सिंधु जल संधि पर जनता के बीच जाएगी सरकार, केंद्रीय मंत्री लोगों को बताएंगे समझौता रद्द करने के कारण

केंद्रीय मंत्री सरल भाषा में लोगों के बीच जाकर उन्हें इस संधि के स्थगित होने और भविष्य में भारत को इससे होने वाले फायदे के बारे में बताएंगे. भारत सिंधु नदी के पानी का अपने लिए बेहतर इस्तेमाल करेगा और इसके लिए दीर्घकालिक रणनीति पर काम किया जा रहा है.

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  • सरकार ने सिंधु जल संधि के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मंत्रियों को नियुक्त किया.
  • मंत्री उत्तर भारत के राज्यों में संधि के निलंबन के फायदों को समझाएंगे.
  • भारत सिंधु नदी के पानी के बेहतर उपयोग के लिए दीर्घकालिक रणनीति पर काम कर रहा है,
  • सरकार ने सिंधु जल को श्रीगंगानहर से जोड़ने की योजना बनाई है.
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नई दिल्ली:

सरकार सिंधु जल संधि के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कई वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों को जिम्मेदारी सौंपी है. वे उत्तर भारत के राज्यों में संधि के निलंबन के फायदों के बारे में लोगों को समझाएंगे, जहां भविष्य में नदियों के पानी के उपयोग की संभावना है. केंद्रीय मंत्री सरल भाषा में लोगों के बीच जाकर उन्हें इस संधि के स्थगित होने और भविष्य में भारत को इससे होने वाले फायदे के बारे में बताएंगे. भारत सिंधु नदी के पानी का अपने लिए बेहतर इस्तेमाल करेगा और इसके लिए दीर्घकालिक रणनीति पर काम किया जा रहा है.

इसमें 160 किलोमीटर नहर बनाना शामिल है, ताकि चेनाब को रावी, ब्यास और सतुलज नदी तंत्र से जोड़ा जा सके. इस तरह पानी जम्मू कश्मीर से पंजाब, हरियाणा और राजस्थान तक ले जाया जा सकेगा.स रकार की योजना सिंधु जल को राजस्थान की श्रीगंगानहर से जोड़ने की है और इसे तीन साल में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसके लिए जम्मू कश्मीर, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की मौजूदा 13 नहर व्यवस्थाओं को जोड़ा जाएगा.

इससे न केवल इन क्षेत्रों में जल की उपलब्धता बढ़ जाएगी, बल्कि भारत सरप्लस पानी का इस्तेमाल भी अपने लिए कर सकेगा. वरिष्ठ मंत्री उन सभी इलाकों में लोगों से संपर्क करेंगे, जिन्हें भविष्य में इस पानी का फायदा मिलने वाला है. इसके लिए पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में व्यापक जनसंपर्क अभियान चलाया जाएगा.

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बता दें कि भारत ने 22 अप्रैल, 2025 को जम्मू कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के अगले ही दिन भारत ने सिंधु जल समझौते को 23 अप्रैल को स्थगित कर दिया था. भारत-पाकिस्तान ने यह संधि 1960 में की थी. इसके तहत सिंधु वाटर सिस्टम की तीन पूर्वी नदियों का पानी भारत इस्तेमाल कर सकता है. वहीं, तीन पश्चिमी नदियों के पानी पर पाकिस्तान को अधिकार दिया गया था.

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सिंधु जल संधि क्या है
1960 की सिंधु जल संधि के तहत, भारत ने सद्भावना के संकेत के रूप में सिंधु नदी और इसकी पांच सहायक नदियों - बैस, सतलुज, रावी, चिनाब और झेलम - के पानी को पारस्परिक रूप से सहमत आधार पर साझा करने पर सहमति व्यक्त की थी. समझौते के अनुसार, तीन 'पश्चिमी नदियों' - सिंधु, झेलम और चिनाब का पानी पाकिस्तान के लिए सहमत शर्तों के अनुसार छोड़ा जाना है, जबकि तीन 'पूर्वी नदियों' - बैस, सतलुज और रावी - का पूरा पानी भारत के लिए है. इसमें विस्तृत नियम और शर्तें हैं जो बांधों के निर्माण, सालाना डेटा साझा करने और कई अन्य कारकों की अनुमति देती हैं.

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