बुंदेलखंड क्षेत्र पिछले कई दशकों से पानी के संकट से जूझ रहा है. एक तरफ जहां ग्रामीण इलाकों में किसान सिंचाई के लिए पानी की कमी से लंबे समय से जूझते रहे हैं, वहीं शहरी इलाकों में भी पानी की सप्लाई को लेकर समय-समय पर संकट बना रहता है. फरवरी 2017 में एनडीटीवी की टीम जब झांसी के अमरपुर गांव पहुंची थी, तब पानी के संकट से जूझ रहे किसान गुलाब बैंक से ₹200000 का लोन लेकर कुएं की खुदाई करवा रहे थे. 2014 से लगातार 3 साल तक 60 फुट की खुदाई करने के बाद भी वाटर टेबल तक नहीं पहुंच पाए थे.
70 फीट तक पानी नहीं...
करीब 7 साल पहले जब हम झांसी शहर से 30 किलोमीटर दूर इस गांव में गए थे, तब यहां हर तरफ बंजर और पथरीली जमीन थी... अमरपुर गांव निवासी किसान गुलाब ने एनडीटीवी से कहा, "मुझे याद है NDTV की टीम मुझसे मिलने 7 साल पहले यहां आई थी. उस वक्त हम कई फीट तक कुएं की गहरी खुदाई कर चुके थे लेकिन पानी नहीं निकला था. आपके जाने के बाद हमने 70 फीट तक खुदाई की थी लेकिन पानी नहीं मिला". आज भी कुएं में पानी नहीं है और यह सूखा पड़ा है. आज 70 फीट के करीब गहरे इस कुएं में पानी जरा भी नहीं बचा है. झांसी में एनडीटीवी के पत्रकार विनोद गौतम कहते हैं, "बुंदेलखंड क्षेत्र में ग्राउंडवाटर का इस्तेमाल ज्यादा होने से भूजल का स्तर काफी नीचे गिर गया है...यही वजह है कि इतनी गहरी खुदाई करने के बाद भी यहां पानी पिछले 10 साल में नहीं निकल सका".
50 घर... और सिर्फ 1 हैंडपंप
इस कुएं के ठीक सामने किसान जयभगवान की 1 एकड़ की जमीन है, जवान पानी की किल्लत की वजह से अपने खेतों में सिंचाई के लिए पानी नहीं जुटा पाते. जयभान कहते हैं, "मेरे पास चार एकड़ जमीन है, सिर्फ एक एकड़ में खेती कर पाता हूं पानी की कमी की वजह से". यहां से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर कुछ ग्रामीण महिलाएं हेपडा गांव में हैंड पंप पर कपड़े धो रही हैं...कहती हैं उनके मोहल्ले में यह एकमात्र हैंड पंप है, जो काम कर रहा है. गांव में सिर्फ एक हैंडपंप है जिसका इस्तेमाल करीब 50 घरों के परिवार करते हैं.
आवारा पशु भी समस्या
इस गांव में पानी संकट की वजह से खेती बुरी तरह प्रभावित हो रही है...जो कुछ कुएं के पानी से थोड़ी बहुत फसल उगाई जाती है उसे आवारा पशु अक्सर चर जाते हैं. इस इलाके में एक बड़ी समस्या आवारा पशुओं को लेकर है, जो अक्सर खड़ी फसलों को चर जाते हैं. लोगों को नुकसान होता है. एनडीटीवी की टीम जब हेवेद गांव के खेतों में पहुंची, तो वहां एक खड़ी फसल को कुछ गाय चर रही थीं. यहां के स्थानीय लोगों की मांग है कि गांव में गौशाला का निर्माण करना जरूरी होगा, क्योंकि इस गांव में करीब डेढ़ सौ आवारा पशु हैं, जो दिन रात फसलों को चर जाते हैं. हम चाहते हैं कि जो भी नई सरकार बने इस गांव में गौशाला बनाए.
सूख रही नदियां...
बुंदेलखंड क्षेत्र में गर्मी तेजी से बढ़ती जा रही है और इसके साथ ही यहां कि बड़ी नदियां और जलाशय सूखते जा रहे हैं. बेतवा नदी बुंदेलखंड की सबसे बड़ी नदी है. गर्मी तेजी से बढ़ाने की वजह से मई के दूसरे हफ्ते में ही कई जगहों पर सूखती जा रही है. पानी का यह संकट झांसी और बुंदेलखंड क्षेत्र में एक अहम चुनावी मुद्दा बन गया है. पानी की किल्लत गांव तक सीमित नहीं है, पानी संकट की गूंज झांसी और बुंदेलखंड के दूसरे बड़े शहरों में भी सुनाई देती है.
सभी पार्टियों के पानी को लेकर वादे
झांसी की लोकसभा सीट पर दोबारा चुनाव मैदान में उतरे भाजपा उम्मीदवार अनुराग शर्मा कहते हैं, "कांग्रेसी शासन काल के दौरान बुंदेलखंड में पानी की ट्रेन चलाई गई थी. लेकिन पिछले कुछ साल में यहां हालात में सुधार के लिए पहल शुरू की गई है.1.25 MLD का नया वाटर प्लांट तैयार किया जा रहा है. यह अगले कुछ महीने में शुरू हो जाएगा इसके अलावा हर घर जल योजना के तहत बहुत कम हुआ है. प्रधानमंत्री ने बुंदेलखंड को बड़ी सौगात दी है. दो नदियों को जोड़ने की... केन और बेतवा नदी को जोड़ने की यह प्रोजेक्ट जब कंप्लीट होगा, तो हम बेतवा में बहुत पानी लेकर आ सकेंगे. इससे किसानों को सिंचाई के लिए जो परेशानी होती है, उसे दूर करना संभव हो सकेगा. जब बेतवा नदी में पानी ज्यादा उपलब्ध होगा, तो जो पुराने जलाशय और बावरिया थीं, उन्हें फिर से रिचार्ज करना भी संभव हो सकेगा."
पानी बुंदेलखंड में बहुत बड़ा मुद्दा
इस बार इंडिया ब्लॉक के साझा उम्मीदवार और कांग्रेस के पूर्व सांसद रहे प्रदीप जैन आदित्य के अपने दावे हैं. उन्होंने एनडीटीवी से कहा, "जब मैं सांसद बना तो मैं हर खेत में कुआं बनाने का काम किया जो आज भी मौजूद है. इसकी वजह से कई इलाकों में वाटर लेवल बना रहा. ललितपुर ऐसा जिला है, जहां देश में सबसे ज्यादा बैग हैं, लेकिन आज भी वहां पीने का पानी और खेतों में पानी नहीं पहुंच पा रहा है. अमृत पेयजल योजना के तहत बनी बनाई सड़क को खोद दिया गया, लेकिन कई जगहों पर नाल चलते हुए आज भी दिखाई नहीं देते... पानी बुंदेलखंड में बहुत बड़ा मुद्दा है."
बुंदेलखंड क्षेत्र की सबसे बड़ी नदी बेतवा नदी तेज गर्मी की वजह से सूखती जा रही है. जब एनडीटीवी की टीम बेतवा नदी पर पहुंची, तो देखा किसका एक बड़ा हिस्सा सूखता जा रहा है और पानी का लेवल काफी घट चुका है, यहां से बुंदेलखंड क्षेत्र की अधिकतर हिस्सों में सिंचाई के लिए पानी पहुंचता है. इस क्षेत्र में भूजल का स्तर काफी नीचे जा चुका है जिस वजह से ग्राउंडवाटर अब एक विकल्प नहीं रहा. अब सबको इंतजार चुनाव के बाद गठित होने वाली नई सरकार का है. क्या इस बार बुंदेलखंड का भविष्य बदलेगा?
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