वैश्विक किसान संगोष्ठी : भारतीय किसानों की नई खोज देखकर हैरान रह गए विदेशी साइंटिस्ट

वैश्निक किसान संगोष्टी में पहुंचे अर्जुन मंडल अकेले किसान नहीं है. 60 देशों के कृषि साइंटिस्ट से मिलवाने के लिए पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण ने फसलों की नई प्रजाति विकसित करने वाले देशभर के चुनिंदा 150 किसानों को दिल्ली बुलाया है.

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नई दिल्ली: वैश्निक किसान संगोष्टी का पहली बार भारत में आयोजन हुआ, जहां 60 से ज्यादा देशों के किसान और साइंटिस्ट्स इकट्ठा हुए. यहां विदेशी साइटिस्ट भारतीय किसानों की विकसित की गई प्रजाति और खोज को देखकर हैरान रह गए. यहां इंसुलिन का पौधा लगाया गया. भारत में हर पांचवा नागरिक डायबिटीज से प्रभावित है. इंसुलिन का पौधा, जिसकी पत्ती खाने से मधुमेह कम होता है. साथ ही विधारा का पौधा लगाया गया है.

बिहार के जमुई से आए ये 81 साल के किसान अर्जुन मंडल सालों की मेहनत के बाद इस तरह के 200 औषधीय पौधों को खोजा है, जो कई रोगों के लिए रामबाण है. अब इनकी इस खोज के लिए भारत सरकार ने प्लांट जीनोम अवार्ड से सम्मानित किया है.

वैश्निक किसान संगोष्टी में पहुंचे अर्जुन मंडल अकेले किसान नहीं है. 60 देशों के कृषि साइंटिस्ट से मिलवाने के लिए पौधा किस्म और कृषक अधिकार संरक्षण प्राधिकरण ने फसलों की नई प्रजाति विकसित करने वाले देशभर के चुनिंदा 150 किसानों को दिल्ली बुलाया है. राजस्थान के कोटा से आए किसान किसान किशन सुमन, जिन्होंने सदाबहार आम की प्रजाति विकसित की है, जो आप गमले में उगाकर साल भर आम का स्वाद ले सकते हैं.

किसान किशन सुमन ने कहा कि मैंने सदाबहार आम की प्रजाति विकसित की है, जो गमले में लगा है. ये पौधे सालभर में पचास किलो से ज्यादा आम ये दे सकता है. बता दें कि पौधा किस्म संरक्षण और किसान अधिकार के सुरक्षा का एक्ट भारत में तो बना है. लेकिन बहुत सारे देशों में अभी तक इस तरह का कानून नहीं है. इसी के चलते अब ऐसे किसानों की विकसित की गई प्रजाति का फायदा कोई कंपनी या देश न उठा पाए. इसके लिए एक वैश्विक कानून बनाने की भारत ने वकालत की.

पौध विविधता एवं कृषक अधिकार प्राधिकरण के चेयरमैन त्रिलोकी महापात्रा ने कहा कि फूड एंड एग्रीकल्चरल संगठन, जो रोम में है. उन्होंने कहा कि एक आयोजन करे तो हम लोगों ने ये कार्यक्रम किया. हमारे देश के 150 किसान आए और इस कार्यक्रम में अपना योददान दिया है. इस सम्मेलन में किसानों के तीन अधिकार मसलन जैव विविधता बचाने, किसानों के नई प्रजाति को विकसित करने और किसान अपने बीज को बोने का अधिकार सुरक्षित हो इस पर विस्तार से चर्चा हुई.

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