तीन केंद्रीय कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन चार माह पहले शुरू हुआ था, और अब किसानों के लिए होली का त्योहार भी सड़कों पर ही बीतने का आसार दिख रहे हैं. इसी बीच, NDTV की कवरेज की वजह से किसानों और खेतिहर लोगों के बीच NDTV की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई है कि तमाम तरह की पिचकारियों के साथ-साथ छोटे-छोटे गांवों में 'NDTV पिचकारियां' बिकने लगी हैं, जिन पर NDTV के लोगो के साथ रवीश कुमार की तस्वीर भी छपी है.
ऐसी ही एक पिचकारी देखी गई हिसार जिले के उकलाना मंडी इलाके में, जहां नरेंद्र कुमार गर्ग अपनी दुकान पर इन्हें बेच रहे हैं. उनका कहना है कि इस पिचकारी की लोकप्रियता और मांग इतनी ज़्यादा है कि वह मांग को पूरा भी नहीं कर सकते. नरेंद्र गर्ग के मुताबिक, वह अपनी दुकान के लिए लगभग 300 NDTV पिचकारियां खरीदकर लाए थे, और वे सभी बिक चुकी हैं.
'NDTV पिचकारी' के नाम से बिक रही पिचकारी के खरीदारों में जगदीप भी मिले, जिनका कहना था, "देश में दबे-कुचलों की आवाज़ उठाने वाले NDTV चैनल के साथ हमारी भावनाएं जुड़ी हैं, सो, क्यों न हम यह (NDTV पिचकारी) ब्रांड यूज़ करें..."
NDTV के लोगो के साथ-साथ रवीश कुमार की तस्वीर समेत बिक रही इस पिचकारी को कुशम ने भी खरीदा, और पूछने पर कहा, "गोदी मीडिया की भीड़ में NDTV ही एकमात्र चैनल है, जिसने किसानों की आवाज़ को ढंग से उठाया है... किसानों की आवाज़ उठाने वाला चैनल सिर्फ NDTV इंडिया और पत्रकार रवीश कुमार ही हैं..."