2002 के गुजरात दंगे (Gujarat Riots) और 1975 में लगाया गया आपातकाल (Emergency 1975) कक्षा 6 से 12 की पाठ्यपुस्तकों से हटा दिया गया है. नेशनल काउंसिल ऑफ एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) ने कहा कि कोरोना वायरस महामारी और राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (National Education Policy 2020) के कारण ये बदलाव किए गए हैं, जिसमें सिलेबस को कम करने पर जोर दिया गया है.
स्कूल शिक्षा में गुणात्मक सुधार के लिए नीतियों और कार्यक्रमों पर केंद्र और राज्य सरकारों को सलाह देने वाली संस्था के सुझाव के दो महीने बाद यह बदलाव आया है, जिसमें लोकतंत्र और विविधता, मुगल दरबार, शीत युद्ध के युग, औद्योगिक क्रांति और उर्दू शायर फैज अहमद फैज की कविताओं को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है.
कक्षा 12 के राजनीति विज्ञान पाठ्यक्रम में 'भारतीय राजनीति में हालिया विकास' के अध्याय में से गुजरात दंगों को हटा दिया गया है. इस हिस्से में कहा गया था, 'गुजरात दंगों से पता चलता है कि सरकारी तंत्र भी सांप्रदायिक भावनाओं के प्रति संवेदनशील हो जाता है. गुजरात दंगा उदाहरण है जो हमें राजनीतिक उद्देश्यों के लिए धार्मिक भावनाओं का उपयोग करने में शामिल खतरों के प्रति सचेत करते हैं. यह लोकतांत्रिक राजनीति के लिए खतरा है.'
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एनसीईआरटी ने आपातकाल को लेकर विवादों पर पांच पेज भी हटा दिए हैं. 12वीं कक्षा के राजनीति विज्ञान के पाठ्यक्रम में 'द क्राइसिस ऑफ डेमोक्रेटिक ऑर्डर' के अध्याय से आपातकाल का हिस्सा हटा दिया गया है.
इस हिस्से में इंदिरा गांधी सरकार द्वारा किए गए सत्ता के दुरुपयोग और कदाचार पर सामग्री और राजनीतिक कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी, मीडिया पर प्रतिबंध, यातना और हिरासत में होने वाली मौतों, जबरन नसबंदी, गरीबों के बड़े पैमाने पर विस्थापन जैसी ज्यादतियों की सूची शामिल थी.
सामाजिक आंदोलनों पर कंटेंट भी हटा दिए गए हैं. हटाए गए विषय 'आरटीआई के लिए आंदोलन, नर्मदा बचाओ आंदोलन, उत्तराखंड में चिपको आंदोलन, महाराष्ट्र में दलित पैंथर्स, भारतीय किसान संघ द्वारा 1980 के दशक में किसान आंदोलन' हैं.
एनसीईआरटी ने इसे "पाठ्यपुस्तकों में सामग्री का युक्तिकरण" कहा है, और कहा है कि ये फैसला समान पाठ, अप्रासंगिक सामग्री और कठिनाई स्तर के साथ ओवरलैपिंग पर आधारित है.
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कहा गया है कि COVID-19 महामारी के मद्देनजर, छात्रों पर पाठ्यक्रम के भार को कम करना जरूरी है और इन परिवर्तनों से छात्रों को सीखने में तेजी से सुधार करने में मदद मिलेगी. कहा गया है कि "राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 रचनात्मक मानसिकता के साथ अनुभव से सीखने के अवसर देते हुए पाठ्यक्रम के भार को कम करने पर जोर देती है."
हालांकि समय की कमी के कारण पाठ्यपुस्तकों की फिर से छपाई नहीं होगी. पाठ्यक्रम में बदलाव के बारे में स्कूलों को औपचारिक रूप से सूचित किया जाएगा.
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