क्या विपक्षी दल दे रहे किसानों के 'दिल्ली चलो' मार्च को हवा? आखिर क्यों उठा ये सवाल

आम आदमी पार्टी और वाम दलों ने भी किसानों के "दिल्ली चलो" मार्च को जायज़ ठहराया है. सीपीएम नेता हनन मोल्लाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार आज़ादी के बाद सबसे ज़्यादा किसान-विरोधी सरकार है.

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नई दिल्ली:

नए MSP कानून की मांग को लेकर किसान संगठनों के "दिल्ली चलो" मार्च का कांग्रेस और पंजाब के मुख्यमंत्री और  AAP नेता भगवंत मान (Bhagwant Maan) ने समर्थन देने का ऐलान किया है. सूत्रों के मुताबिक विपक्षी दल किसानों के विरोध मार्च का खुल कर समर्थन कर उसे हवा दे रहे हैं. किसान संगठनों के "दिल्ली चलो" मार्च का कांग्रेस और आम आदमी पार्टी समेत कई विपक्षी दल खुल कर समर्थन कर रहे हैं.

दिल्ली की किलेबंदी क्यों हो रही है? : कांग्रेस
कांग्रेस प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा कि किसानों के दिल्ली मार्च को रोकने के लिए दिल्ली की किलेबंदी क्यों की जा रही है जब किसान सरकार के साथ MSP पर कानून बनाने की उनकी मांग पर चर्चा करना चाहते हैं. सुप्रिया श्रीनेत ने NDTV से कहा, "एक कमिटी बनायीं गयी थी MSP को लेकर. उस कमिटी ने क्या निर्णय किया? आज जब किसानों ने कहा है कि वो 13 फरवरी को दिल्ली आएंगे तो दिल्ली की किलाबंदी क्यों की जा रही है? उनके स्वागत में आप सड़कों को कीलों से भर देते हैं? इंटरनेट बंद कर देते हैं?"  

NDTV ने जब उनसे सवाल किया कि क्या MSP पर कानून बनना चाहिए, सुप्रिया श्रीनेत ने कहा, "बिलकुल! MSP पर कानून बनना चाहिए. बिलकुल कानून बनना चाहिए."

भगवंत मान ने भी किसानों के समर्थन का किया ऐलान
आम आदमी पार्टी और वाम दलों ने भी किसानों के "दिल्ली चलो" मार्च को जायज़ ठहराया है. रविवार को पंजाब के तरन तारण में एक जनसभा को सम्बोधित करते हुए मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सीधे केंद्र पर निशाना साधा. भगवंत मान ने कहा, "केंद्र से अपील है कि किसानों की जायज़ मांगों को माने. आपको भारत और पाकिस्तान की सीमा नहीं बनानी चाहिए. जिस नफरत का स्तर हम सहन कर रहे हैं, वह सही नहीं है...हरियाणा ने तारे लगा दी हैं. बॉर्डर बना दिया, जैसा पाकिस्तान ने बनाया"

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सीपीएम नेता हनन मोल्लाह ने कहा, किसान संगठन अपनी मांगों को लेकर पिछले चार साल से आंदोलन कर रहे हैं. वो लगातार अपनी लड़ाई लड़ रहे हैं. नरेंद्र मोदी सरकार आज़ादी के बाद सबसे ज़्यादा किसान-विरोधी सरकार है. ज़ाहिर है, लोक सभा चुनावों से पहले किसान संगठनों का "दिल्ली चलो" मार्च एक राजनीतिक मंच बन गया है.

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