- उत्तर भारत में मॉनसूनी बारिश से गंगा और वरुणा नदियों का जलस्तर तेजी से बढ़कर उफान पर पहुंच गया है.
- वाराणसी के दशाश्वमेध, मणिकर्णिका, हरिश्चंद्र और अन्य घाटों पर बाढ़ के चलते आरती व अन्य गतिविधियां बाधित हैं.
- गंगा सेवा निधि के अनुसार घाटों के निचले हिस्से जलमग्न होने से आरती और शवदाह कार्य छतों पर ही किए जा रहे हैं.
उत्तर भारत में लगातार हो रही मॉनसूनी बारिश से गंगा समेत तमाम नदियां उफान पर है. वाराणसी में तो गंगा ऐसी उफनाई है कि घाटों पर तमाम व्यवस्थाएं अस्त-व्यस्त हो गई हैं. घाटों के निचले हिस्सों में पानी भर जाने की वजह से गंगा आरती छतों पर हो रही है. वहीं दशाश्वमेध घाट, अस्सी घाट समेत तमाम घाटों पर बाढ़ के चलते स्थिति भयावह है. मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट पर भी यही स्थिति है, जिसके चलते शवदाह भी छतों पर करना पड़ रहा है.
समाचार एजेंसी PTI की खबर के मुताबिक, गंगा का जलस्तर पिछले कुछ दिनों में घटने के बाद एक बार फिर से बढ़ता जा रहा है. गुरुवार की सुबह गंगा का जलस्तर खतरे के निशान 70.26 मीटर को पार कर 70.91 मीटर पहुंच गया था.
छतों पर हो रही आरती और शवदाह
आरती का आयोजन करने वाली संस्था 'गंगा सेवा निधि' के व्यवस्थापकों ने गुरुवार को बताया कि दशाश्वमेध घाट के निचले हिस्सों में बाढ़ का पानी भर जाने की वजह से पारंपरिक आरती अब भी छतों पर हो रही है.
उन्होंने बताया कि निचला हिस्सा पानी में डूबने की वजह से हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर शवदाह कार्य छतों पर हो रहा है. दशाश्वमेध घाट पर स्थित शीतला माता मंदिर जलमग्न है.
जिला प्रशासन ने नदियों के बढ़ते जलस्तर और जिले में संभावित बाढ़ की स्थिति को देखते हुए संबंधित विभागों को सतर्क रहने के निर्देश दिए हैं.
फिर से चालू किए जा रहे बाढ़ राहत शिविर
जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने बताया कि नगर निगम के अधिकारियों को राहत शिविरों के परिसरों और शौचालयों की समुचित साफ-सफाई सुनिश्चित करने, जलजमाव वाले क्षेत्रों में एंटी-लार्वा छिड़काव और फॉगिंग नियमित रूप से कराने के निर्देश दिए गए हैं. इसके साथ ही बाढ़ राहत शिविरों को पुनः सक्रिय किया जा रहा है.
गंगा के साथ वरुणा नदी भी उफान पर
गंगा के साथ-साथ वरुणा नदी भी उफान पर है, जिससे तटवर्ती इलाकों की स्थिति फिर से बिगड़ने लगी है. शक्कर तालाब, पुराना पुल, नक्खी घाट, पुलकोहना और दीनदयालपुर जैसे क्षेत्रों में पानी प्रवेश कर रहा है. बाढ़ के कारण 100 से अधिक लोगों को मजबूरन अपना घर छोड़कर सुरक्षित स्थानों पर जाना पड़ा है.