हरियाणा सरकार 10 हजार मजदूरों को इजरायल भेजने की कर रही है तैयारी, विपक्षी दलों ने साधा निशाना

15 दिसंबर को कुछ अखबारों में छपा यह विज्ञापन राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हरियाणा कौशल रोजगार निगम द्वारा जारी किया गया है.

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चंडीगढ़:

हरियाणा सरकार (Haryana Government) की तरफ से जारी एक विज्ञापन को लेकर राज्य में विवाद देखने को मिल रहा है. राज्य सरकार की तरफ से जारी एक विज्ञापन में 10 हजार मजदूरों को इजरायल भेजने की बात कही गयी है. गौरतलब है कि इजरायल में पिछले 2 महीने से लगातार युद्ध जारी है. हमास के साथ युद्ध के बीच इजरायल में मजदूरों का संकट देखने को मिल रहा है. सरकार की तरफ से जारी विज्ञापन का विपक्षी दलों की तरफ से जमकर आलोचना की गयी है. 

हालांकि, हरियाणा सरकार ने इस कदम का बचाव करते हुए कहा है कि इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि ट्रैवल एजेंट लोगों को दूसरे देशों में नौकरी की पेशकश करके लूट नहीं सकें और अगर मजदूर ऐसा करने में सहज नहीं हैं तो उनके लिए इज़रायल जाने की कोई बाध्यता नहीं है. 

15 दिसंबर को जारी किया गया विज्ञापन

15 दिसंबर को कुछ अखबारों में छपा यह विज्ञापन राज्य की सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी हरियाणा कौशल रोजगार निगम द्वारा जारी किया गया है. यह ऐसे समय में आया है जब सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक, हरियाणा में देश में सबसे ज्यादा बेरोजगारी दर है, और लगभग 90,000 वर्क परमिट रद्द होने के कारण इज़रायल को निर्माण श्रमिकों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है. हमास के साथ युद्ध के कारण फिलिस्तीन के मजदूरों के वर्क परमिट को इजरायल ने खत्म कर दिया है. 

हरियाणा में बेरोजगारी दर 2013-14 (जब कांग्रेस सत्ता में थी) में 2.9 प्रतिशत थी, जो 2021-22 में बढ़कर 9 प्रतिशत हो गई. 31 जुलाई, 2023 तक, राज्य में 5.44 लाख बेरोजगार युवाओं को रोजगार कार्यालयों में पंजीकृत किया गया है.

इस साल जनवरी में जारी सीएमआईई के आंकड़ों से पता चला है कि, 37.4 प्रतिशत के साथ हरियाणा में बेरोजगारी दर भारत में सबसे अधिक है, जबकि राष्ट्रीय बेरोजगारी दर 8.3 प्रतिशत है. हालांकि बीजेपी के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने सीएमआईई डेटा को खारिज कर दिया है और रोजगार प्रदान करने के अपने दावों को मजबूत करने के लिए कर्मचारी चयन आयोग और हरियाणा लोक सेवा आयोग सहित अन्य में भर्तियों की ओर इशारा किया है. 

पिछले महीने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश के बाद भी हरियाण सरकार की आलोचना बढ़ गयी है. जिसमें अदालत ने हरियाणा के निवासियों को निजी नौकरियों में 75% आरक्षण प्रदान करने वाले 2020 के कानून को रद्द कर दिया था. 

"सरकार हमें देश में ही दे जॉब"

कुरूक्षेत्र के एक श्रमिक ने एनडीटीवी से बात करते हुए कहा कि सरकार को उन्हें भारत में नौकरी देनी चाहिए. एक निर्माण श्रमिक चंदन ने कहा कि इजरायल युद्ध में शामिल है, सरकार हमें वहां क्यों भेज रही है? सरकार कहती रहती है कि हमारा देश अमीर बन रहा है. विपक्ष ने भी हरियाणा में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधा है. कांग्रेस विधायक नीरज शर्मा ने कहा, "हर कोई जानता है कि इज़राइल एक युद्धक्षेत्र है. राज्य सरकार को हमारे युवाओं को हरियाणा में ही नौकरी देनी चाहिए."

हरियाणा सरकार ने क्या कहा?

हरियाणा सरकार ने पूरे मामले पर बताया है कि उसका उद्देश्य धोखाधड़ी को रोकना है और अगर लोग नहीं चाहते हैं तो उन्हें इज़रायल नहीं जाना पड़ेगा. हरियाणा के शिक्षा मंत्री कंवर पाल गुज्जर ने कहा कि "यह सरकार की एक अनूठी पहल है, जो यह सुनिश्चित करेगी कि ट्रैवल एजेंट लोगों को लूट न सकें. हमें इस बारे में हर दिन शिकायतें मिलती हैं. इजरायल जाने के लिए कोई बाध्यता नहीं है, यह केवल उन लोगों के लिए है जो जाना चाहते हैं.

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