10 रुपये वाले डॉक्‍टर साहब, रोज करते हैं 300 लोगों का इलाज, 45 सालों से कर रहे सेवा

डॉक्‍टर साहब के कंपाउंडर गणपति कुमार ने बताया कि बिहार के नालंदा ज़िला अंतर्गत परबलपुर बाज़ार निवासी डॉक्टर ओम प्रकाश आर्य बीते 45 सालों से मानव सेवा भाव से इलाज कर रहे हैं. जब उन्‍होंने इसकी शुरुआत की थी, तो उनकी फ़ीस मात्र दो रुपये थी.

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मरीजों का टीन के शेड के नीचे इलाज
नालंदा:

महंगाई के इस दौर में जहां लोगों को पानी खरीदकर पीना पड़ रहा है... वहीं, दूसरी ओर धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टर की फ़ीस आसमान छू रही है. ऐसे में गरीब एवं असहाय लोगों को इलाज के दौरान काफी दिक्‍कतों का सामना करना पड़ता है. लेकिन ऐसे समय में धरती के भगवान कहे जाने वाले बिहार के एक डॉक्टर मानवता की मिसाल पेश कर रहे हैं. ये डॉक्‍टर पूरे सेवा भाव से लोगों का इलाज सिर्फ 10 रुपये में कर रहे हैं. इस डॉक्‍टर के पास मरीजों की भीड़ लगी रहती है. 

 45 सालों से मानव सेवा जारी 

डॉक्‍टर साहब के कंपाउंडर गणपति कुमार ने बताया कि बिहार के नालंदा ज़िला अंतर्गत परबलपुर बाज़ार निवासी डॉक्टर ओम प्रकाश आर्य बीते 45 सालों से मानव सेवा भाव से इलाज कर रहे हैं. जब उन्‍होंने इसकी शुरुआत की थी, तो उनकी फ़ीस मात्र दो रुपये थी. इसके बाद बढ़कर 5 रूपये फ़िर 8 रुपये हुई और अब आखिरी 10 रुपये है और इस फीस की रकम को अपने स्टाफ, डॉ. और मेंटेनेंस में खर्च करते हैं. यही नहीं यह फ़ीस तब तक चलेगा, जब तक वे जीवित रहेंगे. 

मरीजों का टीन के शेड के नीचे इलाज

डॉ. ओम प्रकाश आर्य रांची से MBBS की पढ़ाई किये है और डॉ. ओम प्रकाश पढ़ाई कर मानव सेवा के तौर पर नालंदा ज़िला के परबलपुर NH-33 पर किराए के मकान में  मरीजों का टीन के शेड के नीचे इलाज कर रहे हैं. उन्होंने जनरल फिजिशियन की पढ़ाई किया था. वे मुख्य तौर पर नालंदा ज़िले के बेन प्रखंड अंतर्गत हरि ओमपुर गांव के मूल निवासी हैं. वर्तमान में  परबलपुर में घर पर रहते हैं. इन्हें 3  संतान हैं. जिनमें दो पुत्री और एक पुत्र संतान है. पहली पुत्री स्वेता सिंहा स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं, जबकि दूसरी पुत्री नेहा सिंहा शिशु रोग विशेषज्ञ हैं और पुत्र राजीव रंजन आर्य बंगलोर में कंस्ट्रक्शन इंजीनियर है. यहां एक नर्स सहित 6 लोग कार्यरत हैं,  जिनका तनख्वाह 5 हज़ार रूपए/नर्स / स्टाफ दिया जाता है.

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हर रोज़ करीब 300 मरीजों का इलाज

यहां मरीज़ को स्लाइन या सुई देने का अलग से 10 रूपए चार्ज लगता है, जबकि डेढ़ दर्जन के करीब नर्सिंग इंटर्नशिप करने वाले हैं. यही नहीं डॉक्टर के द्वारा जो मरीज़ लाचार या बेबस होते हैं, उनका दवा तक मुफ़्त में दिया जाता है. यहां हर रोज़ करीब 300 मरीजों का इलाज होता है, जो सूबे के अलग अलग हिस्सों से आते हैं. जिस जगह यह क्लीनिक चलता है वहां का हर महीने 6000 रुपया किराया मकान मालिक को दिया जाता है. यहां ज़्यादातर ग्रामीण लोग इलाज के लिए आते हैं. सभी मरीजों का इलाज बारी बारी कर करते हैं. इसके साथ ही अगर कोई इमरजेंसी मरीज़ आए तो उनका पहले इलाज किया जाता है. वहीं, डॉ. ओम प्रकाश आर्य ने NDTV से बात करते हुए हुए कहा कि हमारा देश विकसित देश है तो महंगाई बढ़ेगी ही विकासशील देश में ये सब होता रहता है. 

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 डॉक्टर साहब सिर्फ फ़ीस कम नहीं लेते, बल्कि...

डिजिटल ट्रीटमेंट बहुत अच्छा है लेकिन रूलर एरियाज में मुश्किल है कि लोग जागरूक नहीं हैं. उतना एफर्ट नहीं कर पाएंगे. मानव सेवा भाव से हम इलाज कर रहे हैं. सभी नए डॉक्टर्स अभी जो आए हैं वो भी अच्छा कर रहे हैं. हमारी सभी शुभकामनाएं हैं कि और अच्छा करें. वे मरीजों को दवा भी सस्ते दामों पर उपलब्ध कराते हैं. वहीं, परबलपुर के नेहुस गांव से पोते को इलाज के लिए लेकर आए मरीज़ के परिजन महेश प्रसाद का कहना है कि डॉक्टर साहब सिर्फ फ़ीस कम नहीं लेते, बल्कि इलाज भी बढ़िया से करते हैं तभी तो भीड़ लगी होती है. हमें तो लगता है कि इनके चले जाने के बाद हम लोगों का क्या होगा. जो डॉक्टर फ़ीस ज़्यादा लेते हैं उनके मरीज़ कम आते हैं साथ ही बढ़िया इलाज नहीं होने की वजह से उन्हें भी यहां आकर ही इलाज कराना पड़ता है. ये हम लोगों के भगवान हैं इनके जाने के बाद क्या होगा हम लोगों को समझ नहीं आ रहा है. वे काफ़ी बूढ़े हो गए हैं. क्या ऐसे डॉ जो निःस्वार्थ मानव सेवा में लगे है, उनसे प्रेरणा लेकर कम से कम हर ब्लॉक में एक एक डॉ होंगे, ये तो समय बताएगा पर इस डॉ. से प्रेरणा लेनी चाहिए .
(रवि रंजन की रिपोर्ट)

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