"समुद्र तल से लेकर अंतरिक्ष तक..." : भारत-फ्रांस के साझा बयान को पीएम मोदी ने समझाया

भारत और फ्रांस ने इस बात पर जोर दिया कि वे अफ्रीका, हिंद महासागर क्षेत्र, दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र सहित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में विकास के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे.

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भारत-फ्रांस के साझा बयान को पीएम मोदी ने ट्वीट कर समझाया है.

नई दिल्ली:

फ्रांस की दो दिवसीय यात्रा पर गए पीएम मोदी ने शुक्रवार देर रात ट्वीट कर अपने दौरे की विशेषता बताई. इस दौरे में फ्रांस और भारत के बीच न सिर्फ रक्षा सहयोग बल्कि तकनीक और स्टार्टअप को लेकर भी आम राय बनी है. प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट में लिखा,"मेरे मित्र, राष्ट्रपति @इमैनुएल मैक्रॉन के साथ बातचीत बहुत उत्पादक थी. हमने भारत-फ्रांस संबंधों की संपूर्ण श्रृंखला की समीक्षा की. मैं हरित हाइड्रोजन, नवीकरणीय ऊर्जा, एआई, सेमीकंडक्टर और अन्य भविष्य के क्षेत्रों में सहयोग को गहरा करने को लेकर विशेष रूप से उत्साहित हूं."इसके पहले एक अन्य ट्वीट में प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा, "भारत और फ्रांस नवाचार और स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करते रहेंगे. जलवायु परिवर्तन और सतत विकास भी हमारी चर्चाओं में प्रमुखता से शामिल रहे. तकनीक और रक्षा पर जोर भी उतना ही उल्लेखनीय था."

'भारत-फ्रांस हिंद-प्रशांत रूपरेखा' का मसौदा जारी
भारत और फ्रांस ने शुक्रवार को कहा कि वे स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी और सुरक्षित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के अस्तित्व में विश्वास करते हैं और संप्रभुता एवं क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए इस रणनीतिक क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक एक संतुलित और स्थिर व्यवस्था कायम करने का संकल्प लेते हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों के बीच द्विपक्षीय बातचीत के बाद दोनों देशों ने 'भारत-फ्रांस हिंद-प्रशांत रूपरेखा' का मसौदा जारी किया. इस रूपरेखा के मसौदे में कहा गया है कि भारत और फ्रांस रणनीतिक रूप से अहम 'रेजिडेंट पावर' (निवासी शक्तियां) हैं और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में महत्वपूर्ण हिस्सेदारी वाले प्रमुख भागीदार हैं.

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क्या है इस मसौदे में?
'भारत-फ्रांस हिंद-प्रशांत रूपरेखा' को ऐसे समय में जारी किया गया है, जब इस रणनीतिक क्षेत्र में चीन की आक्रामकता लगातार बढ़ती जा रही है. दोनों देशों ने 'भारत-फ्रांस हिंद-प्रशांत रूपरेखा' के मसौदे में कहा, ‘‘ हिंद महासागर में भारत-फ्रांस के बीच साझेदारी हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गई है. वर्ष 2018 में, भारत और फ्रांस 'हिंद महासागर क्षेत्र में भारत-फ्रांस सहयोग के संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण' पर सहमत हुए. अब हम प्रशांत क्षेत्र में अपने संयुक्त प्रयासों का विस्तार करने के लिए तैयार हैं. ''भारत और फ्रांस ने कहा कि वे स्वतंत्र, मुक्त, समावेशी, सुरक्षित और शांतिपूर्ण हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विश्वास करते हैं.

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साझा बयान में यह कहा...
दोनों देशों ने इस साझा बयान में कहा, ‘‘ हमारा सहयोग हमारे अपने आर्थिक और सुरक्षा संबंधी हितों की रक्षा करने पर केंद्रित है. इसका लक्ष्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में साझा वैश्विक और निःशुल्क पहुंच सुनिश्चित करना, इस क्षेत्र में समृद्धि और स्थिरता की साझेदारी बनाना, अंतरराष्ट्रीय कानून के शासन को आगे बढ़ाना, क्षेत्र में और उससे परे अन्य लोगों के साथ काम करते हुए, संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हुए क्षेत्र में एक संतुलित और स्थिर व्यवस्था का निर्माण करना है.''

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समुद्री सहयोग को बढ़ाएंगे
भारत-फ्रांस के साझा बयान के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी का 'सागर' (क्षेत्र में सभी के लिए सुरक्षा और विकास) का दृष्टिकोण और राष्ट्रपति मैक्रों का फ्रांस की हिंद-प्रशांत रणनीति में उल्लिखित सुरक्षा और सहयोग का दृष्टिकोण बहुत हद तक मेल खाता है. दोनों देशों ने कहा, ‘‘ हमारा सहयोग व्यापक है और इसमें रक्षा, सुरक्षा, आर्थिक, कनेक्टिविटी, बुनियादी ढांचा, स्थिरता और मानव-केंद्रित विकास शामिल है. हमारा द्विपक्षीय सहयोग हमारी पारस्परिक सुरक्षा को आगे बढ़ाता है तथा हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता का समर्थन करता है. हमारा सहयोग समुद्र तल से लेकर अंतरिक्ष तक फैला हुआ है. हम अपने आदान-प्रदान को गहरा करना जारी रखेंगे, स्थितिजन्य जागरूकता पर सहयोग करेंगे, पूरे क्षेत्र में समुद्री सहयोग को बढ़ाएंगे.''

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अन्य क्षेत्रों में भी बढ़ेगा सहयोग
दोनों देशों ने अपने नौसैनिक सहयोग को बढ़ाने और भारत में रक्षा औद्योगिक क्षमताओं को विकसित करने तथा संयुक्त रूप से अन्य देशों की जरूरतों का समर्थन करने का भी संकल्प लिया. भारत और फ्रांस ने इस बात पर जोर दिया कि वे अफ्रीका, हिंद महासागर क्षेत्र, दक्षिण एशिया, दक्षिण-पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र सहित हिंद-प्रशांत क्षेत्र के देशों में विकास के लिए आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए मिलकर काम करना जारी रखेंगे.

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