हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों की ओर से जीत-हार के दावे किए जा रहे हैं. वहीं जनता के बीच भी इन दिनों राजनीतिक मुद्दा ही चर्चा का केंद्र है. ऐसे में एनडीटीवी भी लोगों के बीच जाकर चुनावी माहौल क्या है ये जानने की कोशिश कर रहा है. दक्षिणी हरियाणा का मशहूर और ऐतिहासिक शहर महेंद्रगढ़ में हमने जनता का मूड जाना. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राम विलास शर्मा का टिकट कटने से यहां का सियासी मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
महेंद्रगढ़ में चार विधानसभा क्षेत्र आता है. 2019 के चुनाव में चार में से सिर्फ एक विधानसभा सीट पर कांग्रेस ने जीत हासिल की थी. बाकी तीनों विधानसभाओं में बीजेपी जीती थी.
बीजेपी ने इस बार महेंद्रगढ़ से रामविलास शर्मा का टिकट काटकर कुंवर सिंह को उतारा है, जबकि कांग्रेस से भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी दान सिंह को उम्मीदवार बनाया है.
बीजेपी उम्मीदवार कंवर सिंह ने कहा कि जब टिकट की घोषणा हुई तो मैं सो रहा था. मुझे सपने में भी आभास नहीं था कि राम विलास शर्मा का टिकट कटेगा और मुझे मिलेगा.
उधर महेंद्रगढ़ में कांग्रेस के टिकट पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी दान सिंह मैदान में हैं. चुनाव से महीने भर पहले दान सिंह पर ED की रेड पड़ी, लेकिन उसके बावजूद दान सिंह को टिकट मिला. जानकार कहते हैं कि दान सिंह की वजह से किरण चौधरी ने बीजेपी का दामन थामा.
महेंद्रगढ़ में पानी की कमी, आधारभूत ढ़ांचों का अभाव और राम विलास शर्मा का टिकट कटना एक मुद्दा है. जनता का मानना है कि टिकट कटने से बीजेपी को नुकसान होगा. रामविलास शर्मा के नाम पर 20 से 25 हजार वोट एकजुट थे, वो अब बीजेपी की मुट्ठी से खुल गए हैं, लगता नहीं कि नए उम्मीदवार उन्हें बांध पाएंगे.
लोगों ने कहा कि तीसरी बार बीजेपी की सरकार बनेगी की नहीं, इसको लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता. अभी पता नहीं लग रहा है कि वोटर्स का रुख किधर है. असमंजस की स्थिति है. हालांकि लोगों का कहना है कि महेंद्रगढ़ में किसी ने विकास नहीं किया. सड़कें टूटी हैं, पानी की भी कमी है. यहां कांग्रेस हो या बीजेपी बारी-बारी से आते हैं, लेकिन विकास नहीं आता.
अहिरवाल बेल्ट में बीजेपी 2014 के बाद खासी मजबूत रही है. यहां नौजवानों में सेना को लेकर खासी दिलचस्पी रही है. यही वजह है कि बीजेपी ने अपने संकल्प पत्र में अग्निवीरों को सरकारी नौकरी की गारंटी देने का वादा किया गया है.