जेकेएलएफ नेता और आतंकी यासीन मलिक (Yasin Malik) को जिन प्रावधानों में सजा हुई है उनमें अधिकतम सजा मौत की सजा थी लेकिन यासीन के दांव-पेंचों के चलते अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई. दरअसल, मलिक ने ट्रायल से पहले ही आतंकियों की मदद करने और टेरर फंडिंग से लेकर सभी अपराध कबूल लिए. इतना ही नहीं उसने अदालत में बताया कि वो 1994 से हिंसा का रास्ता छोड़ चुका है. वो महात्मा गांधी के रास्ते पर चल रहा है. देश के PM उससे मिलते रहे हैं. भारत सरकार ने उसे बात रखने के लिए मंच दिया है.
उधर, अदालत में आई जेल रिपोर्ट में बताया गया कि उसका जेल में आचरण अच्छा रहा है वो सुधार की ओर जा रहा है. खुद अपराध कबूलने, 1994 को बाद किसी भी केस में शामिल न होने और जेल में आचरण पर अदालत ने इसे सजा-ए-मौत देने का मामला नहीं माना. हालांकि अदालत ने आदेश में जो टिप्पणी की वो इस मामले को कहीं ज्यादा संगीन बनाती है. अदालत ने कहा है जिन अपराधों के लिए दोषी ठहराया गया है वे बहुत गंभीर प्रकृति के हैं. इन अपराधों का उद्देश्य भारत के दिल में प्रहार करना था. जम्मू-कश्मीर को भारत से जबरदस्ती अलग करना था. यह अपराध अधिक गंभीर है क्योंकि यह बाहरी शक्तियों और आतंकवादियों की सहायता से किया गया था. अपराध की गंभीरता इस तथ्य से और भी बढ़ जाती है कि यह एक कथित शांतिपूर्ण राजनीतिक आंदोलन के धुएं के पर्दे के पीछे किया गया था.
फिलहाल यासीन मलिक उम्रकैद की सजा काटेगा लेकिन उसके पास फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट और फिर सुप्रीम कोर्ट जाने का कानूनी विकल्प मौजूद है. वहीं इस मुद्दे पर NIA भी हाईकोर्ट जाने की बात कह रही है. इस बीच, यासीन ने हलफनामा दाखिल कर अपनी आर्थिक स्थिति बताते हुए कहा है कि उसकी सभी स्रोतों से सालाना आय 50,000 रुपये है. अचल संपत्ति के नान पर उसके पास अनंतनाग, जम्मू-कश्मीर में 11.5 कैनाल भूमि है. जिसमें से 2014 में 20 लाख रुपये की चार कैनाल जमीन बेच दी और बहन के बेटे के लिए एक दुकान खरीदी.उसका कोई बैंक खाता नहीं है और ना ही कोई निवेश है.
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