भोले बाबा 23 साल पहले आगरा में हुए थे गिरफ्तार, मरी हुई बेटी में जान फूंकने का किया था दावा

भोले बाबा पर औषधी और चमत्कारी उपचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. दिसंबर 2000 में साकार विश्व हरि भोले बाबा यानी सूरज पाल सहित 7 लोग गिरफ्तार हुए थे. हालांकि, सबूतों के अभाव में कोर्ट से सबको बरी कर दिया गया था.

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नई दिल्ली:

उत्तर प्रदेश के हाथरस में मंगलवार को एक सत्संग में हुई भगदड़ में अब तक 121 लोगों की जान जा चुकी है. इस सत्संग में प्रवचन -देने वाले नारायण साकार हरि या साकार विश्व हरि उर्फ भोले बाबा सुर्खियों में हैं. उन्हें लेकर नए-नए खुलासे हो रहे हैं. पहले मैनपुरी में भोले बाबा के लग्जरी आश्रम का वीडियो सामने आया. अब उनका कच्चा चिट्ठा भी सामने आने लगा है. नारायण साकार हरि उर्फ सूरजपाल भोले बाबा के खिलाफ आगरा में साल 2000 में केस दर्ज हुआ था. मुर्दे में जान फूंकने वाले 'चमत्कार' के झूठा दावा करने के आरोप में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था. उस समय उनके अनुयायियों पर पुलिस ने लाठी भी चार्ज की थी. उसके बाद से भोले बाबा आगरा में अपने आश्रम नहीं आए हैं.

NDTV के पास 2000 में भोले बाबा पर दर्ज हुए FIR की कॉपी है. FIR की कॉपी के मुताबिक, उस समय भोले बाबा पर औषधी और चमत्कारी उपचार अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था. दिसंबर 2000 में साकार विश्व हरि भोले बाबा यानी सूरज पाल सहित 7 लोग गिरफ्तार हुए थे. हालांकि, सबूतों के अभाव में कोर्ट से सबको बरी कर दिया गया था.

पंकज नाम के एक स्थानीय निवासी ने NDTV को 2000 की उस घटना के बारे में बताया है. पंकज ने बताया कि भोले बाबा क्यों दिसंबर 2000 के बाद से आगरा के इस आश्रम में नहीं आए हैं.

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भोले बाबा ने अपनी भतीजी को लिया था गोद
पंकज के मुताबिक, कासगंज के पटियाली तहसील के रहने वाले सूरजपाल सिंह जाटव उर्फ एसपी सिंह उर्फ भोले बाबा यूपी पुलिस में बतौर सिपाही भर्ती हुए थे. सूरजपाल सिंह जाटव की शादी गांव से 15 किलोमीटर दूर दरियावगंज कोटिया गांव की रहने वाली प्रेमादेवी से 40 साल पहले हुई थी. प्रेमा देवी और सूरजपाल सिंह उर्फ भोले बाबा के कोई संतान नहीं थी. साकार हरि उर्फ भोले बाबा ने बाबा बनने से पहले अपने भाई की बेटी या अपनी भतीजी को ही गोद ले लिया था. लेकिन कुछ ही दिनों में उस बच्ची को कैंसर हो गया था. उसके गले में गांठ पड़ गई थी.

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अनुयायियों को लगा बच्ची को जिंदा कर देंगे भोले बाबा
पंकज बताते हैं, "एक दिन अचानक बच्ची बेहोश हो गई. उस समय तक सूरजपाल सिंह की भोले बाबा वाली छवि जमाने में छा चुकी थी. ऐसे में अनुयायियों को लगा कि भोले बाबा बच्ची को ठीक करे देंगे. अनुयायियों के जोर देने और चमत्कार दिखाने की गुहार के बीच बाबा ने बच्ची को हिलाया डुलाया. इससे बच्ची कुछ देर बाद होश में भी आ गई. इस बात का बाबा के भक्तों पर गहरा असर पड़ा. गांव में बात फैल गई कि भोले बाबा मुर्दे में जान भी फूंक सकते हैं और चमत्कार से मरे हुए को जिंदा कर सकते हैं."

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कुछ देर में ही बच्ची की हो गई थी मौत
हालांकि, होश में आने के कुछ ही देर बाद ही बच्ची की मौत हो गई. जब बच्ची का शव श्मशान घाट ले जाया गया, तो वहां बाबा भोले के अनुयायी इस बात पर अड़ गए थे कि बाबा आकर बच्ची को फिर जिंदा कर देंगे. हालात इस कदर बिगड़े कि चार चार थानों की फोर्स मौके पर जा पहुंची. पुलिस ने बाबा के अनुयायियों पर लाठीचार्ज की. भोले बाबा को भी गिरफ्तार कर लिया गया. पु

पुलिस ने औषधि और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम 1954  के तहत मुकदमा दर्ज किया था. हालांकि, सबूत के अभाव में कोर्ट से सूरजपाल साकार हरि उर्फ भोले बाबा समेत 7 लोग बरी हो गए थे.

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