Ground Reoprt: बाढ़ से बेहाल गुजरात, पानी ने लोगों को घरों में किया कैद; NDRF जुटी मदद में

खेतों में पानी..पानी में घर का सामान.. और घर पानी में डूबे हैं, जहां पानी नहीं है वहां पर मगरमच्छ दिख रहे हैं... इन दिनों गुजरात भारी समस्याओं से जूझ रहा है.

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वडोदरा शहर के कई इलाके बाढ़ के पानी से जलमग्न हैं.
वडोदरा:

गुजरात के वडोदरा में पिछले दिनों हुई भारी बरसात के चलते कई शहरों और गांवों में अब पानी ही पानी है. हालांकि यहां बुधवार के मुकाबले गुरुवार को हालात सुधरे हैं, लेकिन गुजरात के कई शहरों बारिश और बाढ़ ने हाल बुरे कर दिए हैं. सब ओर पानी है..खेतों में पानी है..पानी में घर का सामान है और घर पानी में डूबे हैं और जहां पानी नहीं है वहां पर मगरमच्छ दिख रहे हैं. इन दिनों गुजरात भारी समस्याओं से जूझ रहा है. 

गुजरात में जनजीवन अस्तव्यस्त है. ऐसी स्थिति में एनडीआर एफ (NDRF) जैसे संगठन लोगों को मदद कर रहे हैं और उनके जीवन को पटरी पर लाने के लिए जी जान से जुटे हैं.  NDRF की टीमें नावों के जरिए लोगों को सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रही हैं. बच्चे, बुजुर्ग और बीमार लोगों को प्राथमिकता से निकाला जा रहा है. राहत और बचाव के लिए NDRF और SDRF की और भी टीमें पुणे से बुलाई गई हैं. 

लोगों के पास खाने के लिए कुछ नहीं, पीने का पानी नहीं

गुजरात में अभूतपर्व बारिश के कहर का असर ऐसा है कि लोगों के पास खाने के लिए कुछ भी नहीं है. पीने के लिए पानी नहीं है और उनके घरों में बिजली नहीं है. सबसे समस्या यह है की लोग अपने घरों में रह नहीं पा रहे हैं. 

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गुजरात का अकोटा इलाका वडोदरा में स्थित है. यहां पूरे इलाके में पानी भरा है. यहां पर NDRF की टीमें पहुंच गई हैं. घरों  में पानी भरा है. पहले लोगों को निकालने की कोशिश की जा रहा है. घरों का सामान बचाना लगभग नामुमकिन है. यहां चार फीट पानी भरा है. NDRF की टीमें बोट पर बैठकर इलाके में जा रही हैं. यहां पर लोगों को आवाज लगाकर बुलाया जा रहा है. उन्हें उनके घर से बाहर निकाला जा रहा है. 

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एक मंजिल के घरों में से लगभग आधे घर पानी में पूरे तरीके से समा गए हैं. बचाव टीमों ने अतिरिक्त ट्यूब और  लाइफ जैकेट रखे हैं. लोगों को रेस्क्यू कर बोटों पर बिठाकर यहां से बाहर ले जाया जा रहा है.  वडोदरा में कई इलकों में इतना पानी भरा है कि रास्ते पूरी तरह बंद हो गए हैं. कई कालोनियां पूरी तरह जलमग्न हो गई हैं. 

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एनडीआरएफ लोगों को बोटों से निकाल रही 

गुजरात में NDRF की 18 टीमें मौजूद हैं. NDRF की टीम के एक सदस्य ने बताया कि वे 5 बटालियन पुणे से यहां आए हैं.  उन्होंने बताया कि वे टीम कमांडर हैं और उनके सुपरवीजन आफीसर असिस्टेंट कमांडेंट चंद्रकेतु शर्मा हैं. वे भी यहां आए हैं और दूसरे स्थान पर रेस्क्यू कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि, ''हमारे पास पांच बोट हैं. हमने पांचों बोट ग्राउंड में उतार दी हैं. जिन इलाकों में बहुत सारे लोग फंसे हुए हैं उनको हम बोट पर बैठाकर ला रहे हैं. जिसको भी हम बैठाकर लाते हैं उसको हम लाइफ जैकेट पहनाकर लाते हैं, कि किसी कारणवश अगर बोट से भी वे गिर जाएं तो वे सुरक्षित रह सकें.'' 

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एनडीटीवी को एक पूरा परिवार घर के अंदर फंसा हुआ मिला. उस परिवार के लोगों से यह पूछने पर कि वे कब से घर के अंदर फंसे हैं? उन्होंने कहा कि चार दिन. घर के बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है ऊपर की ही मंजिल पर हैं. घर के अंदर नौ फीट से ज्यादा पानी भरा है. नीचे वाला घर पूरा डूब गया है. सब डूब गया, फर्नीचर, टीवी... उस परिवार ने रेस्क्यू करने के लिए आई टीम को धन्यवाद दिया. 

घरों की ऊपर की मंजिलों में फंसे लोग 

लोगों के घरों में ग्राउंड फ्लोर पर सब सामान पानी में डूब चुका है. लोग अपने घरों की ऊपरी मंजिलों में बैठे हुए हैं. वे मदद का इंतजार कर रहे हैं. उनकी मदद के लिए यहां NDRF की टीमें पहुंची हैं. वे उन तक पानी, दूध और तमाम जरूरी सामान पहुंचा रही हैं. इलाके में जहां देखें वहां तक पानी ही नजर आ रहा है. इलाके में आधे पेड़, साइकिल, स्कूटर और बाकी गाड़ियां पानी में डूबी हुई हैं. 

एनडीटीवी को एक महिला खिड़की से झांकती हुई मिली जो शायद पानी के निकलने का इंतजार कर रही है. यह एक हाउसिंग सोसायटी है. वडोदरा में प्रशासन की ओर से बारिश को लेकर जो तैयारियां की जानी चाहिए थीं, वह नजर नहीं आ रही हैं. यहां की दशा देखकर यह सवाल उठ रहा है. 

एनडीआरएफ की टीमों ने सुबह से अब तक 170 लोगों को रेस्क्यू किया है. एक एनडीआरएफ कर्मी ने बताया कि यदि बारिश नहीं होती है तो स्थिति सामान्य होने में दो से तीन दिन लग जाएंगे. उन्होंने कहा कि हमारी पुणे से दो टीमें आई हैं. एक बालसोर में गई है और एक यहां हमारी टीम है. 

सैकड़ों करोड़ खर्च करके भी समस्या नहीं सुलझती

एक घर की बालकनी में खड़ी एक महिला से यह पूछने पर कि क्या वे सुरक्षित हैं? उन्होंने कहा कि सुरक्षित तो हैं लेकिन सब चीजें मिलती नहीं हैं. उनके पीछे से आए परिवार के एक बुजुर्ग सदस्य के बारे में उन्होंने बताया कि उनके पैर का ऑपरेशन हुआ है. वे अपने घर में चार दिन से फंसे हुए हैं. उन्होंने बताया कि हरह पांच साल में ऐसा होता है. मुझे ये बोलना है की हर पांच साल में एक दो स्कीम आती हैं, तीन सौ-तीन सौ करोड़ रुपया विश्वामित्र नदी के डेवलपमेंट के लिए खर्चा किया जाता है. वह जाता कहां है? अगर वो सही मायने में यूज किया होता तो आज यह परिस्थिति नहीं होती. 

विश्वमित्र डेम से पानी इतना ओवरफ्लो हो जाता है कि उसका पानी यहां पर आ जाता है. गुजरात में लगभग हर साल यह देखने को मिलता है लेकिन इस बार की स्थिति बहुत संगीन है. देखना होगा कि यह पानी कब तक उतरता है और इस प्रकार की स्थिति दोबारा ना उत्पन्न हो इसको लेकर प्रशासन की क्या तैयारियां भविष्य में होती हैं. 

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