हरियाणा : भड़काऊ भाषण मामले में कोर्ट ने खारिज की जामिया शूटर की जमानत अर्जी

19 वर्षीय आरोपी को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में इस हफ्ते हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार किया था. अदालत ने आज (शुक्रवार) आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी.

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पुलिस ने इस हफ्ते आरोपी को गिरफ्तार किया था. (फाइल फोटो)
चंडीगढ़:

पिछले साल जनवरी में दिल्ली स्थित जामिया मिलिया इस्लामिया में CAA के खिलाफ प्रदर्शनकारियों पर गोली चलाने वाला शख्स एक बार फिर सुर्खियों में है. दरअसल 19 वर्षीय आरोपी को भड़काऊ भाषण देने के आरोप में इस हफ्ते हरियाणा पुलिस ने गिरफ्तार किया था. अदालत ने आज (शुक्रवार) आरोपी की जमानत अर्जी खारिज कर दी. पटौदी में आयोजित सभा में उसने कथित तौर पर एक विशेष धर्म समुदाय की लड़कियों के अपहरण और हत्या का आग्रह करने से जुड़ी टिप्पणी की थी. उस कार्यक्रम में हरियाणा BJP के प्रवक्ता और करणी सेना के अध्यक्ष सूरज पाल अमू ने भी हिस्सा लिया था.

गुड़गांव की अदालत ने आरोपी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, 'घटना की वीडियो रिकॉर्डिंग देखकर उनका विवेक पूरी तरह से स्तब्ध हो गया. भारतीय समाज को इस तरह के लोगों से निपटने की जरूरत है, जिन्हें अगर मौका दिया गया तो वे अपनी धार्मिक घृणा के आधार पर निर्दोष लोगों की जान लेने के लिए सामूहिक हत्या का आयोजन करेंगे.'

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अदालत ने आगे कहा, 'अदालत में पेश हुआ आरोपी कोई साधारण, निर्दोष युवा लड़का नहीं है, जो कुछ नहीं जानता है. उसने अपने कृत्य से बताया है कि उसने अतीत में क्या किया है. वह अब बिना किसी डर के अपनी नफरत को अंजाम देने में सक्षम बन गया है और यह कि वह अपनी नफरत को शामिल करने के लिए जनसमूह को आगे बढ़ा सकता है.'

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कोर्ट ने कहा, 'अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी भी लोकतांत्रिक देश का एक अभिन्न अंग है, हालांकि, इस स्वतंत्रता पर तय कारणों के साथ प्रतिबंध भी हैं. किसी को भी लोगों को भड़काने की अनुमति नहीं दी जा सकती, क्योंकि उसे बोलने की स्वतंत्रता है और वह किसी विशेष समूह या धार्मिक समुदाय के प्रति घृणा को निर्देशित कर सकता है.'

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बताते चलें कि आरोपी को सोमवार को गिरफ्तार किया गया था. मानेसर के डिप्टी कमिश्नर ऑफ पुलिस वरुण सिंगला ने बताया कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी के विभिन्न प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें धारा 153 ए (धर्म, जाति, जन्म स्थान के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) और 295 ए (जानबूझकर और दुर्भावनापूर्ण कृत्य, जिसका उद्देश्य किसी भी वर्ग की धार्मिक भावना और विश्वास को लेकर अपमान करना) शामिल है.

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