26 जनवरी यानी कि गणतंत्र दिवस (Gantantra Ke Special 26 ) की परेड में इस साल वह पनडुब्बी भी अपनी सौर्य गाथा सुनाएगी, जो देश की सुरक्षा के लिए समंदर में चुपचाप अपना काम करती रहती है.कलवरी क्लास की ये पनडुब्बी (Kalvari Class Submarine) है, भारत की सबसे आधुनिक पनडुब्बी है. यह डीजल और बिजली दोनों से चलती है. इस पनडुब्बी को फ्रांस की तकनीकी मदद से मुंबई के मझगांव डॉकयार्ड में बनाया गया है.
कलवरी, खतरनाक शिकारी टाइगर शार्क जैसी
कलवरी क्लास की ऐसी 6 पनडुब्बियां भारतीय नौसेना में शामिल होनी हैं. फिलहाल इस क्लास की पांच पनडुब्बियां नौसेना में शामिल की जा चुकी हैं और छठी भी कुछ ही दिनों में बेड़े में शामिल हो जाएगी. इस क्लास की पहली पनडुब्बी का नाम है कलवरी है. बता दें कि कलवरी गहरे समुद्र में तैरने वाली खतरनाक शिकारी टाइगर शार्क को कहा जाता है, यहीं से पनडुब्बी को ये नाम दिया गया है.
दुश्मन को मात देने में सक्षम 'कलवरी पनडुब्बी'
कलवरी पनडुब्बी करीब 67 मीटर लंबी और 21 मीटर ऊंची है. इसका वजन करीब डेढ़ हजार टन है. यह पानी के ऊपर 20 किलोमीटर प्रति घंटे और पानी के अंदर 37 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चल सकती है. दुश्मन को मात देने वाली ये पनडुब्बी पानी के अंदर 50 दिन तक रह सकती है. यह पनडुब्बी कई तरह के अभियानों में अहम भूमिका निभाने में सक्षम है.
'कलवरी पनडुब्बी' सुरक्षा की मजबूत दीवार
कलवरी पनडुब्बी गहरे समंदर में तैरते हुए हमला और निगरानी, दोनों की करने की क्षमता रखती है. यह समंदर में भी बारूदी सुरंग बिछा सकती है. टॉरपीडो और एंटी शिप मिसाइलों से लैस यह पनडुब्बी युद्धपोतों को भी तबाह करने में सक्षम है. इस क्लास की पनडुब्बी को सैंड शार्क भी कहा जाता है, यानी दुश्मन की नजरों से छिपकर हमला करने में माहिर है. यह पनडुब्बी आधुनिक खासियतों से लैस है. इसे स्टेट ऑफ आर्ट पनडुब्बी कहा जाता है. इसकी निगरानी से हिंद महासागर में भारतीय सुरक्षा की दीवार बेहद मजबूत हो जाती है. यह एक ऐसी साइलेंट फ़ोर्स है, जिसका एहसास दुश्मन को बहुत बाद में जाकर होता है.
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