देश की लोकप्रिय लोक गायिका शारदा सिन्हा आज अपने अंतिम सफर पर निकल गईं. पटना के राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से उनकी अंतिम यात्रा गुलबी घाट के लिए रवाना हुई. अपने गीतों के जरिए बिहार और भारत भर में मशहूर हुईं शारदा सिन्हा की अंतिम यात्रा में उनके बेटे अंशुमान ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए अर्थी को कंधा दिया. इस मौके पर उनके शुभचिंतक, चाहने वाले और क्षेत्रीय राजनीतिक हस्तियां भी शामिल हुईं.
आंखों में आंसू और दिलों में यादें
बीजेपी के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव समेत अन्य लोग उन्हें अंतिम विदाई देने पहुंचे, जिससे माहौल अत्यधिक भावुक हो गया. पटना से आज बिहार की महान लोक गायिका शारदा सिन्हा को उनके प्रशंसकों और परिवारजनों ने भावभीनी विदाई दी. राजेंद्र नगर स्थित उनके आवास से शुरू हुई उनकी अंतिम यात्रा में लोगों की आंखों में आंसू और दिलों में यादें थीं. गुलबी घाट पर अंतिम संस्कार संपन्न होने की योजना है.
लोक संगीत को दी नई पहचान
बीजेपी के पूर्व सांसद रामकृपाल यादव भी शारदा सिन्हा के अंतिम दर्शन करने पहुंचे और कहा कि उनकी कला और साधना हमारे समाज के सांस्कृतिक धरोहर के रूप में हमेशा जीवित रहेगी. उनके साथ ही कई चाहने वाले और शुभचिंतक भी शामिल हुए, जिन्होंने शारदा जी के योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि दी. शारदा सिन्हा ने अपने सुमधुर गीतों से सिर्फ बिहार ही नहीं बल्कि पूरे भारत में लोक संगीत को एक नई पहचान दी. उनके द्वारा गाए गए गीतों में बिहार की संस्कृति और लोक परंपरा की महक झलकती थी, जो अब उनकी अनुपस्थिति में भी लोगों के दिलों में गूंजते रहेंगे.