दिवाली पर पटाखों और आतिशबाजी पर पाबंदी में कोई छूट देने की याचिका पर अर्जेंट सुनवाई की गुहार सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने फिर इनकार किया. कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट जब सुनवाई कर रहा है तो वो इसमें अभी कोई दखल नहीं देंगे.
दिल्ली हाईकोर्ट में दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति की सिफारिश के आधार पर जारी पाबंदी आदेश को चुनौती दी गई थी. सुप्रीम कोर्ट में दो व्यापारियों ने अर्जी लगाकर गुहार लगाई कि पाबंदी आदेश में हरित आतिशबाजी और पटाखों यानी ग्रीन क्रैकर्स को छूट नहीं दी गई है.
दिल्ली में ग्रीन क्रैकर्स का भंडारण और विक्रय करने वाले इन दोनों याचिकाकर्ताओं ने दलील दी है कि ग्रीन क्रैकर्स को इस पाबंदी के दायरे में लाने का कोई मतलब और तर्क भी नहीं दिया गया है. सीजेआई की पीठ के समक्ष मेंशन करते हुए याचिकाकर्ताओं ने कहा कि हाईकोर्ट ने ये कहते हुए सुनवाई नहीं की कि इसी आशय की याचिका सुप्रीम कोर्ट में लंबित है. ऐसे में वो कैसे सुन सकता है? ऐसे में दिल्ली हाईकोर्ट ने 18 अक्तूबर को सुनवाई तय की है, जबकि दीवाली 24 अक्तूबर को है.
जब सीजेआई ने इसे हाईकोर्ट के सामने ही ले जाने को कहा तो याचिकाकर्ता ने आखिरी दांव खेला कि बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की समान प्रार्थना वाली अर्जी जस्टिस एमआर शाह की पीठ के सामने लंबित है. सीजेआई इस याचिका को भी उसके साथ जोड़ दें. याचिकाकर्ता ने ये दलील भी दी कि 2020 में कोविड के मद्देनजर आमद की गई पाबंदियां अब नहीं हैं. गौरतलब है कि जस्टिस शाह की बेंच ने बीजेपी सांसद मनोज तिवारी की याचिका पर भी पाबंदी के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया था. कोर्ट ने कहा था कि प्रदूषण के हालात सब जानते ही हैं.
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