जबलपुर के न्यू लाइफ मल्टी स्पेशियलिटी अस्पताल की आग अभी ठंडी भी नहीं हुई थी कि सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल अस्पताल के शिशु वॉर्ड के करीब आग लग गई. हालांकि घटना में कोई हताहत नहीं हुआ. लेकिन एक बार फिर मध्यप्रदेश में फायर एनओसी और फायर सेफ्टी को लेकर बहस तेज हो गई है. जानकारी के अनुसार सोमवार को नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज के बच्चा वार्ड में 40 बच्चे भर्ती थे, जब उसके करीब शॉर्ट सर्किट हुआ. जिसके चलते वार्ड में धुआं फैल गया और लाइट चली गई.
गौरतलब है कि पिछले डेढ़ साल में प्रदेश के छह अस्पतालों में आगजनी से 23 लोगों की मौत हुई है. बता दें कि अस्पताल खोलने या नवीनीकरण के लिए 12 दस्तावेज मांगे जाते हैं. इसमें 11 तो जरूरी हैं लेकिन फायर एनओसी नहीं. सिर्फ फायर एनओसी के लिए आवेदन की पावती के आधार पर पिछले 2 साल में राज्य में 200 से ज्यादा नए अस्पतालों को मंजूरी दे दी गई है. हालांकि सरकार की तरफ से अकेले जबलपुर में फायर एनओसी नहीं होने तथा अन्य कमियां पाये जाने पर अब तक 24 अस्पतालों के पंजीयन निरस्त किये जा चुके हैं.
नगरीय प्रशासन मंत्री भूपेन्द्र सिंह ने पूरे मामले पर कहा है कि फायर एनओसी नगर निगम देता है फिर हेल्थ डिपार्टमेंट लाइसेंस देता है. फायर एनओसी का पालन संबंधित लोगों ने किया है या नहीं ये देखना चाहिये, ये दोनों तरफ से लापरवाही होती है. इसलिये इस तरह की घटना होती है. इसमें सरकार सख्ती से कार्रवाई कर रही है.
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