गौतम अडानी ने सिर्फ तीन शब्दों में बताया कामयाबी का फॉर्मूला...

गौतम अडानी ने कहा कि मुंबई ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, वहां मैंने मेहनत करना सीखा. इसके बाद मेरी बिजनेस की नींव शुरू हुई.

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नई दिल्ली:

दुनिया के तीसरे सबसे अमीर उद्योगपति गौतम अडानी ने इंडिया टीवी के कार्यक्रम 'आप की अदालत' में अपने जीवन से जुड़े अनुभव साझा किए. गौतम अडानी ने कहा कि मेरा मानना है कि पैसा कमाने का कोई फॉर्मूला नहीं होता. बिजनेस या प्रैक्टिकल लाइफ में एक ही फॉर्मूला काम करता है - मेहनत, मेहनत और मेहनत.. फिर मुझे मेरे परिवार, मेरी टीम का साथ और परमात्मा का आशीर्वाद भी मिला. मेरा एक ही उद्देश्य है कि देश की तरक्की हो. 

उन्होंने आगे कहा कि मैं 15 साल का था. 10वीं कक्षा पास की थी. परिवार की परिस्थितियां ऐसी थीं कि पढ़ाई पूरी किए बिना ही मैं मुंबई निकल गया. मुंबई में मैं चार साल रहा. इसके बाद मैं वापस अहमदाबाद आ गया. मुंबई ने मुझे बहुत कुछ सिखाया, वहां मैंने मेहनत करना सीखा. इसके बाद मेरी बिजनेस की नींव शुरू हुई. साथ ही उन्होंने कहा कि पढ़ाई बेहद ज़रूरी है. अगर पढ़ा होता, तो शायद आज के गौतम अडानी से भी बेहतर होता. मुझे लगता है कि मेरी जिंदगी में अलग-अलग टाइम पर बहुत से लोगों ने सपोर्ट किया है. मेरा मानना है कि पढ़ाई बहुत जरूरी है, ये इंसान को नॉलेजेबल बनाती है. 

गौतम अडानी ने कहा कि हमारी मिडल क्लास बिजनेस फैमिली थी. एक उत्साह था. एक 19 साल का लड़का अपने फैमिली के बिजनेस के अलावा कुछ अलग बिजनेस करने की तमन्ना रखता था. मेरे परिवार ने भी बहुत सपोर्ट किया. मैं पढ़ाई में बहुत होशियार था. ऐसे संयोग बने कि मैंने कहा कि पढ़ाई को बाद में देखेंगे. और बिजनेस के रास्ते पर चल पड़ा.

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यह पूछे जाने पर कि गुजरात के मुख्यमंत्री रहते नरेंद्र मोदी से उन्हें क्या मदद मिली, गौतम अडानी ने कहा कि मुझे जीवन में तीन बड़े ब्रेक मिले. पहला ब्रेक मिला 1985 में जब राजीव गांधी प्रधानमंत्री थे और नई आयात-निर्यात नीति आई,  हमारी कंपनी एक ग्लोबल ट्रेडिंग हाउस बनी. दूसरा ब्रेक 1991 में मिला, जब पी. वी. नरसिम्हा राव और डॉ. मनमोहन सिंह की सरकार के समय हम पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप कर सके. इससे देश में इन्फ्रास्ट्रक्चर को नई दिशा मिली. नरेंद्र मोदी जब 12 साल मुख्यमंत्री थे, उस समय एक अच्छा अनुभव रहा, लेकिन मैं ये बताना चाहता हूं कि मोदी जी से आप कोई व्यक्तिगत सहायता नहीं ले सकते. आप उनसे नीति विषयक बात कर सकते हैं, आप देश के हित में चर्चा कर सकते हैं, जो नीति बनती है, वह सबके लिये होती है. वो अकेले अडानी ग्रुप के लिये नहीं बनती. 

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