पांच दिन तक लगातार बैठकें करते रहने के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने मंगलवार रात को अगले माह होने जा रहे कर्नाटक विधानसभा चुनाव के लिए 189 नामों की लिस्ट जारी कर दी. पार्टी नेताओं का कहना है कि यह लिस्ट, जिसमें कई पुराने नाम नदारद हैं और 52 कतई नए नाम मौजूद हैं, हालिया दशकों में कर्नाटक की पहचान बन चुकी 'दागी, नीरस और समझौते की राजनीति' को दूर कर देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ज़ोर दिए जाने का परिणाम है.
पहले ही 166 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी कांग्रेस और कुछ ही वक्त पहले अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करने वाले जनता दल सेक्युलर (JDS) के आक्रामक चुनावी अभियान से जूझ रही BJP को पिछले हफ्ते अपनी प्रत्याशी सूची में देरी को लेकर बहुत-से सवालों का सामना करना पड़ा. इसे लेकर कांग्रेस ने दावा किया था कि BJP अंदरूनी मतभेदों से जूझ रही है.
बहरहाल, BJP के वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक प्रधानमंत्री ने रविवार को हुई केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक में बेहद अहम बात कही थी. वरिष्ठ नेताओं के मुताबिक, PM ने साफ कर दिया था कि अगर उन्हें कर्नाटक की जनता से कम से कम एक बार पार्टी को बहुमत देने की अपील करनी है (पार्टी 2008 और 2019 में बहुमत हासिल नहीं कर पाई थी), तो जनता को हमारे उम्मीदवारों की सूची से हमारे 'इरादों का सबूत' मिलना चाहिए और उसे पिछली सूचियों जैसा नहीं होना चाहिए, जिनसे लोगों को पार्टी के वादों पर सवाल उठाने का मौका मिल सके.
224-सदस्यीय कर्नाटक विधानसभा के लिए एक ही चरण में 10 मई को मतदान होने जा रहा है.
एक अन्य पदाधिकारी ने कहा, "प्रधानमंत्री इस पर पूरी तरह स्पष्ट थे कि पुराने दिग्गजों और नैरेटिव से लोगों को यकीन नहीं होने वाला... उन्होंने कहा कि पार्टी को राज्य के भविष्य को लेकर गंभीर होने का अपना इरादा साफ कर देना चाहिए और यह सूची में भी साफ नज़र आना चाहिए... बस, इसके बाद सूची पर कई दौर की चर्चा के बाद काम किया गया..."
वरिष्ठ पदाधिकारियों के अनुसार, उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची में BJP ने लगभग 12 विधायकों के टिकट काट दिए हैं.
एक वरिष्ठ नेता ने बताया, कर्नाटक के लिए इस बार BJP उम्मीदवारों का चयन जाति फैक्टर के अलावा कुछ अपवादों को छोड़कर मुख्य रूप से तीन पैमानों पर आधारित था. लेकिन हालिया अतीत में हिमाचल प्रदेश में बागियों का सामना कर चुकी BJP का नेतृत्व चाहता था कि उम्मीदवार सूची से पार्टी की संभावनाओं को धुंधला किए बिना लोगों में विश्वास पैदा किया जा सके.
यौन उत्पीड़न के आरोपों और केसों का सामना कर रहे या विवादों से घिरे कई नेताओं को टिकट नहीं दिए गए हैं. पार्टी नेतृत्व ने उन दिग्गजों को भी टिकट नहीं दिए, जो अपने करियर के 'शिखर' पर पहुंच चुके हैं, और इसी कारण के.एस. ईश्वरप्पा और जगदीश शेट्टार को दूसरों के लिए रास्ता छोड़ने के लिए कहा गया. इसके बाद ईश्वरप्पा ने तो रिटायरमेंट को लेकर बयान जारी कर दिया है, लेकिन जगदीश शेट्टार द्वारा पार्टी नेतृत्व से मिलकर चुनाव लड़ने का मौका दिए जाने का आग्रह करने की संभावना है. पार्टी ने अभी तक शिवमोग्गा सिटी के लिए उम्मीदवार की घोषणा नहीं की है, जहां से ईश्वरप्पा के बेटे ने टिकट मांगा है, और फिलहाल जगदीश शेट्टार की हुबली-धारवाड़ सेंट्रल सीट पर भी प्रत्याशी घोषित नहीं किया गया है.
जिस नेता का ज़िक्र ऊपर किया गया है, उन्होंने यह भी कहा कि सूची में सबसे अहम बदलाव यह है कि इसमें हर चुनाव में सामने आने वाली 'समझौता राजनीति' को छोड़ दिया गया है, जिसके तहत पार्टी विपक्ष के मज़बूत नेताओं के खिलाफ हल्के नेताओं को मैदान में उतारती है. पिछले हफ्ते, JDS नेता तथा पूर्व PM एच.डी. देवेगौड़ा ने टिप्पणी की थी कि राज्य में BJP और कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के बीच 'रणनीतिक गठबंधन' नियमित रूप से होते रहे हैं. इस बार वरिष्ठ नेताओं को भी पार्टी की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए अपने 'कम्फर्ट ज़ोन' से हट जाने के लिए कह दिया गया, लेकिन हर जगह की अपनी-अपनी फितरत देखते हुए, विशेष रूप से बेंगलुरू में, ज़मीन-आसमान सरीखे बदलावों से बचा गया.
इस बार BJP ने वरुणा और कनकपुरा सीटों से कांग्रेस के दिग्गज नेताओं सिद्धारमैया और डी.के. शिवकुमार के मुकाबले आवास मंत्री वी. सोमन्ना और राजस्व मंत्री और पूर्व उपमुख्यमंत्री एम.आर. अशोक के नामों की घोषणा की है. लेकिन सोमन्ना और अशोक चामराजनगर और पद्मनाभनगर से भी चुनाव लड़ेंगे. अब तक गोविंदराज नगर से चुनाव लड़ते आ रहे सोमन्ना के लिए इस बार लड़ाई मुश्किल दिखाई दे रही है.
BJP नेता का कहना था, "यह न केवल उनके नेतृत्व की परीक्षा होगी, बल्कि कुछ हद तक कांग्रेस नेताओं को भी बांधकर रख देगी..." इसके अलावा, कई नेताओं द्वारा अपने बेटों या परिवार के अन्य सदस्यों को समायोजित करने के अनुरोध को भी कई सीटों पर पूरी तरह कबूल नहीं किया गया, जिससे असहमतियों के रूप में देखा गया.
पहली सूची में जिन विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं, उनमें बेलगावी उत्तर से अनिल बेनाके, रामदुर्ग से यादवाद महादेवप्पा, गदग से रामप्पा लमानी, पुत्तूर से संजीव मतंदूर, कापू से लालाजी मेंडन, कुंडापुरा से हाल ही में राजनीति से संन्यास की घोषणा करने वाले श्रीनिवास शेट्टी, और कुडलिगी से पार्टी से इस्तीफा दे चुके एन.वाई. गोपालकृष्ण, उडुपि से तीन बार विधायक रहे के. रघुपति भट्ट, सुलिया से एस. आंगरा और होस दुर्ग से गोलीहट्टी शेखर शामिल हैं.
एक अन्य नेता ने बताया कि पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा के विचारों का 'पर्याप्त सम्मान किया गया, और उन्हें माना भी गया...' उनके बेटे बी.वाई. विजयेंद्र को शिकारीपुरा से चुनाव टिकट दिया गया, और कुछ असहमतियों के बावजूद उनके सहयोगी तम्मेश गौड़ा को भी बयातारायणपुरा से उम्मीदवार बनाया गया.
बेलगावी में पूर्व मंत्री रमेश जरकीहोली का दबदबा भी बरकरार रहा, और वह अपने वफादार और मौजूदा विधायक महेश कुमथल्ली को पूर्व उपमुख्यमंत्री लक्ष्मण सावदी के मुकाबले तरजीह दिलाने में कामयाब रहे. पार्टी ने यह घोषणा भी कर दी कि मंत्री बी.एस. आनंद सिंह के पुत्र सिद्धार्थ सिंह उनकी सीट काम्पली से चुनाव लड़ेंगे.
तीसरे BJP नेता का कहना था, "कुछ राजनीतिक मजबूरियां ज़रूर हैं, लेकिन हम साफ कर देना चाहते हैं कि भले ही कांग्रेस ने विनय कुलकर्णी जैसे गंभीर आरोपों का सामना करने वाले लोगों को भी टिकट दिया है, हम उस तरह की राजनीति से दूर जा रहे हैं... कांग्रेस सत्ता-विरोधी लहर का फायदा उठाने की फिराक में है, लेकिन कांग्रेस राजनीति में यथास्थिति को बरकरार रखने को ही बढ़ावा दे रही है..."
पार्टी जानती है कि इस बार का विधानसभा चुनाव उनके लिए मुश्किल हो सकता है, इसलिए BJP ने 1 और 2 अप्रैल को व्यापक 'रायशुमारी' करवाई, जिसमें हर सीट पर कम से कम 300 पूर्व और वर्तमान पदाधिकारियों, सरपंचों और जिला परिषद प्रमुखों से प्रत्याशी के तौर पर उनकी पसंद लिखित में मांगी गई. कर्नाटक के लिए BJP के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि 25,000 कार्यकर्ताओं से सलाह ली गई. अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले प्राथमिक चुनाव सरीखे प्रारूप का परीक्षण BJP ने इस साल की शुरुआत में पूर्वोत्तर में छोटे पैमाने पर किया था. कर्नाटक में पार्टी ने कम से कम आठ अलग-अलग स्रोतों से फीडबैक भी लिया है, जिनमें RSS द्वारा भेजी गई सूची और विशेषज्ञों द्वारा किए गए व्यापक सर्वेक्षण शामिल हैं.
इसके बाद, धर्मेन्द्र प्रधान के अलावा BJP अध्यक्ष जे.पी. नड्डा, राष्ट्रीय संगठन सचिव बी.एल. संतोष, सह-प्रभारी के. अन्नामलाई और स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया और महासचिव अरुण सिंह द्वारा गहन विचार-विमर्श किया गया. अंतिम निर्णय मंगलवार को उस बैठक में लिया गया, जिसमें इन नेताओं के अतिरिक्त राज्य के नेता तथा गृहमंत्री अमित शाह भी मौजूद थे.
जाति है अहम...
BJP की सूची में 32 उम्मीदवार अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) और 30 प्रत्याशी अनुसूचित जाति (SC) से हैं. पहली सूची में लगभग 51 उम्मीदवार राजनीतिक रूप से प्रभावशाली लिंगायत समुदाय से हैं, जबकि कांग्रेस ने अब तक 45 लिंगायत उम्मीदवारों को टिकट दिया है. 2018 में BJP के पास 55 लिंगायत उम्मीदवार थे, जिनमें से 40 जीते थे, जबकि कांग्रेस ने उस वक्त 43 लिंगायत उम्मीदवार उतारे थे, जिनमें से 17 को जीत हासिल हुई थी. BJP की पहली लिस्ट में लगभग 40 वोक्कालिगा प्रत्याशी भी हैं.
इस लिस्ट से BJP द्वारा अनुसूचित जनजातियों को दिया गया महत्व भी साफ ज़ाहिर होता है. राज्य के मंत्री बी. श्रीरामुलू का बेल्लारी से चुनाव लड़ना तय है, और उनके अलावा भी पार्टी ने अनुसूचित जनजाति के 16 उम्मीदवार उतारे हैं, जबकि राज्य में अनुसूचित जनजातियों के लिए सिर्फ 13 सीटें आरक्षित हैं. उधर, अनुसूचित जातियों - जो BJP का एक अन्य अहम फोकस एरिया है - तक पहुंच बनाने के लिए मामले के जानकारों का कहना है कि पार्टी अनुसूचित जाति के उतने उम्मीदवारों को टिकट ज़रूर देगी, जितने उम्मीदवार कांग्रेस खड़े करेगी. दरअसल, कांग्रेस द्वारा किए गए वादों के बाद अनुसूचित जाति के वोटों के कांग्रेस के पक्ष में एकजुट हो जाने की संभावना से निपटने के लिए BJP ने यह फैसला किया है. वैसे, कांग्रेस के मौजूदा राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी गुलबर्ग से ही हैं.
पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने यह भी बताया कि लिंगायतों के अलावा BJP का मुख्य फोकस OBC पर भी है. उन्होंने कहा, "मुंबई कर्नाटक के 18 जिलों में कुरुबा को टिकट देने वाली BJP एकमात्र पार्टी है. ऐसा इसलिए, क्योंकि हमें भरोसा है कि गरीब लोग जाति की परवाह किए बिना प्रधानमंत्री को वोट देंगे..."