देशद्रोह और तख्तापलट की कोशिश... कांगो के पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ कबीला को किन मामलों में हुई मौत की सजा?

कबीला 2023 में विशाल मध्य अफ़्रीकी देश छोड़कर चले गए थे. मई में, अशांत पूर्व में एम23 के कब्ज़े वाले गोमा शहर में उनका कुछ समय के लिए फिर से प्रकट होना, राजधानी किंशासा में बेचैनी का कारण बना था. आजीवन सीनेटर के रूप में उन्हें प्राप्त संसदीय छूट को मई के अंत में हटा लिया गया था, ताकि उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके.

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  • कांगो की अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ कबीला को सरकार विरोधी समूह के साथ मिलीभगत के आरोप में मौत की सजा दी.
  • कबीला पर राष्ट्रपति त्सेसीकेदी को अपदस्थ करने की साजिश रचने और एम23 के साथ मिलकर तख्तापलट की कोशिश का आरोप है.
  • कबीला ने 2001 से 2019 तक डीआरसी पर शासन किया और उनके खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए संसदीय छूट मई में हटा दी गई थी.
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कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य की एक सैन्य अदालत ने मंगलवार को पूर्व राष्ट्रपति जोसेफ कबीला को "देशद्रोह" के गंभीर आरोप में उनकी अनुपस्थिति में मौत की सजा सुनाई है. 54 वर्षीय कबीला, जो सुनवाई के दौरान न तो अदालत में मौजूद थे और न ही उनका कोई कानूनी प्रतिनिधि था, उन्हें सरकार विरोधी सशस्त्र समूह एम23 के साथ मिलीभगत का दोषी पाया गया. इस समूह ने रवांडा की सहायता से कांगो के संसाधन-संपन्न पूर्वी हिस्से पर कब्जा कर लिया था.

कबीला 2023 में विशाल मध्य अफ़्रीकी देश छोड़कर चले गए थे. मई में, अशांत पूर्व में एम23 के कब्ज़े वाले गोमा शहर में उनका कुछ समय के लिए फिर से प्रकट होना, राजधानी किंशासा में बेचैनी का कारण बना था. आजीवन सीनेटर के रूप में उन्हें प्राप्त संसदीय छूट को मई के अंत में हटा लिया गया था, ताकि उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके.

तीन दशकों से हिंसा से त्रस्त कांगो ने पिछले साल ही मृत्युदंड पर लगी रोक हटा ली थी, हालांकि उसके बाद से किसी को भी फांसी नहीं दी गई है.

अभियोजन और राजनीतिक प्रतिक्रिया

सैन्य अभियोजक जनरल लुसिएन रेने लिकुलिया ने कबीला के लिए मौत की सजा की माग करते हुए उन पर राष्ट्रपति फेलिक्स त्सेसीकेदी को अपदस्थ करने की साजिश रचने का आरोप लगाया. लिकुलिया ने यह भी कहा कि कबीला ने रवांडा के साथ मिलकर, एम23 नेता कॉर्नेल नांगा की मदद से, त्सेसीकेदी के ख़िलाफ़ तख्तापलट की कोशिश की. कबीला की पार्टी ने इस पूरी कार्यवाही की निंदा करते हुए इसे एक "राजनीतिक मुकदमा" करार दिया है.

 लिकुलिया ने पूर्व नेता पर एम23 से जुड़े हत्या, यातना और बलात्कार के अन्य आरोप भी लगाए. कबीला ने 2001 से 2019 के बीच डीआरसी पर शासन किया था. उन्होंने अपने पिता लॉरेंट-डेसिरे कबीला की हत्या के बाद सत्ता संभाली थी, जिन्होंने 1997 में तानाशाह मोबुतु सेसे सेको को अपदस्थ किया था. पर्यवेक्षकों का मानना है कि मौत की सजा का उद्देश्य देश के भीतर विपक्ष को एकजुट करने की कबीला की संभावना को पूरी तरह से ख़त्म करना है.

तकरार: त्सेसीकेदी ने कबीला को सशस्त्र समूह एम23 के पीछे का दिमाग बताया है, जबकि कबीला ने त्सेसीकेदी की सरकार को "तानाशाही" करार देते हुए इसे समाप्त करने की कसम खाई है.

जून में वाशिंगटन में कांगो और रवांडा सरकारों के बीच एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए गए थे, और जुलाई में कतर में एम23 के साथ "स्थायी युद्धविराम के पक्ष में" एक सैद्धांतिक घोषणापत्र पर भी हस्ताक्षर हुए थे. इन समझौतों के बावजूद, ज़मीनी स्तर पर हिंसा जारी है. गैर-सरकारी संगठनों ने अचानक फांसी, सामूहिक बलात्कार और अपहरण सहित नागरिकों के ख़िलाफ़ होने वाले दुर्व्यवहारों की निंदा की है. संयुक्त राष्ट्र की एक जांच में पाया गया है कि संघर्ष में शामिल सभी पक्षों ने युद्ध अपराध और मानवता के ख़िलाफ़ अपराध किए होंगे.

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मौत की सजा सुनाए जाने के बावजूद, अधिकारियों द्वारा कबीला की गिरफ्तारी की संभावना फिलहाल कम है, क्योंकि उनका वर्तमान ठिकाना अज्ञात है. उच्च सैन्य न्यायालय के इस फैसले के खिलाफ़ कोर्ट ऑफ़ कैसेशन में अपील अभी भी संभव है. हालांकि, यह अपील केवल प्रक्रियागत अनियमितताओं के आधार पर की जा सकती है, न कि मामले के गुण-दोष की समीक्षा के लिए.
 

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