कवरत्ती में इकलौता हिंदू मंदिर मजहबी सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है. मंदिर में स्थापित भगवान विनायक की मूर्ति एक पूर्व मुस्लिम सैनिक ने बनायी है जो इस धर्म स्थल की शोभा बढ़ा रही है. पी आर चेरिया कोया ने कवरत्ती में स्थित मंदिर को हाथ से बनायी भगवान की मूर्ति दान दी है, जहां की 96 फीसदी आबादी मुस्लिम है. वह एक कला शिक्षक भी हैं और लक्षद्वीप में अन्दरोत द्वीप में रहते हैं. प्राधिकारियों ने कोया को द्वीप पर अल्पसंख्यक समुदाय की आस्था के लिए उनके उदार योगदान का विवरण देते हुए एक प्रमाण पत्र भी दिया है.
करीब 80 वर्ष की आयु के चेरिया कोया ने कहा, "मैंने लोगों के प्रति अपने प्यार और सम्मान के कारण ऐसा किया. मैं केरल के कन्नौर और कोझीकोड में पला-बड़ा हूं. मैंने विद्यालयों में पढ़ाई की और शिक्षकों तथा स्थानीय लोगों ने मेरे धर्म की परवाह किए बगैर मुझे बहुत प्यार दिया." कवरत्ती के मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की मूर्ति कोया द्वारा बनायी पहली हिंदू मूर्ति नहीं है. वह पहले भी अन्दरोत में तैनात मध्य प्रदेश के पुलिसकर्मियों के लिए एक मंदिर में भगवान हनुमान की मूर्ति बना चुके हैं.
कोया ने कहा, "ड्यूटी पर तैनात मध्य प्रदेश के पुलिसकर्मी अपने खाली समय में वहां बैठकर भजन गाते और बातें करते थे क्योंकि वहां पूजा का कोई स्थान नहीं था. इसलिए मैंने उनके लिए हनुमान की मूर्ति बनायी और वे बहुत खुश हुए. उन्होंने अपने वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी जानकारी दी." कोया ने पुरानी यादें ताजा करते हुए बताया, "जब मैं एक आधिकारिक दौरे पर कवरत्ती आया तो सैन्य कर्मियों और हिंदू भाइयों ने मुझसे उनके लिए गणेश की मूर्ति बनाने का अनुरोध किया. चूंकि मैं तब सरकारी सेवा में था तो मैंने उन्हें बताया कि मुझे अपने वरिष्ठ अधिकारियों से अनुमति लेनी पड़ेगी. इसके बाद जिलाधीश, एडीएम और एसपी आए और उन्होंने मुझे लिखित में अनुमति दी."
उन्होंने बताया कि तब से उन्होंने हिंदू मूर्तियों के बारे में सीखना शुरू किया। उन्होंने कहा, "रक्षा सेवा के दिनों में मैंने असम के सिलचर में एक मंदिर के लिए श्री कृष्ण की आदमकद मूर्ति बनायी थी." वह इन कामों के लिए मिले प्रशंसा प्रमाणपत्र को अत्यंत मूल्यवान बताते हैं. कवरत्ती के मंदिर में पुजारी और श्रद्धालु कोया के धर्मनिरपेक्ष रवैये को याद करते हैं.
लक्षद्वीप के विशेष सचिव शैलेंद्र सिंह ने कहा, "अब यह बहुत पवित्र स्थान है. लक्षद्वीप के लोग बहुत अच्छे हैं...बहुत ज्यादा साम्प्रदायिक सौहार्द है. चेरिया कोया ने उसके लिए सबसे बड़ा योगदान दिया है जो इस मंदिर के विकास में भी काफी अहम है." मंदिर के पुजारी नित्यानंद त्रिपदी भी चेरिया कोया के योगदान के लिए उनका आभार जताते हैं.