पेगासस जासूसी कांड में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को किया कठघरे में खड़ा, उठाए ये 5 बड़े सवाल

पेगासस मामले में CJI एनवी रमना ने कहा कि हमने लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के हनन से बचाने से कभी परहेज नहीं किया. निजता केवल पत्रकारों और नेताओं के लिए नहीं, बल्कि ये आम लोगों का भी अधिकार है.

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पेगासस मामले में केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट से लगा झटका

नई दिल्ली:

पेगासस मामले (Pegasus Case) में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को झटका देते हुए कहा कि पेगासस केस की जांच होगी, कोर्ट ने जांच के लिए एक्सपर्ट कमेटी का गठन भी कर दिया है. कोर्ट ने इस मामले में कहा कि केंद्र सरकार का कोई साफ स्टैंड नहीं था. निजता के उल्लंघन की जांच होनी चहिए. फैसला सुनाते हुए  CJI एनवी रमना ने कहा कि हमने लोगों को उनके मौलिक अधिकारों के हनन से बचाने से कभी परहेज नहीं किया. निजता केवल पत्रकारों और नेताओं के लिए नहीं, बल्कि ये आम लोगों का भी अधिकार है . याचिकाओं में  इस बात पर चिंता जताई है कि प्रौद्योगिकी का उपयोग कैसे किया जा सकता है ?  प्रेस की स्वतंत्रता के महत्वपूर्ण है,  जो लोकतंत्र का महत्वपूर्ण स्तंभ है, पत्रकारों के सूत्रों की सुरक्षा भी जरूरी है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में इस मामले में कई रिपोर्ट थीं. मामले में कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था. तकनीक जीवन को उन्नत बनाने का सबसे बेहतरीन औजार है, हम भी ये मानते हैं. उन्होंने आगे कहा कि जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार सबसे ऊंचा है, उनमें संतुलन भी जरूरी है. तकनीक पर आपत्ति सबूतों के आधार पर होनी चाहिए. प्रेस की आजादी पर कोई असर नहीं होना चाहिए. उनको सूचना मिलने के स्रोत खुले होने चाहिए. उन पर कोई रोक ना हो. न्यूज पेपर पर आधारित रिपोर्ट के आधार पर दायर की गई याचिकाओं से पहले हम संतुष्ट नहीं थे, लेकिन फिर बहस आगे बढ़ी. सॉलिसिटर जनरल ने  ऐसी याचिकाओं को तथ्यों से परे और गलत मानसिकता से प्रेरित बताया था. 

पेगासस जासूसी कांड मामले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को कटघरे में खड़ा किया

  1. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि देश के प्रत्येक नागरिक को उनकी निजता के अधिकार के उल्लंघन से बचाया जाना चाहिए. पेगासस जासूसी का आरोप प्रकृति में बड़े प्रभाव वाला है. अदालत को सच्चाई का पता लगाना चाहिए.
  2. कोर्ट ने केंद्र को कटघरे में खड़ा किया और कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को उठाकर सरकार को हर बार फ्री पास नहीं मिल सकता.
  3. न्यायिक समीक्षा के खिलाफ कोई सर्वव्यापी प्रतिबंध नहीं है. केंद्र को यहां अपने रुख को सही ठहराना चाहिए था. अदालत को मूकदर्शक बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए थी. 
  4. केंद्र को बार-बार मौके देने के बावजूद उन्होंने सीमित हलफनामा दिया जो स्पष्ट नहीं था. अगर उन्होंने स्पष्ट किया होता तो हम पर बोझ कम होता .
  5. कोर्ट राष्ट्रीय सुरक्षा का अतिक्रमण नहीं करेगा, लेकिन इससे न्यायालय मूकदर्शक नहीं बनेगा . विदेशी एजेंसियों के शामिल होने के आरोप हैं,  जांच होनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस मामले पर किया कमेटी का गठन
सुप्रीम कोर्ट ने पेगासस के मामले में कमेटी का गठन किया है , जिसमें जस्टिस आरवी रविंद्रन , पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज  आलोक जोशी , पूर्व आईपीएस  संदीप ओबेराय इसके अलावा तीन तकनीकी सदस्य भी शामिल हैं. तकनीकी समिति में तीन सदस्य होंगे. 1-  डॉ नवीन कुमार चौधरी, प्रोफेसर (साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक) और डीन, राष्ट्रीय फोरेंसिक विज्ञान विश्वविद्यालय, गांधीनगर, गुजरात. 2-  डॉ प्रबहारन पी., प्रोफेसर (इंजीनियरिंग स्कूल), अमृता विश्व विद्यापीठम, अमृतापुरी, केरल.  3 - डॉ अश्विन अनिल गुमस्ते, एसोसिएट प्रोफेसर (कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, बॉम्बे, महाराष्ट्र.


 

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