प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूरत रविवार को डायमंड बोर्स का उद्घाटन किया. डायमंड बोर्स के बनने से हीरे का कारोबार जहां बढ़ने की संभावना है वहीं इससे डेढ़ लाख नए रोजगार भी पैदा होंगे. डायमंड बोर्स न देश के निर्यात को बढ़ाएगा.
दुनिया का सबसे बड़ा आफिस सूरत का डायमंड बोर्स है. इसका रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया. करीब 34 एकड़ में फैले डायमंड बोर्स के बनने से हीरा कारोबार को एक नई ऊंचाई मिलने की संभावना है. यहां न सिर्फ हीरे की ट्रेडिंग से जुड़े आफिस होंगे बल्कि ज्वैलरी बनाने और नई तकनीकी भी आएगी.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, दुनिया का नब्बे फीसदी हीरा यहां तराशा जाता है लेकिन हीरे से आभूषण बनाकर एक्सपोर्ट करने में हम दो फीसदी ही हैं. इसके बनने से हमारा निर्यात भी बढ़ेगा.
सूरत में डायमंड बोर्स बनने से यह शहर युवाओं के लिए ड्रीम सिटी बनेगा. डायमंड बोर्स के अंदर हीरे से जुड़ी ट्रेडिंग और नई तकनीकी को लाने वाले कारोबारियों के यहां 4500 दफ्तर और शोरूम होंगे. इस पूरे परिसर में भव्य 15 मंजिल की 9 इमारतें हैं जहां हर अत्याधुनिक सुविधा है.
यह इतना विशाल परिसर है कि यहां आने-जाने के लिए इलेक्ट्रिक कार्ट चलेंगी. सभी इमारतें एक दूसरे से इंटर कनेक्टेड हैं.
हीरा कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो अब तक सूरत में हीरा तराशा जाता था लेकिन ट्रेडिंग मुंबई से होती थी. अब कारोबारियों का कहना है कि मुंबई ही नहीं दुनिया का ट्रेड यहां से होगा. जिससे भारत का निर्यात भी बढ़ेगा.
सूरत हीरा गुड्स कमेटी के सदस्य गोविंद भाई ढोलकिया ने बताया कि,सूरत में डायमंड बोर्स बना है, डायरेक्ट, इंडायरेक्ट फायदा होगा. डायरेक्ट फारेन के लोग यहां आएंगे.
हीरा कारोबारी जीतेश भाई ने कहा, पहले हमारा मुंबई में मार्केट होता था, अब सूरत में होगा. मार्केटिंग आफिस भी यहां होगा. तैयार डायमंड की सेलिंग होगी. यहां छोटे से छोटे व्यापारी से लेकर विदेश तक से लोग आएंगे.
यहां आने वाले हीरा कारोबारियों को सहूलियत रहे, इसी के चलते प्रधानमंत्री ने रविवार को सूरत एयरपोर्ट को इंटरनेशनल एयरपोर्ट घेषित कर दिया है. फिलहाल दुबई और हांगकांग के लिए यहां से फ्लाइट होंगी. फिर बेल्जियम जासे सहित अन्य पांच देशों से भी सूरत को जोड़ा जाएगा. अब सूरत एयरपोर्ट की क्षमता व्यस्त घंटों में 1200 यात्रियों से बढ़ाकर 3000 यात्री तक कर दी गई है.
पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा, पहले आता था तो सूरत एयरपोर्ट झोपड़ी की तरह दिखता था लेकिन अब इसकी क्षमता को बढ़ाया गया है.
प्राचीन समय में सूरत समुद्री नौका बनाने के लिए जाना जाता था. लेकिन वक्त के साथ पहले टेक्सटाइल सिटी, फिर डायमंड सिटी और अब अब युवाओं के लिए ड्रीम सिटी बनने की ओर अग्रसर है.
सूरत के विकास में सरकार के साथ यहां के लोगों का अहम योगदान रहा है. सोचिए करीब पैंतीस सौ करोड़ रुपये की इस इमारत के पीछे यहां के कारोबारी हैं जिन्होंने नौ सौ से ज्यादा बैठकें कीं और करोंड़ों रुपये खुद के लगाए. यही वजह है कि सूरत का भारत के विकास में अहम योगदान है.