विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर (S Jaishankar) ने सोमवार को कहा कि यूक्रेन संघर्ष के बाद रूस के साथ भारत के व्यापार में वृद्धि देखी गई है, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश की राजनयिक गतिविधियों में भारतीय लोगों के हितों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.नई दिल्ली में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (NIT) में युवाओं के साथ बातचीत करते हुए विदेश मंत्री ने ये बात कही. मोदी सरकार के नौ वर्ष पूरे होने के अवसर पर शुरू किये गए भारतीय जनता पार्टी के जनसम्पर्क अभियान के तहत एनआईटी दिल्ली के छात्रों से विदेश मंत्री संवाद कर रहे थे.
पश्चिम के साथ रूस के व्यापारिक संबंधों में बड़े बदलाव के बारे में बताते हुए विदेश मंत्री ने कहा कि रूस के मुख्य आर्थिक साझेदार पश्चिमी देश थे. यूक्रेन संघर्ष के बाद वह रास्ता बंद हो गया था. रूस अब एशिया की ओर अधिक रुख कर रहा है. हमारा व्यापार यूक्रेन संघर्ष से लगभग 12-14 बिलियन डॉलर था, पिछले साल हमारा व्यापार 40 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया.
जयशंकर ने कहा कि मुझे लगता है कि हमें इस बारे में ज्यादा चिंता नहीं करनी चाहिए कि वे अन्य देशों के साथ क्या कर रहे हैं. हमें रूस के साथ अपने रिश्ते को जारी रखना चाहिए और देखना चाहिए कि भारतीय लोगों के हित कैसे सबसे ऊपर है.
विदेश मंत्री ने बताया कि विदेश नीति के फैसले हमारे दैनिक जीवन को कैसे प्रभावित करते हैं. उन्होंने कहा कि अच्छी विदेश नीति के बिना, पेट्रोल की कीमत बहुत अधिक होगी, खाना पकाने के तेल की कीमत बहुत अधिक होगी, आपके द्वारा खरीदा जाने वाले अगले आईफोन की (कीमत) बहुत अधिक हो जाएगी. गौरतलब है कि यूक्रेन पर रूस के हमले को लेकर पश्चिम द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद भारत ने रूस से कच्चा तेल आयात करने के अपने फैसले का मजबूती से बचाव किया है.
भारत ने रूस से तेल आयात करना जारी क्यों रखा है, इस सवाल का जवाब देते हुए, डॉ. जयशंकर ने कहा कि भारत की प्रति व्यक्ति आय 2,000 डॉलर है और यह सुनिश्चित करना सरकार का दायित्व और नैतिक कर्तव्य है कि वह अपने लोगों को सबसे अच्छा सौदा दिलाए.
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