प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि गेमिंग उद्योग को किसी नियमन की जरूरत नहीं है और इसे मुक्त रहना चाहिए, तभी इसमें तेजी आएगी. ई-गेमिंग उद्योग के भविष्य और उसके समक्ष मौजूद चुनौतियों पर शीर्ष भारतीय ऑनलाइन ‘गेमर्स' के साथ बातचीत में, प्रधानमंत्री ने उनसे कुछ सवाल भी पूछे और कुछ खेलों में हाथ भी आजमाया.
जब एक गेमर नमन माथुर ने मोदी से पूछा कि क्या गेमिंग सेक्टर के लिए नियमन की कोई आवश्यकता है, तो उन्होंने कहा कि यह आदर्श स्थिति नहीं होगी. प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘दो चीजें हैं, जो सरकार कर सकती है. या तो आप किसी कानून के तहत पाबंदियां लागू करें या हमारे देश की जरूरतों के मुताबिक उसे समझने और ढालने की कोशिश करें और इसे संगठित व कानूनी ढांचे के तहत लाएं और इसकी प्रतिष्ठा को बुलंद करें.''
उन्होंने कहा, ‘‘मेरा प्रयास देश को उस स्तर तक ले जाना है कि 2047 तक सरकार मध्यम वर्गीय परिवारों के जीवन से बाहर हो जाए. हमारा जीवन कागजी कार्रवाई में फंस गया है. गरीबों को ही सरकार की जरूरत है, मुश्किल समय में सरकार को उनके साथ रहना चाहिए.''
एक अन्य गेमर अनिमेष अग्रवाल ने कहा कि सरकार को ई-स्पोर्ट्स और गेमिंग को मुख्यधारा के खेल के रूप में मान्यता देनी चाहिए. उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा, ‘‘यह एक कौशल-आधारित गेमिंग है और इसमें जुआ शामिल नहीं है. एक बार जब यह स्थापित हो जाता है और वित्तीय लेनदेन में शामिल लोगों सहित सभी सरकारी निकायों द्वारा समझ लिया जाता है, तो यह वास्तव में फायदेमंद होगा. जैसा कि आपने कहा, उद्योग को विनियमन की आवश्यकता नहीं है. हमें इसे स्वतंत्र रूप से बढ़ने देना चाहिए. थोड़ा सा धक्का दिया जाए, तो उद्योग आगे बढ़ जाएगा.''
इस पर मोदी ने जवाब दिया, ‘‘इसे (ईस्पोर्ट्स और गेमिंग) किसी नियमन की जरूरत नहीं है. यह मुक्त रहना चाहिए, तभी यह आगे बढ़ेगा.'' प्रधानमंत्री ने गेमर्स से जानना चाहा कि वे गेमिंग और जुए के बीच संघर्ष से कैसे निपटते हैं. गेमर्स ने प्रधानमंत्री के साथ उद्योग में उपयोग की जाने वाली कुछ शब्दावली जैसे ‘नूब' और ‘ग्राइंड' पर भी चर्चा की.
जैसा कि खिलाड़ियों ने प्रधानमंत्री को समझाया कि ‘नूब' किसी नौसिखिया या खेल में बहुत कुशल नहीं होने का संदर्भ है. इस पर मोदी ने हंसते हुए कहा, ‘‘अगर मैं चुनाव के दौरान इस शब्द का इस्तेमाल करूंगा, तो लोग हैरान होंगे कि मैं किसकी बात कर रहा हूं. अगर मैं यह कहता हूं, तो आप इसे किसी विशेष व्यक्ति के लिए मान लेंगे.''
गुजरात के कच्छ के एक गेमर तीरथ मेहता ने कहा, ‘‘लोगों को लगता है कि हम टाइम पास करने के लिए गेम खेलते हैं. हम ऐसे खेल खेलते हैं, जो वास्तव में दूसरों से अलग हैं, लेकिन लोगों को लगता है कि वे लूडो की तरह आसान हैं ... हम ऐसे खेल खेलते हैं, जो शतरंज की तरह जटिल होते हैं और इनमें भी मानसिक और शारीरिक कौशल की जरूरत होती है.''
मोदी ने कहा, ‘‘लोगों ने अलग-अलग समाधान पेश किए हैं. मेरे पास मिशन लाइफ नामक एक वैकल्पिक समाधान है, जो पर्यावरण को लाभ पहुंचाने के लिए हमारी दैनिक जीवन शैली को बदलने की वकालत करता है.''
उन्होंने कहा, ‘‘अब, वैश्विक जलवायु मुद्दों का समाधान करने के उद्देश्य से एक खेल की कल्पना करें, जहां गेमर को सबसे टिकाऊ दृष्टिकोण की पहचान करने के लिए विभिन्न तरीकों और समाधानों का पता लगाना चाहिए. ये कदम क्या हैं? हम इसके माध्यम से कैसे आगे बढ़ सकते हैं.''
उन्होंने स्वच्छता अभियान का उदाहरण दिया और कहा कि खेलों में इस विषय को भी उठाया जा सकता है. इनके जरिए युवाओं को भारतीय मूल्यों को अपनाने और उनके वास्तविक महत्व को समझने के लिए प्रेरित किया जा सकता है.
तीरथ मेहता, अनिमेष अग्रवाल, अंशु बिष्ट, नमन माथुर, मिथिलेश पाटनकर, गणेश गंगाधर और पायल धारे ने मोदी के साथ आधे घंटे तक बातचीत की. ‘गेमर्स' ने प्रधानमंत्री के साथ ‘गेमिंग' उद्योग में नए क्रियाकलापों के बारे में चर्चा की. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कैसे सरकार ने भारत में ‘गेमिंग' उद्योग को बढ़ावा देने वाले ‘गेमर्स' की रचनात्मकता को मान्यता दी है. उन्होंने ‘गेमिंग' उद्योग में महिलाओं की भागीदारी पर भी चर्चा की और साथ ही जुआ बनाम ‘गेमिंग' से संबंधित मुद्दों पर भी विचार साझा किए.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)