केंद्रीय कैबिनेट की ओर से लड़कियों के विवाह के लिए न्यूनतम आयु को 18 साल से बढ़ाकर 21 साल करने के प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के एक दिन बाद, इस फैसले के विरोध को लेकर दो समाजवादी पाटी नेता आलोचनाओं के घेरे में हैं. जहां एक सपा नेता ने इस फैसले को महिलाओं की प्रजनन क्षमता से जोड़ा है, वहीं दूसरे नेता ने देश की गरीबी का उल्लेख करते हुए कम उम्र में लड़कियों के विवाह को न्यायोचित ठहराया है. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने इन बयानों से दूरी बना ली है.
समाजवादी पार्टी के सांसद सैयद तुफैल हसन (Syed Tufail Hasan)ने ANI से बात करते हुए कहा, 'लड़कियों की शादी तब करनी चाहिए जब वे प्रजनन की उम्र तक पहुंच जाएं. महिलाओं की प्रजनन की उम्र 16-17 वर्ष से लेकर 30 वर्ष तक होती है. विवाह के लिए प्रस्ताव 16 वर्ष की उम्र से आने शुरू हो जाते हैं. जब शादी मे देर की जाती है तो दो नुकसान होते हैं-एक बांझपन की आशंका और दूसरा किसी की उम्र बढ़ने तक बच्चे सेटल नहीं हो पाते हैं. जब आप अपनी उम्र के आखिरी दशक में होते हैं तब आपके बच्चे पढ़ ही रहे होते हैं. ऐसा करके हम प्राकृतिक चक्र को तोड़ रहे हैं.' उन्होंने कहा, 'जब एक लड़की परिपक्व हो जाती है और प्रजनन की उम्र को पा लेती है तो उसकी शादी हो जानी चाहिए. यदि एक लड़की 16 साल में परिपक्व हो जाती है तो वह इस उम्र में शादी कर सकती है. यदि वह 18 साल की उम्र में वोट डाल सकती है तो शादी क्यों नहीं कर सकती. '
समाजवादी पार्टी के सांसद शफीकुर रहमान बर्क (Shafiqur Rahman Barq) ने भी इस मसले पर कुछ इसी तरह की राय जताई. बर्क ने कहा, 'भारत एक गरीब देश है और हर कोई कम उम्र में अपनी बेटी की शादी करना चाहता है. मैं संसद में इस बिल का समर्थन नहीं करूंगा.' समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने बाद में इन टिप्पणियों से दूरी बना ली. अखिलेश ने कहा कि उनकी पार्टी प्रगतिशील है और महिलाओं-लड़कियों के कल्याण के लिए कई योजनाएं प्रारंभ की हैं. ' उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी का इस तरह के बयानों से कोई लेना-देना नहीं है.' (ANI से भी इनपुट)