ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले में मुस्लिम पक्ष ने वाराणसी कोर्ट से अपनी आपत्ति दाख़िल करने के लिए दो दिनों का वक़्त मांगा है. कोर्ट में प्रशासनिक वक़ील द्वारा पानी का पाइट, मछलियां और शौंचालय का रास्ता खोलने पर भी सुनवाई हुई है. कोर्ट थोड़ी देर में लिखित आदेश जारी करने वाला है. वहीं ज्ञानवापी मस्जिद-श्रृंगार गौरी मामले पर NDTV से बात करते हुए अंजुमन इंतजा मियां मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी यस यम यासीन ने कहा है कि वे शिवलिंग नहीं, फव्वारा है. यस यम यासीन के अनुसार जब मस्जिद बनी थी तभी से वजू खाना और फव्वारा है. ज्ञानवापी मस्जिद को जौनपुर के शर्की सुल्तानों ने बनाया था. जिसकी बाद में औरंगजेब ने मरम्मत कराई. वहीं ज्ञानवापी मस्जिद के पीछे मौजूद मंदिर के अवशेष पर उन्होंने कहा कि ये अकबर के दीन इलाही का मरकज है. वहां मंदिर कभी नहीं था.
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नंदी के मस्जिद की तरफ होने पर उन्होंने कहा कि इस नंदी को नेपाल के राजा ने अट्ठारह सौ 60 से 80 के बीच में लगवाया था. अंग्रेजों ने हिंदू मुस्लिम को बांटने के लिए नंदी का मुंह इधर कर दिया था. वहीं जो तहखाना बताया जा रहा है दरअसल वे बेसमेंट है. जमीन के अंदर कोई भी तहखाना नहीं है, ये लेवल पर है. क्योंकि मस्जिद एक मंजिल पर है.
गौरतलब है कि कोर्ट के आदेश पर हाल ही में ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वे (Gyanvapi Survey) किया गया था. इस सर्वे के बाद हिन्दू पक्ष ने दावा किया है कि वजूखाने की जगह पर शिवलिंग मिला है. साथ ही कोर्ट से इस स्थान को सील करने और सुरक्षा देने की मांग की गई थी. जिसके बाद कोर्ट ने शिवलिंग मिलने वाले स्थान को सील करने का आदेश दिया था. हालांकि मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इस मामले में लगातार गुमराह करने का काम किया जा रहा है. जिसे शिवलिंग बताया जा रहा है, वो एक फव्वारा मात्र है.
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