Ground Report: किसानों ने आम बजट में वित्त मंत्री से की राहत पैकेज की मांग

खाने-पीने की चीजों में महंगाई ने रही सही कसर पूरी कर दी है. अब किसान बजट 2022 में वित्त मंत्री से एक राहत पैकेज मांग रहे हैं. जाहिर है किसानों का संकट बड़ा है.

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खाने-पीने की चीजों में महंगाई ने रही सही कसर पूरी कर दी है.
नई दिल्ली:

खाद-बिजली महंगा होने से किसानों का संकट बढ़ गया है. खाने-पीने की चीजों में महंगाई ने रही सही कसर पूरी कर दी है. अब किसान बजट 2022 में वित्त मंत्री से एक राहत पैकेज मांग रहे हैं. NDTV ने किसानों का हाल जानने के लिए ग्राउंड जीरो पर जा कर जायजा लिया. गाजियाबाद के मोदीनगर के मानकी गांव में इन दिनों गन्ने की कटाई चल रही है. इस इलाके के किसान परेशान हैं. फसल की उपज पर खर्च बढ़ता जा रहा है, खाने-पीने के सामान भी महंगे हो गए हैं, जबकि कमाई नहीं बढ़ रही है. किसान कहते हैं वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को बजट में किसानों के लिए बड़ी राहत का ऐलान करना चाहिए.

मोदीनगर में किसान बेगराज सिंह ने एनडीटीवी को बताया, "हमारे यहां बिजली बहुत महंगी है. DAP खाद भी बहुत महंगा है. वित्त मंत्री को बजट में खाद सब्सिडी बढ़ाना चाहिए. किसानों की ये सबसे बड़ी मांग है. कई महीने खाद नहीं मिल पाता. मेरी बहुत सारी फसल खाद ना मिलने से ऐसे ही पड़ी है."

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जब एक किसान नाफिज खान से पूछा गया कि क्या आपको लगता है कि खाद और बिजली सब्सिडी बढ़ने पर बजट में प्रावधान होना चाहिए तो उन्होंने कहा, "हां! कभी खाद नहीं मिलता. डीजल महंगा हो गया है...बिजली भी महंगी कर दी है."

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किसान कहते हैं खेती करना मुश्किल हो रहा है, खाने-पीने की चीजों के महंगा होने से संकट और बढ़ गया है. एक अन्य किसान सुल्तान खान ने कहा, "मैं वित्त मंत्री जी को ये मैसेज दे रहा हूं कि वो कम से कम खाने का तेल सस्ता करने के लिए नए कदम का ऐलान करें. मैं वित्त मंत्री को रिक्वेस्ट करता हूं. किचन महंगा हो गया है. रोज घरवाली से झगड़ा होता है घर में. उससे भी बजट किचन का चल नहीं रहा है. घर घर में झगड़ा है."

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सुन्दर कहते हैं, "बिजली का बिल कम होना चाहिए. रसोई का सामान सस्ता होना चाहिए. खाने का तेल 200 रुपये में मिलता है." किसान संकट झेल रहा है, इससे उनके खेतों में काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी घटती जा रही है. वो चाहते हैं वित्त मंत्री रोजगार के अवसर बढ़ाएं. 

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खेतिहर मजदूर फरहान खान ने कहा, "हम चाहते हैं की हमें फैक्ट्री में रोजगार मिल जाए. जब फैक्ट्री में काम मिलेगा तो हम भी आपने बच्चों को अच्छे से पढ़ा पाएंगे."

यहां से एक किलोमीटर दूर मोदीनगर की सबसे बड़ी चीनी मिल है. यहां गन्ना किसानों की लम्बी कतार लगी है. दूर दूर से किसान खेतों से गन्ना की फसल काटकर गाड़ियों में लादकर चीनी मिल को बेचने आते हैं. यहां संकट समय पर गन्ने के पैमेंट का मिलना है.

राजन त्यागी कहते हैं, "हमारा पिछले साल का डेढ़ महीने का गन्ने का पेमेंट अब भी बकाया है. नए सीजन का पेमेंट तो अगले साल ही मिल पाएगा. हमें समय पर भुगतान हो इसके लिए सरकार को प्रावधान करना चाहिए. गन्ने की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए पहल का ऐलान करना चाहिए."

जाहिर है, किसानों का संकट बड़ा है और वो वित्त मंत्री से बजट 2022 में राहत पैकेज की मांग कर रहे हैं.

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