देश में आम चुनाव हो रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) सहित देश के कई नेता इन दिनों गारंटी दे रहे हैं. अब किसकी गारंटी पर जनता यकीन करती है, यह तो 4 जून को ही पता चलेगा. 2019 के बाद 2024 के चुनाव में भी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) का मुद्दा बन गया है. एनडीटीवी के एडिटर-इन-चीफ संजय पुगलिया को दिए इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने HALको लेकर विपक्ष को करारा जवाब दिया था. प्रधानमंत्री ने कहा था, "HALको देखिए, जिसको लेकर इन्होंने जुलूस निकाला था, मजदूरों को भड़काने की कोशिश की गई थी, आज HALचौथी तिमाही में 4 हजार करोड़ का रिकॉर्ड प्रॉफिट किया है. यह कभी HAL के इतिहास में नहीं हुआ है."
किसने शुरू किया विवाद?
दरअसल, 2019 के चुनाव में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर HAL को 'कमजोर' करने का आरोप लगाया. उनका यह आरोप उस मीडिया रिपोर्ट के बाद आया था कि वित्तीय संकट से जूझ रही एचएएल को अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए उधार लेने पर मजबूर होना पड़ रहा है. राहुल गांधी तब राफेल सौदे को लेकर आक्रामक थे और उन्होंने कहा था, "राफेल को एचएएल से छीन लिया गया और अब इस काम को पूरा करने के लिए सूट-बूट वाले दोस्त को एचएएल में काम करने वाले लोगों की जरूरत है. एचएएल को कमजोर किए बिना यह काम नहीं हो सकता." इस चुनाव में भी राहुल गांधी सार्वजनिक उपक्रमों को लेकर मोदी सरकार पर हमलावार हैं.
कब हुई स्थापना?
हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड (HAL) का सफर वर्ष 1940 में बेंगलुरु से शुरू हुआ था. वालचंद हीराचंद ने मैसूर सरकार के साथ मिलकर भारत में एयरक्राफ्ट बनाने का सपना देखा और इसकी नींव रखी. भारत सरकार इसकी शेयर होल्डर थी लेकिन 1942 में इसका मैनेजमेंट अपने हाथों में ले लिया. आजादी मिलने के बाद 1951 में इसका प्रशासनिक नियंत्रण रक्षा मंत्रालय के अधीन कर दिया गया. अगस्त 1951 में इसने HT-2 ट्रेनर एयरक्राफ्ट बनाया और भारतीय वायु सेना सहित कई अन्य ग्राहकों को इसकी सप्लाई की.
जून 1964 में, विमान निर्माण डिपो (जिसे 1960 में एचएस-748 परिवहन विमान के लिए एयरफ्रेम का उत्पादन करने के लिए वायु सेना इकाई के रूप में कानपुर में स्थापित किया गया था) को एआईएल को स्थानांतरित कर दिया गया था. इसके तुरंत बाद, सरकार ने हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड को एआईएल के साथ मिलाने का फैसला किया ताकि विमानन के क्षेत्र में संसाधनों का संरक्षण किया जा सके, जहां देश में तकनीकी प्रतिभा सीमित थी और सभी विमान निर्माण इकाइयों की गतिविधियों को योजनाबद्ध और समन्वित करने में सबसे कुशल और किफायती तरीके से सक्षम बनाया जा सके.
ऐसे बदला स्वरूप
1 अक्टूबर 1964 को भारत सरकार ने हिंदुस्तान एयरक्राफ्ट लिमिटेड और एयरोनॉटिक्स इंडिया लिमिटेड को मिलाकर एक कंपनी बना दी और इसे "हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL)" नाम दिया गया. इस कंपनी का मुख्य काम विमान, हेलीकॉप्टर, इंजन और एवियोनिक्स, उपकरण और सहायक उपकरण जैसी संबंधित प्रणालियों का डिजाइन, विकास, निर्माण, मरम्मत और ओवरहालिंग करना शामिल है. 1970 में, फ्रांस के मेसर्स SNIAS से लाइसेंस के तहत बेंगलुरु में 'चेतक' और 'चीता' हेलीकॉप्टरों के निर्माण के लिए विशेष रूप से एक अलग डिविजन स्थापित किया गया. मिग-21 सीरीज के विमानों के लिए सहायक उपकरण के निर्माण के लिए यूएसएसआर अधिकारियों के साथ इसी प्रकार की व्यवस्था पर समझौते हुए.1979 में, ब्रिटिश एयरोस्पेस के साथ लाइसेंस समझौते की मांग करने के बाद, कंपनी ने 'जगुआर' विमान और एडौर इंजन के लिए रोल्स रॉयस-टर्बोमेका के साथ निर्माण शुरू किया. 1983 के दौरान, जिला सुल्तानपुर (यूपी) में एचएएल के कोरवा डिवीजन की स्थापना इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम (आईएनएस), हेड अप डिस्प्ले और वेपन एइमिंग कंप्यूटर (एचयूडीडब्ल्यूएसी), कंबाइंड मैप और इलेक्ट्रॉनिक्स डिस्प्ले (सीओएमईडी), लेजर रेंजर और मार्क्ड टारगेट के निर्माण के लिए की गई थी. 1988 में एक अलग एयरोस्पेस डिवीजन की स्थापना की गई.
अतंरिक्ष से लेकर स्वदेशी निर्माण
एचएएल वर्तमान में एयरोस्पेस डिवीजन के माध्यम से इसरो के एयरोस्पेस लॉन्च वाहनों और उपग्रहों के लिए संरचनाओं की आवश्यकताओं को पूरा कर रहा है. जीएसएलवी एमके.III, मंगल मिशन और मानव क्रू मॉड्यूल के लिए संरचनाओं की आपूर्ति एचएएल द्वारा इसरो को की गई हैय एचएएल क्रायोजेनिक इंजन के निर्माण के लिए समर्पित सुविधा भी स्थापित कर रहा है. हल्के लड़ाकू विमान (एलसीए) के उत्पादन के लिए,
एचएएल में चल रहे विनिर्माण कार्यक्रमों में एसयू-30 एमकेआई, एलसीए और डीओ-228 विमान और एएलएच-ध्रुव, चेतक, चीतल और एलसीएच हेलीकॉप्टरों का उत्पादन शामिल है. जगुआर (अपग्रेड के साथ), मिराज (अपग्रेड के साथ), किरण, एचएस-748, एएन-32, मिग 21, एसयू-30 एमकेआई, हॉक, डोर्नियर डीओ-228, एएलएच , चीतल, चीता और चेतक के रिपेयर ओवरहाल (आरओएच) कार्यक्रम वर्तमान में चलाए जा रहे हैं.
दूसरे देशों को करने लगा निर्यात
वर्तमान में, 13 प्रकार के विमानों/हेलीकॉप्टरों और इंजनों की ओवरहालिंग की जा रही है. वैश्विक खिलाड़ी बनने के एचएएल के मिशन के अनुरूप, निर्यात को प्रमुख क्षेत्रों में से एक के रूप में पहचाना गया है. एचएएल ने अंतरराष्ट्रीय ग्राहकों को ध्रुव, लांसर, चेतक और चीता हेलीकॉप्टर और Do-228 विमानों की आपूर्ति की है और उपरोक्त प्लेटफार्मों के लिए उत्पाद समर्थन भी प्रदान कर रहा है. फिलहाल प्रमुख स्वदेशी विकास कार्यक्रम हैं लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एलसीए) एमके 1ए, लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच), लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर (एलयूएच), बेसिक टर्बोप्रॉप ट्रेनर एचटीटी 40 और इंडियन मल्टी रोल हेलीकॉप्टर (आईएमआरएच). HTFE-25 और HTSE-1200 इंजनों का डिजाइन और विकास भी शुरू किया गया है.
सीतारमण ने भी दिया जवाब
भाषा के अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 8 मई 2024 को कहा कि कांग्रेस नीत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के दौरान सार्वजनिक उपक्रमों को नुकसान उठाना पड़ा था. पहले उपेक्षित रहे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) जैसे उपक्रमों का प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी नीत सरकार के दौरान ‘‘पुनरुत्थान'' हुआ. राहुल गांधी के सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के परेशानी झेलने के आरोपों का खंडन करते हुए सीतारमण ने कहा कि यह ‘‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे'' जैसा है. मंत्री ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स' पर लिखा, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (पीएसयू) फल-फूल रहे हैं, तथा उन्हें बढ़ी हुई परिचालन स्वतंत्रता के साथ-साथ उनमें पेशेवर संस्कृति का संचार हुआ है.
वित्त मंत्री ने बताई आर्थिक सेहत
वित्त मंत्री ने राहुल गांधी पर एचएएल को लेकर ‘‘दुर्भावनापूर्ण'' हमला करने का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके दावों के विपरीत, एचएएल का बाजार मूल्यांकन चार वर्षों में 1,370 प्रतिशत बढ़ गया है. यह 2020 में 17,398 करोड़ रुपये से बढ़कर सात मई 2024 तक 2.5 लाख करोड़ रुपये था. एचएएल ने 31 मार्च 2024 को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 29,810 करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व दर्ज करने की घोषणा की है. यह उसका अभी तक का सर्वाधिक राजस्व है. उसके पास 94,000 करोड़ रुपये से अधिक का मजबूत ऑर्डर बुक भी है.