विप्रो के चेयरमैन ऋषद प्रेमजी ने अपनी कंपनी के 300 कर्मचारियों की मूनलाइटिंग (साइड जॉब खासकर प्रतिद्वंद्वी कंपनियों में काम) करने के आरोप में निकाले जाने के एक महीने बाद एक कार्यक्रम में खुलासा किया कि वरिष्ठ कर्मचारियों को भी नैतिक उल्लंघन की छूट नहीं है.
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के मुताबिक, टेक दिग्गज ने कहा कि मैंने मात्र दस मिनट में अपनी कंपनी में काम कर रहे टॉप 20 में आने वाले एक बेहद महत्वपूर्ण कर्मचारी को निकाल दिया. वह कंपनी के लिए महत्वपूर्ण थे, लेकिन उन्होंने नैतिकता का गंभीर उल्लंघन किया था. हमने तय किया कि कठिन समय आने पर उनका सामना करना चाहिए, उससे भागना नहीं चाहिए.
19 अक्टूबर को प्रेमजी बेंगलुरु में नैसकॉम प्रोडक्ट कॉन्क्लेव में बोल रहे थे. प्रेमजी ने इस बारे में विस्तार से नहीं बताया कि क्या इस टॉप कर्मचारी का उल्लंघन मूनलाइटिंग से संबंधित था? बहरहाल, उन्होंने यह जरूर कहा कि 300 कर्मचारियों को निकालने का फैसला नैतिकता के गंभीर उल्लंघन से संबंधित था.
प्रेमजी ने कहा कि मूनलाइटिंग नैतिकता के गंभीर उल्लंघन में सबसे गहराई में आता है. विप्रो के सीईओ थियरी डेलापोर्टे ने बुधवार को कहा कि कुछ हद तक साइड जॉब बर्दाश्त किए जा सकते हैं लेकिन प्रतिद्वंद्वी कंपनियों में काम करना बिल्कुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. यह नैतिकता का सवाल है.
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