जलवायु परिवर्तन संकट से निपटने की मुहिम का G20 देशों को करना होगा नेतृत्व : एंटोनियो गुटेरेस

संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, G20 देश ग्लोबल स्तर पर 80 फीसदी उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार

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संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा क्लाइमेट के लिए अपने हितों से ऊपर उठकर सामूहिक रणनीति बनानी होगी.
नई दिल्ली:

संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस ने G20 देशों को आगाह किया है कि क्लाइमेट चेंज का संकट नियंत्रण से बाहर जा रहा है और उन्हें ग्लोबल स्तर पर इससे निपटने की मुहिम का नेतृत्व करना होगा. संयुक्त राष्ट्र्र के मुताबिक G20 देश ग्लोबल स्तर पर 80 फीसदी इमीशन के लिए जिम्मेदार हैं और उन्हें क्लाइमेट ब्रेकडाउन को रोकने के लिए अपने हितों से ऊपर उठकर एक सामूहिक रणनीति बनानी होगी.  

G-20 सम्मलेन में अपने उद्घाटन भाषण की शुरुआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को रात में मोरक्को में आए भयंकर भूकंप का जिक्र किया. उन्होंने कहा, "हम सभी की ओर से कुछ देर पहले मोरक्को में आए भूकंप से प्रभावित लोगों के प्रति मैं अपनी हार्दिक संवेदना प्रकट करना चाहता हूं. हम प्रार्थना करते हैं कि सभी घायल लोग शीघ्र स्वस्थ हों. इस कठिन समय में पूरा विश्व समुदाय मोरक्को के साथ है और हम उन्हें हरसंभव सहायता पहुंचाने के लिए तैयार हैं."  

यह सम्मेलन ऐसे वक्त पर हो रहा है जब प्राकृतिक आपदा और जलवायु परिवर्तन दुनिया के सामने एक बड़ी और मुश्किल चुनौती बन गया है.  G-20 इंडियन प्रेसीडेंसी के दौरान डिजास्टर रिस्क रिडक्शन और क्लाइमेट चेंज के मुद्दे पर G-20 देशों ने लम्बा मंथन किया है.

अब संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल एंटोनियो गुटेरेस कहते हैं कि, G-20 देशों को मिलकर इस बढ़ते संकट से निपटने के लिए बड़े फैसले लेने होंगे. 

G-20 देश अपने दायित्वों का निर्वाह करें

NDTV के सवाल- जलवायु परिवर्तन से जुड़ी चुनौतियों के संदर्भ में G-20 शिखर सम्मेलन से क्या अपेक्षाएं हैं? पर एंटोनियो गुटेरेस ने कहा, "क्लाइमेट का संकट नियंत्रण से बाहर जा रहा है. मेरी मुख्य अपेक्षा तो यही है कि G-20 देश अपने दायित्वों का निर्वाह करें. जब हम जलवायु परिवर्तन की बात करते हैं तो इसमें 80% इमिशन (उत्सर्जन) का बहुत बड़ा योगदान है और यह 80 फीसदी उत्सर्जन  G-20 देशों से आता है. जी-20 देशों को इस चुनौती से निपटने में नेतृत्व दिखाना होगा."

जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं पर लगाई जाए रोक 

संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल ने क्लाइमेट चेंज की चुनौती से निपटने के लिए जलवायु एकजुटता संधि का प्रस्ताव रखा है. इसके तहत यह जरूरी है कि विकसित देश साल 2040 के आसपास तक और उभरती अर्थव्यवस्थाएं 2050 के आसपास तक Net-Zero का लक्ष्य हासिल करें. कोयले का उपयोग OECD देशों में 2030 तक और अन्‍य सभी देशों में 2040 तक बंद कर दिया जाए. नई जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं (fossil fuel projects) के लिए सभी प्रकार की लाइसेंसिंग या फंडिंग रोक दी जाए.

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संयुक्त राष्ट्र के सेक्रेटरी जनरल के मुख्य प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक (Stephane Dujarric) ने  NDTV से कहा, "ग्लोबल स्तर पर एक अर्ली वार्निंग सिस्टम सेटअप करना भी जरूरी है. इस सिस्टम पर ज़्यादा इन्वेस्टमेंट करने की जरूरत है.

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