G20 वार्ताकारों का ध्यान नेताओं की घोषणा के मसौदे को लेकर आम सहमति बनाने पर

भारत के सामने नेताओं की घोषणा में यूक्रेन संकट का उल्लेख करने संबंधी पाठ पर आम सहमति बनाने के कठिन कार्य की चुनौती भी है.

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नई दिल्ली:

जी20 शिखर सम्मेलन के केवल चार दिन शेष रहने के बीच समूह के सदस्य देशों के शीर्ष वार्ताकारों ने इस सम्मेलन के लिए नेताओं की घोषणा के मसौदे को अंतिम रूप देने के उद्देश्य से कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर आम सहमति बनाने के मकसद से व्यापक बातचीत की. इस मामले से अवगत अधिकारियों ने बताया कि जी20 शेरपाओं (वार्ताकारों) ने मुख्य रूप से डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के लिए वैश्विक स्तर पर स्वीकार्य शासन ढांचा बनाने, महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को सुनिश्चित करने के कदम उठाने, जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए वित्तपोषण और बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमडीबी) को मजबूत करने के तरीकों पर ध्यान केंद्रित किया.

शेरपाओं की तीन दिवसीय बैठक हरियाणा के नूंह जिले के आईटीसी ग्रैंड भारत होटल में हो रही है. बैठक की अध्यक्षता भारत के जी-20 शेरपा अमिताभ कांत कर रहे हैं. मामले की जानकारी रखने वाले अधिकारियों ने बताया कि चीन को एजेंडे की बातों के विभिन्न पहलुओं पर आपत्ति है जिसके परिणामस्वरूप आम सहमति बनाने में कठिनाइयां हो रही हैं. जी20 सर्वसम्मति के सिद्धांत के तहत काम करता है और किसी एक भी सदस्य देश का अलग दृष्टिकोण बाधा उत्पन्न कर सकता है.

समूह के वर्तमान अध्यक्ष के रूप में भारत नौ और 10 सितंबर को जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा. नेताओं की घोषणा का मसौदा समावेशी और सतत विकास, हरित विकास, बहुपक्षीय संस्थानों में सुधार और डिजिटल परिवर्तन जैसी भारत की प्राथमिकताओं पर आधारित है. एक सूत्र ने कहा, ‘‘मसौदा घोषणा के लिए आम सहमति बनाने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है.'' नेताओं की घोषणा के मसौदे में अफ्रीकी संघ को जी20 की स्थायी सदस्यता देने का भारत का प्रस्ताव भी शामिल है. यह अभी ज्ञात नहीं है कि इस प्रस्ताव पर पूर्ण सहमति है या नहीं.

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भारत के सामने नेताओं की घोषणा में यूक्रेन संकट का उल्लेख करने संबंधी पाठ पर आम सहमति बनाने के कठिन कार्य की चुनौती भी है. पश्चिमी देशों और रूस-चीन गठबंधन के बीच मतभेदों के कारण भारत को इस मुद्दे पर आम सहमति बनाने में कठिनाई हो रही है. रूस और चीन बाली घोषणा में यूक्रेन संघर्ष संबंधी दो पैरा पर सहमत हुए थे, लेकिन इस साल वे इससे पीछे हट गए जिसके कारण भारत के लिए मुश्किलें पैदा हो गईं.

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देशों के वित्त और विदेश मंत्रियों की बैठक समेत भारत की जी20 की अध्यक्षता में हुई लगभग सभी प्रमुख बैठकों में रूस और चीन के विरोध के कारण यूक्रेन संघर्ष से संबंधित किसी भी पाठ पर आम सहमति वाला दस्तावेज पेश नहीं किया जा सका.

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जी20 दुनिया की प्रमुख विकसित और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं का एक अंतरसरकारी मंच है. इसके सदस्य वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद के लगभग 85 प्रतिशत, वैश्विक व्यापार के 75 प्रतिशत से अधिक और वैश्विक जनसंख्या के लगभग दो-तिहाई हिस्से का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस समूह में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ शामिल हैं.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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