इंडिया रेटिंग्स ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के GDP ग्रोथ अनुमान को बढ़ाकर 6.7% किया

GDP Growth Etimates FY24 : रेटिंग एजेंसी ने वृद्धि अनुमान को प्रभावित करने वाले जोखिमों के रूप में वैश्विक स्तर पर अस्थिर स्थिति के अलावा, कमजोर वैश्विक वृद्धि और व्यापार को चिह्नित किया.

विज्ञापन
Read Time: 6 mins
GDP Growth: पिछले वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी.
नई दिल्ली:

इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने बुधवार को चालू वित्त वर्ष के लिए भारत के सकल घरेलू उत्पाद यानी जीडीपी वृद्धि (GDP Growth) अनुमान को 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया. एजेंसी ने इसके लिए मजबूत अर्थव्यवस्था, निरंतर सरकारी पूंजीगत व्यय और एक नए निजी कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय की संभावना का हवाला दिया है. रेटिंग एजेंसी ने वृद्धि अनुमान को प्रभावित करने वाले जोखिमों के रूप में वैश्विक स्तर पर अस्थिर स्थिति के अलावा, कमजोर वैश्विक वृद्धि और व्यापार को चिह्नित किया.

इंडिया रेटिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील कुमार सिन्हा ने कहा, “ये सभी जोखिम चालू वित्त वर्ष में भारत की जीडीपी वृद्धि को 6.7 प्रतिशत तक सीमित रखेंगे. चालू वित्त वर्ष की पहली और दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि सालाना 7.8 प्रतिशत और 7.6 प्रतिशत रही है. इसके चालू वित्त वर्ष की शेष दो तिमाहियों में धीमी होने की संभावना है.”

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को भी शेष दो तिमाहियों में जीडीपी वृद्धि कुछ सुस्त पड़ने की आशंका है. केंद्रीय बैंक ने संभावना जताई है कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी वृद्धि दर सात प्रतिशत पर रहेगी. पिछले वित्त वर्ष में भारत की आर्थिक वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही थी.

इंडिया रेटिंग्स ने बयान में कहा कि उसने चालू वित्त वर्ष के लिए देश के जीडीपी वृद्धि अनुमान को पूर्ववर्ती 6.2 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.7 प्रतिशत कर दिया है.इसके पीछे भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती, निरंतर सरकारी पूंजीगत व्यय, कॉरपोरेट्स/बैंकिंग क्षेत्र में घटता कर्ज, एक नए निजी कॉरपोरेट पूंजीगत व्यय चक्र की संभावना और शेष विश्व से धन प्रेषण के साथ व्यापार और सॉफ्टवेयर सेवाओं के निर्यात में निरंतर गति बनी रहने जैसे कई कारक हैं.इंडिया रेटिंग्स ने कहा कि उपभोक्ता मांग व्यापक आधार वाली नहीं है. उपभोग वृद्धि के लिए वेतन वृद्धि महत्वपूर्ण है.

इंडिया रेटिंग्स की गणना से पता चलता है कि वास्तविक मजदूरी में एक प्रतिशत की वृद्धि से वास्तविक निजी अंतिम उपभोग व्यय (पीएफसीई) में 1.12 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है और इसके गुणक प्रभाव से सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि में 0.64 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है.

Featured Video Of The Day
Yo Yo Honey Singh EXCLUSIVE: Badshah, SRK से लेकर AR Rahman तक, देखिए हनी सिंह का धमाकेदार Interview
Topics mentioned in this article