देश की राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ सालों से ऐसे दिन भी आते हैं, जब वायु की गुणवत्ता बेहद खराब होती है. दिल्ली में 'गैस चैंबर' जैसी स्थिति बन जाती है. हालांकि, इस साल अभी तक दिल्ली की वायु गुणवत्ता जनवरी से अप्रैल के बीच गत सात साल के समान अवधि के मुकाबले सबसे बेहतर दर्ज की गई. वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) ने रविवार को यह जानकारी दी. सीएक्यूएम ने बताया कि वर्ष 2023 के जनवरी-अप्रैल महीने में वायु गुणवत्ता वर्ष 2016 से अबतक की समान अवधि में बेहतर रही. हालांकि, इसमें वर्ष 2020 का आंकड़ा शामिल नहीं है, क्योंकि उस साल कोविड-19 महामारी की वजह से लॉकडाउन लगाया गया था, जिसमें वायु प्रदूषण का स्तर ट्रैफिक और काम-धंधे बंद होने के कारण बेहद कम हो गया था.
52 दिन ऐसे रहे जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से नीचे
दिल्ली में जनवरी-अप्रैल के बीच पीएम 2.5 का औसत स्तर 109 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया जबकि पीएम10 का औसत घनत्व 221 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर दर्ज किया गया. यह स्तर वर्ष 2016 से अबतक समान अवधि में सबसे कम है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक जनवरी से अप्रैल के बीच 52 दिन ऐसे रहे जब वायु गुणवत्ता सूचकांक 200 से नीचे दर्ज किया गया. वहीं, वर्ष 2016 में ऐसे दिनों की संख्या महज आठ थी.
वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार...
सीएक्यूएम ने यहां जारी बयान में कहा कि वर्ष 2020 में पूर्ण लॉकडाउन लगाया गया था जिसकी वजह से वायु गुणवत्ता में उल्लेखनीय सुधार आया था. अगर इस वर्ष को निकाल दिया जाए तो वर्ष 2023 के शुरुआती चार महीने पूर्ववर्ती सालों की इसी अवधि के मुकाबले वायु गुणवत्ता के मामले में सबसे बेहतर रहे. उल्लेखनीय है कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा', 51 से 100 के बीच ‘संतोषजनक', 101 और 200 के बीच ‘मध्यम', 201 और 300 के बीच ‘खराब', 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब' तथा 401 और 500 के बीच ‘गंभीर' श्रेणी में माना जाता है.
आयोग ने बताया कि वायु गुणवत्ता के लिहाज से ‘खराब', ‘बहुत खराब' और ‘गंभीर' श्रेणी के दिनों की संख्या में 37.03 प्रतिशत तक कमी आई है और यह वर्ष 2016 के 108 दिनों के मुकाबले वर्ष 2023 में घटकर 68 रह गए हैं.