मुंबई में फिर बढ़ने लगा कोरोना से मौत का आंकड़ा, ठीक हो चुके मरीजों में दिख रहा 'साइटोकाइन स्टॉर्म'

महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजधानी मुंबई (Mumbai Covid 19) में सिंगल डिजिट तक पहुंचीं कोविड से होने वाली मौतें फिर डबल डिजिट हो गई हैं.

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मुंबई में कोरोना के एक्टिव केस 15 हजार से ज्यादा हैं. (फाइल फोटो)
मुंबई:

महाराष्ट्र (Maharashtra) की राजधानी मुंबई (Mumbai Covid 19) में सिंगल डिजिट तक पहुंचीं कोविड से होने वाली मौतें फिर डबल डिजिट हो गई हैं. जानकार बताते हैं कि इसकी एक अहम वजह लंबे कोविड के अलावा ‘साइटोकाइन स्टॉर्म' (Cytokine Storm) दिख रहा है. इस वेव में इसका रूप बदला है, लोग रिकवर होने के बाद फिर से अस्पताल पहुंच रहे हैं या कोविड वॉर्ड से दोबारा ICU वॉर्ड में शिफ्ट किए जा रहे हैं. जानकार कहते हैं कि अस्पताल से छुट्टी के तीन महीने बाद तक सेल्फ मॉनिटरिंग करें.

82 साल के शांताराम पाटिल 15 दिन पहले कोविड पॉजिटिव हुए थे. वह लगभग ठीक हो चुके थे लेकिन ‘साइटोकाइन स्टॉर्म' के कारण बीते 3 दिनों से  ICU में हैं. निमोनिया और ब्लैक फंगस ने भी उन्हें जकड़ लिया है.

अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ‘साइटोकाइन स्टॉर्म' क्या बला है, तो बता दें कि कोविड मरीजों का जब इम्यून सिस्टम वायरस से लड़ने में जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो जाता है और शरीर के दूसरे हिस्सों को नुकसान पहुंचाने लगता है, तब इस घातक रूप को कहते हैं, ‘साइटोकाइन स्टॉर्म'. दूसरी लहर में इसने भी रूप बदला है.

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लायंज क्लब हॉस्पिटल के डॉक्टर सुहास देसाई ने कहा, ‘‘पहली वेव में ऐसा था कि गम्भीर मरीज साइटोकाइन स्टॉर्म फेज में ही अस्पताल आते थे, वे केस क्रिटिकल होते थे और रिकवर होने के बाद बीमारी के दोबारा लौटने का चांस नहीं रहता था, लेकिन अब दिख रहा है की मरीज जब इंफेक्शन से सेटल होने लगता है, तब उस फेज में अचानक ब्रेथलेस होता है या फिर से हालत बिगड़ती है. ये पेशेंट पहले पॉजिटिव हुए थे, पर जब हमारे पास आए तो साइटोकाइन स्टॉर्म में थे. साथ ही मरीज को एक साइड फेशियल स्वेलिंग थी. सारी जां की तो मरीज को निमोनाइटिस के साइन थे और म्यूकर मायकोसिस भी डिटेक्ट हुआ. इलाज चल रहा है.''

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Wockhardt अस्पताल का कहना है कि इस बार कोविड से ठीक होकर ICU से नॉर्मल वॉर्ड में जाने वाले करीब 5 फीसदी मरीज फिर कुछ दिनों बाद ICU लाए गए, इनमें से 2 प्रतिशत मरीजों की मौत सम्भव है. अस्पताल के ICU डायरेक्टर डॉक्टर बिपिन जिभकाटे ने कहा, ‘‘बहुत सारे मरीज ICU से ठीक होकर कोविड वॉर्ड में शिफ्ट होते हैं, इनमें से हमने देखा है कि 3-5 फीसदी मरीजों में फिर सिम्प्टम बढ़ते हैं. उनको वापस ICU में भर्ती करना पड़ता है. 1-2 फीसदी मामलों में मौत भी हो जाती है. 40 प्रतिशत तक ऐसे मरीज हैं, जो लॉन्ग टर्म वेंटिलेटर पर हैं, यानी एक महीने से ऊपर उनको वेंटिलेटर पर हो गया है.''

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गौरतलब है कि 8 जून को सिंगल डिजिट 7 मौतों के बाद 9 जून को 27 और 10 जून को 22 मौतें मुंबई शहर ने देखीं. शहर के 70 फीसदी वेंटिलेटर और 60 फीसदी ICU बेड अभी भी फुल हैं. शहर में 1100 क्रिटिकल कोविड मरीजों का इलाज चल रहा है. एक्स्पर्ट्स कहते हैं कि अस्पताल से छुट्टी के बाद करीब तीन महीने की सेल्फ मॉनिटरिंग जरूरी है. इस बीच कोई भी लक्षण नजरअंदाज न करें.

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