केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने अंतर्राष्ट्रीय मानव तस्करी गिरोह से जुड़े चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. सीबीआई अधिकारियों ने बताया कि ये सभी आरोपी भारतीय युवाओं को बेहतर नौकरी का लालच देकर रूस भेजते थे और फिर उन्हें रूस-यूक्रेन युद्ध में धकेल देते थे. गिरफ्तार आरोपियों में एक अनुवादक भी है. अधिकारियों ने बताया कि केरल के त्रिवेंद्रम निवासी अरुण और येसुदास जूनियर उर्फ प्रियन को मंगलवार को गिरफ्तार किया गया. दो अन्य आरोपियों, कन्याकुमारी निवासी निजिल जोबी बेन्सम और मुंबई निवासी एंथोनी माइकल एलंगोवन, को 24 अप्रैल को गिरफ्तार किया गया था.
सीबीआई के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 6 मार्च को एजेंसी ने देश भर में चल रहे एक प्रमुख मानव तस्करी नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था, जो विदेश में आकर्षक नौकरियों की पेशकश के वादे पर भोले-भाले युवाओं को निशाना बना रहा था.
इसके बाद, तस्करी करके लाए गए भारतीय नागरिकों को युद्ध लड़ने की ट्रेनिंग दी गई और उनकी इच्छा के विरुद्ध रूस-यूक्रेन युद्ध में अग्रिम ठिकानों पर तैनात किया गया, जिससे उनकी जान को गंभीर खतरा हो गया." सीबीआई के अनुसार, जानकारी मिली है कि युद्ध क्षेत्र में कुछ पीड़ित गंभीर रूप से घायल भी हुए.
अधिकारी ने कहा, "निजी वीज़ा कंसल्टेंसी फर्मों और एजेंटों के खिलाफ मानव तस्करी का मामला दर्ज किया गया है, जो बेहतर रोजगार और उच्च वेतन वाली नौकरियों की आड़ में भारतीय नागरिकों की रूस में तस्करी में शामिल थे. इन एजेंटों का मानव तस्करी नेटवर्क देश भर के कई राज्यों और उसके बाहर भी फैला हुआ है."
निजिल जोबी बेन्सम रूस में एक अनुवादक के रूप में अनुबंध के आधार पर काम कर रहा था. वह रूसी सेना में भारतीय नागरिकों की भर्ती के लिए रूस में काम कर रहे नेटवर्क के प्रमुख सदस्यों में से एक था.
अधिकारी ने कहा, "अरुण और येसुदास रूसी सेना के लिए केरल और तमिलनाडु से संबंधित भारतीय नागरिकों के मुख्य भर्तीकर्ता थे. अन्य आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ जांच जारी है जो मानव तस्करों के इस अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क का हिस्सा हैं."