पिछले एक साल में भारत में डीज़ल की कीमतें दुनिया के विकसित देशों के मुकाबले काफी कम बढ़ीं है. एक अहम बयान में पेट्रोलियम और नेचुरल गैस मंत्री हरदीप पुरी ने मंगलवार को ये बात कही. पेट्रोलियम मंत्रालय की तरफ से जारी एक रिलीज़ के मुताबिक हरदीप पुरी ने कहा कि डीजल की कीमतें, जो भारत में दिसंबर 2021 और दिसंबर 2022 के बीच केवल 3% बढ़ीं, संयुक्त राज्य अमेरिका में 34%, कनाडा में 36%, स्पेन में 25% और यूके में 10% बढ़ीं". पेट्रोलियम मंत्री के मुताबिक प्रधान मंत्री द्वारा मई, 2022 और नवंबर, 2021 में घोषित केंद्रीय उत्पाद शुल्क में कटौती के कारण पेट्रोल-डीज़ल की कीमतों को नियंत्रित करने में काफी मदद मिली. कई राज्यों द्वारा वैट दर में की गयी कटौती की वजह से कीमतें और नियंत्रित करना संभव हुआ.
पेट्रोलियम मंत्रालय के मुताबिक भारत 1973 के तेल संकट के बाद दुनिया के सबसे गंभीर ऊर्जा संकट से निपटने में सक्षम रहा क्योंकि सरकार ने ऊर्जा सुरक्षा को मज़बूत करने के लिए चार बड़े फैसले किये. ऊर्जा आपूर्ति का विविधीकरण किया. तेल पदार्थों के प्रोडक्शन और नए स्रोतों का एक्सप्लोरेशन बढ़ाया गया. गैस आधारित अर्थव्यवस्था, ग्रीन हाइड्रोजन और इलेक्ट्रिक व्हीकल्स को प्रोत्साहन दिया गया.
साथ ही, भारत ने अपने कच्चे तेल के आपूर्तिकर्ताओं की संख्या 2006-07 में 27 देशों से बढ़ाकर 2021-22 में 39 कर दी. अमेरिका और रूस जैसे देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूत करने के साथ-साथ कोलंबिया, रूस, लीबिया, गैबॉन, इक्वेटोरियल गिनी जैसे नए आपूर्तिकर्ता देशों को अपने ऑयल आपूर्तिकर्ताओं की लिस्ट में जोड़ा.
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