अंडमान निकोबार में लड़की की खुदकुशी मामले की सीबीआई जांच की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी कर जवाब मांगा. सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, अंडमान के मुख्य सचिव और DGP से जवाब मांगा है. लड़की ने खुदकुशी से पहले वीडियो बनाया था. अंडमान के DGP व अन्य पुलिस अधिकारियों पर खुदकुशी के लिए उकसाने का आरोप है. याचिका में मामले को सीबीआई को ट्रांसफर करने की मांग की गई है. अंडमान के DGP को भी निलंबित करने की मांग भी की गई है ताकि निष्पक्ष जांच हो सके.
साथ ही सोशल मीडिया अकाउंट्स पर आपराधिक जांच से संबंधित गोपनीय जानकारी प्रकाशित करने के लिए DGP अंडमान और अन्य अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच की मांग की गई है. सुप्रीम कोर्ट से आपराधिक मामलों में पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर जानकारी देने को लेकर दिशा-निर्देश जारी करने की मांग की है.
खुदकुशी से पहले DGP व अन्य पर आरोप लगाते हुए युवती ने वीडियो भी बनाया था.
मोहम्मद खालिद की इस याचिका पर जस्टिस ए एम खानविलकर और जस्टिस सीटी रविकुमार की बेंच ने नोटिस जारी किया है. याचिका में कहा गया है कि DGP ने पूरी तरह गैर-जिम्मेदार और अविवेकपूर्ण तरीके से मृतका और उसके परिवार के बारे में ट्वीट किए, और अपमानजनक और कलंकित बयान दिए.
दरअसल, अगस्त 2021 में अंडमान और निकोबार निवासी 25 वर्षीय युवती का एक वीडियो सामने आया था, जिसने 30 जुलाई को आत्महत्या कर ली थी. वीडियो में अंडमान के DGP, 3 उप-निरीक्षकों और एक पत्रकार पर उसे आपराधिक मामलों में फंसाने और उसे परेशान करने का आरोप लगाया था.
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन पेश हुए. उन्होंने कहा कि मामला अंडमान और निकोबार के DGP द्वारा किए गए आपत्तिजनक ट्वीट के अनुसरण में एक लड़की द्वारा आत्महत्या के संबंध में है. उसके खिलाफ जांच नहीं की गई है.
अंडमान पुलिस ने हालांकि आरोपों से इनकार किया था और कहा था कि उसकी आत्महत्या के पीछे "व्यक्तिगत कारण" थे. वह एक उप-निरीक्षक पंकज कुमार राय से नाराज थी, जिसके साथ वह कथित तौर पर कई मामलों के लिए रिश्ते में थी. पुलिस ने यह भी कहा था कि इस साल 27 अप्रैल को उसके खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया गया था. उसे 28 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था लेकिन बाद में जमानत दे दी गई थी. पुलिस ने यह भी दावा किया कि 2018 में उस पर घर में चोरी का मामला दर्ज किया गया था.