहते हैं. बाबा डायरेक्ट बात नहीं करते. माना जा रहा है कि इन सब वजहों से अभी तक बाबा पर FIR दर्ज नहीं हुई है.  

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भगदड़ के 24 घंटे बाद बाबा ने दिया बयान
हाथरस हादसे के 24 घंटे बाद भोले बाबा का पहला बयान आया है. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के वकील एपी सिंह के जरिए लिखित बयान जारी किया. बाबा की तरफ से कहा गया, "मैं जब समागम से निकल गया, इसके बाद हादसा हुआ. असामाजिक तत्वों ने भगदड़ मचाई. इन लोगों के खिलाफ लीगल एक्शन लूंगा. घायलों के स्वस्थ होने की कामना करता हूं."

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भगदड़ में मरने वालों में 112 महिलाएं
बाबा के सत्संग के बाद हुई भगदड़ में कुल 121 मौतें हुई हैं. इनमें 112 महिलाएं हैं. मरने वालों में 7 बच्चे और 3 पुरुष शामिल हैं. हादसे में 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं. आगरा, हाथरस, एटा के अस्पतालों में इनका इलाज चल रहा है.

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कौन हैं भोले बाबा?
भोले बाबा का असली नाम सूरज पाल उर्फ नारायण हरि है. वो एटा के रहने वाले हैं. उनका कनेक्शन सियासत से भी है. कुछ मौकों पर यूपी के कई बड़े नेताओं को उनके मंच पर देखा गया. समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव भी उनके सत्संग में जा चुके हैं. अखिलेश ने अपने X हैंडल से बाबा के सत्संग की तस्वीरें शेयर की थीं.

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सूरज पाल से कैसे बने भोले बाबा?
सूरज पाल सिंह पहले अपने पिता के साथ खेती-किसानी करते थे. बाद में यूपी पुलिस में भर्ती हो गए. उनकी पोस्टिंग यूपी के 12 थानों के अलावा इंटेलिजेंस यूनिट में रही. 28 साल पहले यूपी पुलिस में हेड कॉन्सस्टेबल की नौकरी के दौरान इटावा में बाबा पर यौन शोषण का मुकदमा दर्ज हुआ. जिसके बाद उन्हें पुलिस विभाग से बर्खास्त किया गया. कुछ दिनों की जेल भी हुई. जेल से छूटने के बाद सूरज पाल ने अपना नाम, काम और पहचान सबकुछ बदल लिया. वो बर्खास्त पुलिसकर्मी से बाबा बन गए. प्रवचन देने वाले भोले बाबा. 

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समागम में खुद को लेकर करते हैं झूठे दावे
हालांकि, भोले बाबा अपने समागम में दावा करते हैं कि 18 साल की नौकरी के बाद उन्होंने 90 के दशक में VRS ले लिया था. उसके बाद उन्हें भगवान के दर्शन हुए. भगवान की इच्छा पर ही वो सत्संग में लोगों को मानवता का प्रवचन देते हैं.

SC/ST समुदायों में अच्छी पकड़
भोले बाबा खुद जाटव समुदाय से हैं. ऐसे में SC/ST और OBC वर्ग में उनकी गहरी पैठ है. मुस्लिम भी उनके अनुयायी हैं. उनके अनुयायी यूपी, राजस्थान और मध्य प्रदेश में हैं. उनके हर समागम में लाखों लोगों की भीड़ उमड़ती है. हाथरस के सत्संग के लिए आयोजकों ने प्रशासन से 80 हजार लोगों की परमिशन ली थी. लेकिन समागम में ढाई लाख से ज्यादा लोग पहुंच गए थे.

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भक्तों की मौत को भगवान की इच्छा बताते हैं सेवादार
हाथरस में बाबा के दरबार में लाशों का अंबार लग गया. लेकिन उनके सेवादार 121 लोगों की मौत को सत्संग में बदइंतजामी का नतीजा नहीं, बल्कि भगवान की इच्छा बताते हैं. बाबा के हाथरस आश्रम में सेवादार के तौर पर काम करने वाले एक युवक सत्यवान ने कहा, "हमारे बाबा परम ब्रह्म हैं. चरणों की धूल से लोगों के कष्ट कम हो जाते हैं. हादसे में जिनकी जान गई, उनकी मौत आ गई थी. ये मौत भगवान की इच्छा से हुई. बाबा जी किसी से कोई पैसा नहीं लेते."

सत्संग में नहीं थी पानी और मेडिकल सुविधाएं
बाबा के सत्संग में बदइंतज़ामी साफ देखी गई थी. 80 हजार लोगों की क्षमता वाली जगह पर ढाई लाख लोग आ गए. इतनी गर्मी में इतने लोगों के लिए बैठने और खड़े होने का इंतजाम नहीं था. पीने के लिए न तो पानी था और न पंखे का इंतजाम था.
लोगों के न तो एंट्री गेट था और न एग्जिट गेट. इमरजेंसी गेट की भी व्यवस्था नहीं की गई थी. इतनी भीड़ के बावजूद किसी तरह की मेडिकल फेसिलिटी नहीं रखी गई थी. एंबुलेंस और फायर ब्रिगेड तक नहीं था. 

भक्तों को मरता छोड़ अपने आश्रम भागे बाबा
और तो और... जब हाथरस में मौत का तांडव चल रहा था. सत्संग की जमीन श्मशान भूमि में तब्दील होती जा रही थी, तब बाबा अपने भक्तों के साथ खड़े होने के बजाय मैनपुरी में अपने आश्रम भाग गए. वहां उनका फूल-मालाओं से ग्रैंड वेलकम भी हुआ. बताया जा रहा है कि इसी आश्रम में वो अंडरग्राउंड हैं. आश्रम के बाहर भारी पुलिस फोर्स की तैनाती है. 

FIR में कौन-कौन सी धाराएं?
एक सीनियर अधिकारी के मुताबिक, हाथरस मामले में मंगलवार देर रात सिकंदराराऊ पुलिस स्टेशन में FIR दर्ज कराई गई है. इसमें मुख्य सेवादार देवप्रकाश मधुकर और अन्य आयोजकों समेत 22 आरोपियों का नाम है. FIR में भारतीय न्याय संहिता की धारा 105 (गैर-इरादतन हत्या), 110, 126 (2) जबरन बंधक बनाना, 223, 238 (अपराध के सबूतों और साक्ष्यों को मिटाना) के तहत दर्ज की गई हैं.

सवाल जिनके चाहिए जवाब
पूरे मामले में तमाम सवाल खड़े होते हैं. अगर बाबा स्वयंभू या भगवान का एजेंट हैं, तो इतनी मौतें कैसे देखते रहे? इतने बड़े हादसे के सबसे बड़े ज़िम्मेदार पर किसी की नज़र क्यों नहीं है? कोई पुलिसवाला उनका नाम किसी केस में क्यों नहीं दर्ज करता? कोई नेता उसका नाम लेने से क्यों घबराता है? महिला आयोग की अध्यक्ष मांग कर रही हैं कि हादसे की FIR में बाबा का भी नाम हो, लेकिन अभी तक ये नाम क्यों नहीं है? आखिर बाबा को कहां से मिल रही इतनी ताकत? कौन बाबा को बचा रहा है?  

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