भारत को 'गरीब और ज्यादा असमानता वाला देश' बताने वाले रिपोर्ट पर FM सीतारमण ने खड़े किए सवाल

रिपोर्ट के मुताबिक, भारत एक गरीब और काफी असमानता वाला देश है, जहां कुलीन वर्ग के लोग भरे पड़े हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत में लैंगिक असमानता बहुत अधिक है.

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भारत को 'गरीब और असमानता वाला देश' बताने वाले रिपोर्ट पर सीतारमण ने खड़े किए सवाल
नई दिल्ली:

वैश्विक असमानता पर भारत के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संगठन की एक रिपोर्ट पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सवाल खड़े किए हैं. इस रिपोर्ट में भारत को "गरीब और बहुत असमान" देश कहा गया था. इस रिपोर्ट को वित्त मंत्री ने 'त्रुटिपूर्ण' करार देते हुए खारिज कर दिया गया है. 

विश्व असमानता की रिपोर्ट के अनुसार, भारत एक "गरीब और बहुत असमान" देशों के रूप में शामिल हो गया था, जिसमें वर्ष 2021 में एक फीसदी आबादी के पास राष्ट्रीय आय का 22 फीसदी हिस्सा था, जबकि निचले तबके के पास 13 फीसदी था. यह रिपोर्ट पिछले साल दिसंबर में आई थी. सीतारमण ने संसद में कहा, भारत को 'गरीब और बहुत असमान देश' बताने वाली विश्व असमानता रिपोर्ट त्रुटिपूर्ण है, और यह संदिग्ध मैथोलॉजी पर आधारित है."

''''विश्व असमानता रिपोर्ट 2022'''' शीर्षक वाली रिपोर्ट के लेखक लुकास चांसल हैं जोक ''वर्ल्ड इनइक्यूलैटी लैब'' के सह-निदेशक हैं. इस रिपोर्ट को तैयार करने में फ्रांस के अर्थशास्त्री थॉमस पिकेट्टी समेत कई विशेषज्ञों ने सहयोग दिया था. 
रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत अब दुनिया के सर्वाधिक असमानता वाले देशों की सूची में शामिल हो गया है. रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत की वयस्क आबादी की औसत राष्ट्रीय आय 2,04,200 रुपये है, जबकि निचले तबके की आबादी (50 प्रतिशत) की आय 53,610 रुपये है और शीर्ष 10 फीसदी आबादी की आय इससे करीब 20 गुना (11,66,520 रुपये) अधिक है. 

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रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की शीर्ष 10 फीसदी आबादी के पास कुल राष्ट्रीय आय का 57 फीसदी, जबकि एक फीसदी आबादी के पास 22 फीसदी है. वहीं, नीचे से 50 फीसदी आबादी की इसमें हिससेदारी मात्र 13 फीसदी है. इसके मुताबिक, भारत में औसत घरेलू संपत्ति 9,83,010 रुपये है. 

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इसमें कहा गया था, ‘‘भारत एक गरीब और काफी असमानता वाला देश है जहां कुलीन वर्ग के लोग भरे पड़े हैं. ''रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि भारत में लैंगिक असमानता बहुत अधिक है. इसमें कहा गया था, ‘‘महिला श्रमिक की आय की हिस्सेदारी 18 प्रतिशत है. यह एशिया के औसत (21 प्रतिशत, चीन को छोड़ कर) से कम है. 

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