पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ वकील शांति भूषण का 97 साल की उम्र में निधन हो गया. शांति भूषण कई सामाजिक और राजनीतिक आंदोलन से भी जुड़े रहे थे. साल 1977 से 1979 तक मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री कार्यकाल के दौरान उन्हें देश का कानून मंत्री बनाया गया था. आपातकाल के दौरान उन्होंने आंदोलन में हिस्सा लिया था. बाद के दौर में भी उन्होंने भ्रष्टाचार के खिलाफ कई आंदोलनों में शिरकत की. शांति भूषण को संविधान विशेषज्ञ के तौर पर भी जाना जाता था. वो पिछले कुछ समय से बीमार चल रहे थे.
शांति भूषण इंदिरा गांधी के खिलाफ राजनारायण के इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकील रहे थे. जिस फैसले के बाद देश में राजनीतिक उठापटक देखने को मिली थी और इंदिरा गांधी को पद छोड़ना पड़ा था. उनके पुत्र प्रशांत भूषण भी सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं.
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जताया शोक
शांति भूषण के निधन पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी शोक जाहिर किया है. राष्ट्रपति ने ट्वीट किया, 'महान वकील और पूर्व केंद्रीय कानून मंत्री शांति भूषण जी के निधन में एक युग बीत गया है. वह हमेशा अपनी मान्यताओं के लिए खड़े रहे. वह न्यायशास्त्र के साथ-साथ राजनीति पर भी अपनी छाप छोड़ते थे. उनके परिवार और मित्रों के लिए संवेदनाएं.'
PM मोदी ने किया ट्वीट
शांति भूषण के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शोक जाहिर किया था. पीएम ने ट्वीट किया, 'कानून के क्षेत्र में अपने योगदान के लिए शांति भूषण हमेशा याद रखे जाएंगे. उन्होंने हमेशा दबे-कुचले लोगों का साथ दिया और उनके लिए लड़े. उनके जाने से दुख हुआ है. परिवार के सदस्यों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं. ओम शांति.'
शांति भूषण 14 जुलाई 1977 से दो अप्रैल 1980 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे. 1980 में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. 1986 में जब भारतीय जनता पार्टी ने एक चुनाव याचिका पर उनकी सलाह नहीं मानी, तो उन्होंने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया. शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण अन्ना आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे.
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