जेल का पानी, मिट्टी, फांसी का तख्ता और क्या है लाल किताब? तिहाड़ के पूर्व जेलर सुनील गुप्ता ने सुनाए किस्से

Tihar Jail Story : सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल की कल्पना एक हॉस्टल जैसी है. फिल्मों में दिखाई जाने वाली जेलों की कहानी काल्पनिक होती है.

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नई दिल्ली:

तिहाड़ जेल के पूर्व जेलर सुनील गुप्ता ने तिहाड़ जेल की कई अनसुनी कहानियां साझा की हैं. NDTV के साथ इंटरव्यू में उन्होंने कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं. अपने 35 साल के करियर में, उन्होंने कई महत्वपूर्ण घटनाओं को देखा है, जिनमें फांसी की सजाएं भी शामिल हैं. सुनील गुप्ता ने अपनी किताब में एक लाल किताब का जिक्र किया है.

सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल की कल्पना एक हॉस्टल जैसी है. फिल्मों में दिखाई जाने वाली जेलों की कहानी काल्पनिक होती है. तिहाड़ जेल में कैदियों को जमीन पर ही सोना पड़ता है. जेल की ड्रेस हर राज्य के हिसाब से अलग होती है, क्योंकि यह राज्य का विषय है. ड्रेस कोड केवल दोषी सिद्ध हो चुके कैदियों के लिए होता है. जेल में दाखिल होने के समय पूरी जांच होती है, जिसके बाद कैदी को या तो बैरक मिलती है या फिर सेल. बैरक में आम तौर पर बहुत सारे कैदी रहते हैं, जबकि सेल में एक ही व्यक्ति रहता है. आमतौर पर आम कैदियों को बैरक में और विशेष कैदियों को सेल में रखा जाता है.

जेल में बंद कैदियों का रूटीन
सुनील गुप्ता ने बताया कि चक्की पीसने की परंपरा अब खत्म हो चुकी है. यह आजादी से पहले के समय की बात थी. जब कैदियों से सेल में चक्की पिसवाई जाती थी. अब ऐसा नहीं होता. आम कैदी सुबह 5 बजे तक उठ जाते हैं, इसके बाद गिनती होती है और फिर जेल के दरवाजे खुल जाते हैं. सुबह 8 बजे से जेल की फैक्ट्रियां शुरू हो जाती हैं. तिहाड़ जेल में लकड़ी की फैक्ट्री है, जहां दिल्ली के स्कूलों के लिए डेस्क बनाए जाते हैं. वहीं, जेल में एक बेकरी भी है जहां ब्रेड आदि बनते हैं. यहां सरसों का तेल भी शुद्ध रूप में तैयार किया जाता है, और मसाले भी बनाए जाते हैं.

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सुनील गुप्ता ने बताया कि दोपहर में कैदियों को खाना दिया जाता है. शाम 4 बजे फैक्ट्रियां बंद हो जाती हैं. फिर शाम को कैदियों को चाय और बिस्किट मिलते हैं और कुछ समय खेलकूद के लिए दिया जाता है.

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लाल किताब और अंधविश्वासी मान्यताएं
सुनील गुप्ता ने ‘लाल किताब' का भी ज़िक्र किया, जो एक तंत्र-मंत्र और टोटकों से जुड़ी किताब मानी जाती है. इसमें लिखा है कि अगर कोई व्यक्ति जेल की रोटी खा ले, जेल का पानी या मिट्टी ले आए, या फांसी का तख्ता बाहर लेकर आ जाए और उससे ताबीज बना दे, तो यह ताबीज बच्चों के डर को दूर कर सकता है. माना जाता है कि यदि बच्चा रात को डरता है तो ऐसे ताबीज से उसका डर खत्म हो सकता है. हालांकि ये सब अंधविश्वास की बातें हैं, लेकिन लोगों को ऐसा लगता है कि इनसे कुछ प्रभाव पड़ता है.

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