ज्ञानवापी केस में मस्जिद पक्ष के वकील अभय नाथ यादव का हार्ट अटैक से निधन

उन्हें रात 10:30 बजे के आसपास बेचैनी और सीने के दर्द होने की वजह से परिवार वाले अस्पताल लेकर गए थे, जहां तबीयत बिगड़ने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया.

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वरिष्ठ वकील अभय नाथ यादव की हार्ट अटैक से मौत (फाइल फोटो)

ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी के प्रमुख वकील अभय नाथ यादव का हार्ट अटैक से निधन हो गया है.  रात 10:30 बजे के आसपास बेचैनी और सीने के दर्द होने की वजह से परिवार वाले अस्पताल लेकर गए थे, जहां तबीयत बिगड़ने के बाद डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित किया. अभय नाथ यादव को रविवार की सुबह से ही बेचैनी हो रही थी. सबको यह लगा कि शायद गैस की वजह से परेशानी हो रही है तो उसका फौरी तौर पर इलाज होता रहा, लेकिन रात में जब ज्यादा बढ़ गया तब उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. परिवारवालों को अचानक हुए इस हादसे पर विश्वास नहीं हो रहा था. लिहाजा वह मकबूल आलम रोड स्थित एक दूसरे अस्पताल में लेकर गए लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनके परिवार में पत्नी, बेटा और दो बेटियां हैं.

अभयनाथ यादव पिछले 35 वर्षों से वकालत कर रहे थे और 3 वर्षों से अंजुमन इंतेजामिया मसाजिद कमेटी के अधिवक्ता थे. ज्ञानवापी प्रकरण में अभय नाथ यादव हिंदू पक्ष की याचिका की मेंटेनेबिलिटी पर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद अदालत ने 4 दिन तक लंबी बहस की थी, जिस पर हिंदू पक्ष ने अपना जवाब पूरा किया था. अब उस मामले में अभय नाथ यादव को 4 अगस्त को हिंदू पक्ष की दलील की काट देनी थी, लेकिन अब उनके न रहने से जहां अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी से जुड़े लोग और सभी अधिवक्ता व जानने वाले उनके अचानक चले जाने से गहरे सदमे में हैं.

बता दें कि इससे पहले मां शृंगार गौरी-ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर मुकदमा लड़ रहे हिंदू पक्ष में मतभेद सामने आए थे.विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेन सिंह बिसेन ने एडवोकेट विष्णु शंकर जैन पर गंभीर आरोप लगाए थे. बिसेन ने पत्रकारों को बताया था कि एडवोकेट विष्णु शंकर जैन ने 26 मई 2022 को मां शृंगार गौरी प्रकरण की वादिनी मंजू व्यास, सीता साहू, लक्ष्मी देवी और रेखा पाठक के हस्ताक्षर से कोर्ट में वकालतनामा प्रस्तुत किया, उसमें मां शृंगार गौरी प्रकरण की अहम वादिनी राखी सिंह शामिल नहीं थीं. उससे पहले जैन ने कभी वकालतनामा नहीं दाखिल किया था. विष्‍णु शंकर जैन ने उस समय वकालतनामा प्रस्तुत किया जब वह सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता थे. कोई भी अधिवक्ता जो स्टेट का अधिवक्ता है, वह उसी के खिलाफ अपना वकालतनामा दाखिल नहीं कर सकता है. इसी आधार पर मुस्लिम पक्ष हमारे दावे और तर्कों को खारिज करा देगा. इस तरह से एडवोकेट विष्णु शंकर जैन साजिश रचकर हमारा पक्ष कमजोर करने पर तुले हुए हैं. वकालतनामा उन्होंने इसीलिए लगाया ताकि हमारा मुकदमा डिसमिस हो जाए.

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बिसेन ने आगे कहा था कि एडवोकेट विष्णु शंकर जैन, संस्‍थान इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर के एक लाइफ टाइम मेंबर से जुड़े हैं और पूरी तरह से उसके प्रभाव में हैं. उस शख्स का नाम तो नहीं खोलूंगा, लेकिन उनकी मेंबरशिप संख्या 1289 है. इस शख्स ने पूरी तरह से विष्णु शंकर जैन को अपनी कठपुतली बना रखा है. इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर ने ज्ञानवापी प्रकरण को 'हाइजैक' कर लिया है. सेंटर की संरक्षक कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी हैं. इंडिया इस्लामिक कल्चर सेंटर किसी भी तरह से हिंदुओं का हितैषी नहीं है और वह लगातार हमारे खिलाफ साजिश रच रहा है. 

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